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अलास्का के जलसे में कहां था भारत, क्या हमें कुछ मिला?

अमेरिकी राष्ट्रपति ने शुक्रवार को दावा किया कि वाशिंगटन के जुर्माना लगाने की घोषणा के बाद रूस ने अपने तेल ग्राहकों में से एक भारत को खो दिया है।

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Shailendra Gautam
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Photograph: (flle)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः अमेरिकी धरती अलास्का में जब दुनिया की दो महाशक्तियां मिलीं तो सारी निगाहें उनकी ही तरफ लगी थीं। इनमें भारत भी शामिल था। डोनाल्ड ट्रम्प और व्लादिमिर पुतिन मिले और फिर अपने अपने ठिकानों की तरफ रवाना हो गए। लेकिन क्या इस दौरान ऐसा कुछ हुआ जो भारत के हित में था। ऊपर से दिखता है कि रूसी तेल की वजह से ट्रम्प भारत से नाराज हैं। इतने कि 50 फीसदी का टैरिफ थोप दिया। पाकिस्तानी को रियायत दी और उसके तानशाह असीम मुनीर को अपने देश में बुलाकर दुनिया भर को धमकी भी दिलवा दी। ट्रम्प की नाराजगी के दौर में भारत को रूस से काफी उम्मीदें थीं पर क्या उसे ऐसा कुछ  हासिल हुआ जिसकी दरकार थी। आइए देखते हैं कि भारत के लिए अलास्का से क्या कुछ कहा गया। 

ट्रम्प के तेवर अभी भी तीखे

अमेरिकी राष्ट्रपति ने शुक्रवार को दावा किया कि वाशिंगटन के जुर्माना लगाने की घोषणा के बाद रूस ने अपने तेल ग्राहकों में से एक भारत को खो दिया है। हालांकि, उन्होंने संकेत दिया कि वह रूसी कच्चा तेल खरीदने वाले देशों पर इस तरह के जुर्माना नहीं लगा सकते। राष्ट्रपति की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब वाशिंगटन के शुल्क लगाने की घोषणा के बाद नई दिल्ली ने अभी तक मास्को से तेल खरीद पर रोक लगाने  पुष्टि नहीं की है। यह अतिरिक्त शुल्क 27 अगस्त से लागू होने वाला है।

फाक्स न्यूज से बोले थे ट्रम्प कि रूस ने अपना बड़ा ग्राहक खोया

पुतिन के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक के लिए अलास्का रवाना होते हुए ट्रम्प ने फॉक्स न्यूज को बताया- उन्होंने (रूस ने) एक तेल ग्राहक खो दिया है। यानी भारत। जो लगभग 40 प्रतिशत तेल की खरीदारी कर रहा था। 6 अगस्त को ट्रम्प ने भारत के खिलाफ अपने टैरिफ हमले को और तेज करते हुए भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया और बाद में इसे दोगुना करके 50 प्रतिशत कर दिया था। भारत ने इस अनुचित और अविवेकपूर्ण कदम की निंदा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले कहा था कि नई दिल्ली आर्थिक दबाव के आगे पीछे नहीं हटेगी। इस कदम से भारत और ब्राजील पर 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ लगेगा। 

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ट्रम्प के कदम के बाद भारत की सरकारी रिफाइनरियों ने रूसी कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया है, हालांकि केंद्र ने अभी तक इस संबंध में कोई घोषणा नहीं की है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के चेयरमैन एएस साहनी ने कहा कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया है। पश्चिमी देशों के रूसी तेल से परहेज करने और यूक्रेन पर आक्रमण के लिए मास्को पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत 2022 में रूसी तेल का सबसे बड़ा ग्राहक बन गया था।

रूसी तेल नहीं मिला तो बढ़ेगा सरकार का खर्च

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एक रिपोर्ट के अनुसार अगर भारत रूसी कच्चा तेल खरीदना बंद कर देता है, तो इस वित्तीय वर्ष में भारत का कच्चे तेल का आयात बिल 9 अरब अमेरिकी डॉलर और अगले वित्तीय वर्ष में 12 अरब अमेरिकी डॉलर बढ़ सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत इराक से तेल खरीदने पर विचार कर सकता है। जो यूक्रेन युद्ध से पहले उसका सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा था। रूसी आपूर्ति बंद होने की स्थिति में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से भी वो तेल खरीद कर सकता है। रिपोर्ट के अनुसार डेटा इंटेलिजेंस फर्म केप्लर लिमिटेड ने बताया कि वैश्विक हालातों को देख भारत को  रूसी कच्चा तेल कम कीमतों पर उपलब्ध कराया जा रहा है।

डेमोक्रेट्स बोले- भारत पर टैरिफ लगाने से पुतिन नहीं रुकेंगे

विदेश नीति पर नजर रखने वाली यूएस हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ऑफ डेमोक्रेट्स का कहना है कि भारत पर टैरिफ लगाने से पुतिन नहीं रुकेंगे। अगर ट्रम्प वाकई यूक्रेन पर रूस के अवैध आक्रमण का समाधान चाहते हैं तो शायद पुतिन को दंडित करें। डेमोक्रेटिक पैनल की यह टिप्पणी अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट की नई दिल्ली को रूसी तेल व्यापार पर चेतावनी के जवाब में आई है। ब्लूमबर्ग के साथ एक साक्षात्कार के दौरान बेसेंट ने कहा- अलास्का में पुतिन के साथ ट्रम्प की महत्वपूर्ण बैठक से पता चलेगा कि भारत के साथ क्या सलूक करना है।

रूसी तेल नहीं मिला को बढ़ेगी परेशानी 

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि भारत के लिए अलास्का में क्या कुछ अच्छा रहा ये पुतिन के नरिये पर निर्भर करेगा। ट्रम्प के तेवर पहले जैसे ही हैं। वो भारत को शर्मसार करने का मौका नहीं गंवा रहे। चाहें सीज फायर हो या फिर टैरिफ। अब ट्रम्प एक कदम आगे बढ़कर भारत को रुसवा करने में लगे हैं। भारत से वो 50 फीसदी टैरिफ ले रहे हैं तो दुश्मन पाकिस्तान से महज 31 फीसदी। अमेरिका वहां तेल के कुएं भी खोदने जा रहा है। असीम मुनीर को जिस तरह से ट्रम्प दावतें दे रहे हैं उससे साफ है कि वो भारत को शर्मिंदा करने का कोई मौका नहीं जाया कर रहे।

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अलास्का के लिए जाने से पहले भी उनकी जुबां पर भारत था। हालांकि संयुक्त प्रेस वार्ता में भारत का जिक्र नहीं था। इसलिए ये कहना जल्दबाजी होगी कि भारत को अलास्का से क्या मिला। अगर वो रूसी तेल खरीदना जारी रखता है और ट्रम्प कुछ नहीं कहते तो हालात भारत के पक्ष में हैं। लेकिन रूसी तेल की आवक बंद हुई तो हालात बदतर होते जाएंगे, क्योंकि रूसी तेल मोदी सरकार के लिए खासा मुफीद रहा है। तेल खरीद बंद होने पर इस वित्तीय वर्ष में भारत का कच्चे तेल का आयात बिल 9 अरब अमेरिकी डॉलर तो अगले वित्तीय वर्ष में 12 अरब अमेरिकी डॉलर बढ़ सकता है। जाहिर है इससे सरकार परेशान होगी।

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