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अमेरिका में कानूनी और सियासी जंग! अब Trump के निशाने पर आया 'एंटीफा'

ट्रंप ने फिर 'एंटीफा' को आतंकी समूह घोषित करने का ऐलान किया है, जिससे अमेरिका में नई बहस छिड़ गई है। यह कदम हाल ही में हुई एक हत्या से जुड़ा है, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि किसी घरेलू समूह को आतंकी घोषित करने का ट्रंप के पास कोई अधिकार नहीं है।

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Ajit Kumar Pandey
DONALD TRUMP

अमेरिका में कानूनी और सियासी जंग! अब Trump के निशाने पर आया 'एंटीफा' | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से वामपंथी समूह एंटीफा को 'आतंकवादी संगठन' घोषित करने की योजना का ऐलान किया है। अलजजीरा के मुताबिक, इस घोषणा के बाद अमेरिका में एक नई सियासी और कानूनी जंग छिड़ सकती है। उन्होंने एंटीफा को 'बीमार, खतरनाक और कट्टरपंथी' बताते हुए कहा है कि इस समूह के लिए फंडिंग करने वालों की भी जांच की जाएगी। 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने 'ट्रुथ सोशल' प्लेटफॉर्म पर एक चौंकाने वाला ऐलान किया। उन्होंने एंटीफा को "बीमार, खतरनाक, कट्टरपंथी वामपंथी आपदा" और "एक बड़ा आतंकवादी संगठन" बताया है। 

ट्रंप ने साफ-साफ कहा है कि वह उन लोगों की भी जांच कराएंगे जो एंटीफा को पैसे से मदद करते हैं। यह ऐलान उस वक्त हुआ है जब व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने एक 'विशाल घरेलू आतंकी आंदोलन' को खत्म करने की बात कही है। 

इस घोषणा को हाल ही में हुए एक दक्षिणपंथी कमेंटेटर चार्ली किर्क की हत्या से जोड़कर देखा जा रहा है। 

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हालांकि, जांचकर्ता अभी तक इस हत्या का मकसद नहीं बता पाए हैं। लेकिन, कई दक्षिणपंथी नेता इस हत्या के पीछे वामपंथी विचारधारा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। 

क्या है एंटीफा और क्यों है ट्रंप को इससे नफरत? 

एंटीफा, जिसका मतलब है 'एंटी-फासिस्ट्स', एक ढीला-ढाला वामपंथी कार्यकर्ताओं का समूह है। इसका कोई निश्चित नेता ढांचा या सदस्यों की लिस्ट नहीं है। यह समूह फासीवाद, नस्लवाद और दक्षिणपंथी विचारधारा का विरोध करता है। 

ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी साल 2020 में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद हुए प्रदर्शनों के दौरान ट्रंप ने एंटीफा को आतंकी संगठन घोषित करने की धमकी दी थी। उन्होंने इन प्रदर्शनों में हुई हिंसा के लिए एंटीफा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया था। 

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ट्रंप का मानना है कि अंटाफा शांतिपूर्ण आंदोलनों का फायदा उठाकर हिंसा और अराजकता फैलाता है। 

कानूनी एक्सपर्ट्स की चेतावनी: क्या ट्रंप ऐसा कर सकते हैं? 

ट्रंप के इस ऐलान ने कानूनी जानकारों और विश्लेषकों के बीच बहस छेड़ दी है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप के पास किसी घरेलू समूह को आतंकवादी संगठन घोषित करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। 

पूर्व जस्टिस डिपार्टमेंट के अधिकारी मैरी मैककॉर्ड ने कहा था कि अमेरिका में घरेलू संगठनों को आतंकवादी घोषित करने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसा करने से अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन का उल्लंघन हो सकता है। 

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यही वजह है कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में उनका यह कदम कानूनी अड़चनों की वजह से आगे नहीं बढ़ पाया था। 

यह देखना अब दिलचस्प होगा कि इस बार ट्रंप कैसे इन कानूनी चुनौतियों का सामना करते हैं। 

एंटीफा की प्रकृति: एंटीफा एक बिखरा हुआ समूह है, जिससे यह तय करना मुश्किल है कि "आतंकवादी" का दर्जा किसे दिया जाए और इसे कैसे लागू किया जाए। 

संवैधानिक अधिकार: अमेरिकी संविधान के तहत, लोगों को अपनी राय रखने और विरोध करने का अधिकार है। ट्रंप का यह कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ जा सकता है। 

जांच और सबूत: किसी भी संगठन को आतंकी घोषित करने के लिए पुख्ता सबूतों की जरूरत होती है। ट्रंप के आरोप अभी सिर्फ मौखिक बयानों पर आधारित हैं। 

क्या ये सिर्फ सियासी दांव है? 

ट्रंप के आलोचकों का मानना है कि चार्ली किर्क की हत्या का इस्तेमाल ट्रंप अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए कर रहे हैं। वे इस घटना को वामपंथी कार्यकर्ताओं को बदनाम करने और उन पर शिकंजा कसने के लिए एक बहाने के तौर पर देख रहे हैं। 

रिपब्लिकन सीनेटर बिल कैसिडी जैसे नेता ट्रंप के इस कदम का समर्थन कर रहे हैं। उनका मानना है कि ट्रंप एंटीफा की 'विनाशकारी भूमिका' को सही पहचान दे रहे हैं। ट्रंप के इस कदम से अमेरिकी समाज में राजनीतिक ध्रुवीकरण और बढ़ सकता है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर कानूनी और राजनीतिक बहस आने वाले दिनों में और तेज हो जाएगी। 

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