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India-PAK War में सऊदी अरब किसके साथ? पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खोले 'राज'

भारत-पाकिस्तान युद्ध की स्थिति में सऊदी अरब देगा साथ! पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के इस चौंकाने वाले दावे से कूटनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। नए रक्षा समझौते के तहत पाकिस्तान की परमाणु क्षमता भी सऊदी के लिए भी उपलब्ध होगी।

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Ajit Kumar Pandey
India-PAK War में सऊदी किसके साथ? पाकिस्तीनी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खोले 'राज' | यंग भारत न्यूज

India-PAK War में सऊदी अरब किसके साथ? पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खोले 'राज' | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दावा किया है कि भारत से युद्ध होने की स्थिति में सऊदी अरब उनके देश का साथ देगा। ख्वाजा आसिफ ने बताया कि दोनों देशों के बीच एक नया रक्षा समझौता हुआ है, इसके तहत किसी भी हमले की सूरत में वे एक-दूसरे को सैन्य मदद देंगे। 

इंडिया टुडे के अनुसार, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने जियो टीवी को दिए एक इंटरव्यू में बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि रियाद में सऊदी अरब के साथ हुए एक नए सामूहिक रक्षा समझौते के तहत अगर भारत पाकिस्तान पर हमला करता है तो सऊदी अरब इस्लामाबाद के साथ खड़ा होगा। 

ख्वाजा आसिफ ने यह भी साफ किया कि यह समझौता किसी एक देश के खिलाफ नहीं है बल्कि यह आपसी सुरक्षा के लिए किया गया है। लेकिन, उनके बयान से साफ है कि उनका इशारा भारत की तरफ है। 

पाकिस्तान की परमाणु ताकत अब सऊदी के लिए? 

इस समझौते की तुलना नाटो के आर्टिकल 5 से की जा रही है जो सामूहिक सुरक्षा पर आधारित है। इस समझौते के मुताबिक, पाकिस्तान की सैन्य क्षमताएं जिसमें उसकी परमाणु शक्ति भी शामिल है आपात स्थिति में सऊदी अरब के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होंगी। 

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हालांकि, पाकिस्तान हमेशा से कहता रहा है कि उसकी परमाणु नीति सिर्फ भारत केंद्रित है, लेकिन अब पाकिस्तानी मंत्री का बयान और समीकरण बदलता दिख रहा है। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए आसिफ ने कहा, "हमारी क्षमताएं इस समझौते के तहत बिल्कुल उपलब्ध होंगी।" 

एक वरिष्ठ सऊदी अधिकारी ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि "यह एक व्यापक रक्षा समझौता है जिसमें सभी सैन्य साधन शामिल हैं।" 

भारत की प्रतिक्रिया और जियोपॉलिटिकल चुनौतियां 

भारत ने इस समझौते पर कहा है कि यह दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था को औपचारिक रूप देता है। हालांकि, भारत इस समझौते के व्यापक प्रभावों की जांच कर रहा है। 

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वहीं, जियोपॉलिटिकल विश्लेषक इयान ब्रेमर ने इंडिया टुडे टीवी से बात करते हुए कहा कि अब अगर पाकिस्तान सेना के साथ भारत का टकराव होता है तो उसे सऊदी अरब को भी ध्यान में रखना होगा। 

ब्रेमर ने आगे कहा, "अगर आप भारत हैं और आपकी पाकिस्तान के साथ सीमा सुरक्षा का गंभीर मुद्दा है... तो इस बात की अच्छी संभावना है कि हम एक और सैन्य झड़प देखेंगे। अब अगर ऐसा होता है और सऊदी अरब पाकिस्तान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है तो मुझे भारत की गणनाओं में इसे शामिल करना होगा। यह निश्चित रूप से भारत के लिए जीवन बदल देगा।" 

क्यों हो रहा है यह बदलाव? 

ब्रेमर ने बताया कि सऊदी अरब लंबे समय से पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का समर्थन करता रहा है। संकट की स्थिति में वह इसे अपने लिए एक आपातकालीन विकल्प मानता है। 

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ब्रेमर का कहना है कि सामूहिक सुरक्षा समझौते की खुली घोषणा एक बहुत ही महत्वपूर्ण नया कदम है। यह समझौता अमेरिका से परे अपने सुरक्षा साझेदारों में विविधता लाने के सऊदी अरब के प्रयासों का हिस्सा भी माना जा रहा है। 

ब्रेमर के अनुसार, यह समझौता भू-राजनीतिक रूप से पाकिस्तान को मजबूत करता है। यह समझौता मध्य-पूर्व और दक्षिण एशिया में एक नया रणनीतिक समीकरण बना रहा है, जिसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। 

आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस नई भू-राजनीतिक चुनौती का सामना कैसे करता है। 

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