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पश्चिमी देश भारत-चीन को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं: Russian Foreign Minister Sergei Lavrov

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पश्चिमी देशों पर आरोप लगाया है कि वे भारत और चीन को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। उन्होंने मॉस्को में कहा कि ‘हिंद-प्रशांत’ शब्दावली का प्रयोग करके पश्चिम चीन-विरोधी नीति को बढ़ावा दे रहा है।

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Ranjana Sharma
_Russian Foreign Minister Sergei Lavrov
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पश्चिमी देशों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वे भारत और चीन को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह बयान मॉस्को में आयोजित डिप्लोमैटिक क्लब की एक बैठक के दौरान दिया, जिसका विषय था ‘सीमाओं के बिना संस्कृति: सांस्कृतिक कूटनीति की भूमिका और विकास’। सरकारी समाचार एजेंसी टीएएसएस के अनुसार, लावरोव ने पश्चिमी देशों की नीतियों को एशिया-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरनाक बताया।
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भारत-चीन के रिश्तों में दरार पैदा करने की कोशिश

लावरोव ने कहा क‍ि पश्चिमी देश एशिया-प्रशांत क्षेत्र को ‘हिंद-प्रशांत’ कहने लगे हैं ताकि अपनी नीतियों को चीन विरोधी रुख दे सकें और भारत व चीन जैसे पड़ोसी देशों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न की जा सके।” उन्होंने कहा कि यह रणनीति पश्चिम की 'डिवाइड एंड रूल' नीति का हिस्सा है। रूसी विदेश मंत्री ने क्वाड और एयूकेयूएस जैसे पश्चिमी सैन्य गठबंधनों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि पहले वे क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) के मुखर विरोधी थे, लेकिन एयूकेयूएस (ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका) के गठन के बाद स्थिति और गंभीर हो गई है। इन गठबंधनों का मकसद एशिया में पश्चिमी प्रभाव को बढ़ाना और क्षेत्रीय संतुलन को बिगाड़ना है।

आसियान की केंद्रीय भूमिका कमजोर करने का प्रयास

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लावरोव ने कहा कि पश्चिमी देश अब आसियान (ASEAN) जैसे संगठन की भी केंद्रीय भूमिका को कमजोर करने में लगे हैं। आसियान दशकों से राजनीतिक और सैन्य बातचीत का स्थायी और सहमति आधारित मंच रहा है, लेकिन अब कुछ सदस्य देशों को अलगाववादी मंचों की ओर खींचा जा रहा है।

यूरेशिया के लिए एकीकृत मंच की वकालत

लावरोव ने यूरेशिया महाद्वीप में सामूहिक सुरक्षा और सहयोग के लिए एक समर्पित महाद्वीप-व्यापी मंच की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि अफ्रीका के पास अफ्रीकी संघ, और लातिन अमेरिका के पास सीईएलएसी (CELAC) जैसे संगठन हैं, लेकिन यूरेशिया में अभी तक ऐसा कोई मंच विकसित नहीं हुआ है। उन्होंने विभिन्न सभ्यताओं के बीच संवाद और सामंजस्य की जरूरत पर बल दिया।
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