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क्यों जेल में बंद है अमेरिका के लिए B-2 Bomber बनाने वाला भारतवंशी इंजीनियर?

अमेरिकी एयरफोर्स की वेबसाइट कहती है कि गोवाडिया के खिलाफ फेडरल कोर्ट ने 17 चार्ज तय किए थे, जिसमें से 14 सही पाए गए। 2010 में लंबे मुकदमेबाजी के बाद अमेरिकी कोर्ट ने उसे 32 साल की सजा सुनाई।

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Shailendra Gautam
Israel- Iran war

Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः ईरान के तीन परमाणु टिकानों पर हमला करने के लिए अमेरिका ने जिस Operation Midnight Hammer को अंजाम दिया उसमें B-2 Bombers से ताबड़तोड़ हमले किए गए थे। खास बात है कि इन Bombers को अचूक बनाने का काम एक भारतवंशी इंजीनियर ने किया था। हालांकि ये इंजीनियर फिलहाल जेल में बंद है। अमेरिकी कोर्ट ने उसे 32 साल की सजा सुनाई है। आरोप है कि उसने चीन के लिए जासूसी की थी। 

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मुंबई में जन्मा था नाशिर शेरिराजी गोवाडिया 

नाशिर शेरिराजी गोवाडिया का जन्म मुंबई में हुआ था। 1963 में वो अमेरिका चला गया। वहां जाकर वो अमेरिका की Northrop Grumman Corporation में बतौर डिजाइन इंजीनियर काम करने लगा। कहते हैं कि गोवाडिया प्रतिभा का धनी था। उसने B-2 Bombers के लिए एक ऐसा सिस्टम (stealth propulsion system) तैयार किया जिससे ये किसी भी रडार को चकमा दे सकता है। इतना ही नहीं ये हर उस सिस्टम को धता बता सकता है जो इनकी निगरानी के लिए दूसरे देशों ने तैयार किए थे।

2005 में अमेरिका ने किया था अरेस्ट

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लेकिन 2005 में एक दिन उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है। अमेरिकी एयरफोर्स की वेबसाइट कहती है कि गोवाडिया के खिलाफ फेडरल कोर्ट ने 17 चार्ज तय किए थे, जिसमें से 14 सही पाए गए। 2010 में लंबे मुकदमेबाजी के बाद अमेरिकी कोर्ट ने उसे 32 साल की सजा सुनाई। 

चीन को बेच दी थी अमेरिकन सेना की तकनीक

एक रिपोर्ट कहती है कि गोवाडिया ने 2003 से लेकर 2005 के दौरान कई बार चीन की यात्रा की। अमेरिकी एजेंसियों को उसने यात्रा का कारण निजी बताया था लेकिन इस दौरान वो चीन की aeronautical testing facility में कई बार गया। अमेरिकी एजेंसियों का कहना है कि उसने चोरी छिपे जो तकनीक चीन को बेची उसके जरिये H-20 लांग रेंज मिसाइल तैयार की गईं। हालांकि चीन ने पहली बार इन मिसाइलों को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा 2016 में की थी लेकिन अमेरिकन एजेंसियां मानती हैं कि इनको डवलप करने का काम तभी शुरू हो गया था जब 2003 में गोवाडिया पहली बार चीन गया था। अमेरिका का मानना है कि अमेरिकी तकनीक को हासिल करने की एवज में चीन ने गोवाडिया को 91 लाख रुपये दिए।

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अमेरिकी कोर्ट ने दी 32 साल की सजा

अमेरिका की Northrop Grumman Corporation में गोवाडिया ने 1968 से लेकर 1986 तक काम किया था। उसके बाद को बतौर कांट्रेक्टर वहां काम करता रहा। 1944 में मुंबई में जन्मा गोवाडिया एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए 1963 में अमेरिका गया था। 1969 तक वो आप्रवासी भारतीय रहा और उसके बाद उसे अमेरिकन नागरिकता दे दी गई। अमेरिकी एजेंसियों का कहना है कि गोवाडिया ने केवल चीन के साथ ही अमेरिकी राज साझा नहीं किए बल्कि उसने जर्मनी, इजरायल और स्विटजरलैंड को भी राज बेचे। फेडरल कोर्ट का मानना था कि जो काम उसने किया वो अमेरिकी सेना को कमजोर करने वाला था। INDIAN | america news | america

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