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Nepal सरकार ने सोशल मीडिया पर क्यों लगाया बैन? जानें पूरा मामला

नेपाल में सरकार ने बिना पंजीकरण वाले 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बंद कर दिया है, जिससे देशभर में अफरातफरी मच गई है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध ने लाखों लोगों के प्रवाह को बाधित किया है।

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Ajit Kumar Pandey
Nepal सरकार ने सोशल मीडिया पर क्यों लगाया बैन? जानें पूरा मामला | यंग भारत न्यूज

Nepal सरकार ने सोशल मीडिया पर क्यों लगाया बैन? जानें पूरा मामला | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।नेपाल में अचानक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगने से देशभर में अफरातफरी मच गई है। सरकार के इस चौंकाने वाले कदम ने लाखों लोगों के दैनिक जीवन, व्यापार और सूचना के प्रवाह को बुरी तरह प्रभावित कद दिया है। इस फैसले ने न केवल डिजिटल अधिकारों पर बहस छेड़ दी है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकार वास्तव में 'डिजिटल युग' में अनियंत्रित प्लेटफार्मों को नियंत्रित कर सकती है। 

द काठमांडू पोस्ट के अनुसार, गुरुवार को नेपाल की संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने घोषणा की कि सरकार ने बिना पंजीकरण के चल रहे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को विनियमित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुरूप यह निर्णय लिया है। 

इस फैसले के तुरंत बाद नेपाल दूरसंचार प्राधिकरण ने 26 प्लेटफार्मों की एक सूची जारी की जिन्हें ब्लॉक किया जाना था। इस सूची में फेसबुक, मैसेंजर, इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर), यूट्यूब, व्हाट्सएप, लिंक्डइन और यहां तक कि टिकटॉक भी शामिल थे। यह प्रतिबंध रातोंरात लागू हुआ, जिससे लोगों को अपने प्रियजनों से संपर्क करने, व्यापार चलाने और सूचनाएं साझा करने में भारी मुश्किलें आईं। 

कई उपयोगकर्ताओं ने "आखिरी फोटो" पोस्ट करना शुरू कर दिया जो इस अचानक हुए डिजिटल अलगाव से उत्पन्न सदमे और निराशा को दर्शाता है। 

नेपाल सरकार ने यह कदम क्यों उठाया? 

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नेपाल सरकार का कहना है कि यह कदम "2023 के सोशल मीडिया के उपयोग को विनियमित करने वाले निर्देश" के तहत उठाया गया है, जिसके अनुसार सभी प्लेटफार्मों को तीन महीने के भीतर पंजीकरण कराना, लाइसेंस लेना, हर तीन साल में इसे नवीनीकृत करना और नेपाल में एक संपर्क व्यक्ति नियुक्त करना अनिवार्य है। 

नेपाल संचार मंत्रालय के प्रवक्ता गजेंद्र ठाकुर ने बताया कि कई प्लेटफार्मों ने इन निर्देशों को नजरअंदाज कर दिया। मंत्रालय ने बार-बार अनुपालन के लिए अनुरोध किया, लेकिन कंपनियां विफल रहीं। 

नेपाल के संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने कहा, "हमने राजनयिक चैनलों के माध्यम से चर्चा करने की कोशिश की, लेकिन कंपनियों ने सहयोग से इनकार कर दिया। इसलिए, हमने सभी अपंजीकृत प्लेटफार्मों को बंद करने का फैसला किया है।"

मेटा का जवाब और वायबर पर भीड़ 

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हालांकि यह अफवाह फैलाई गई कि फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप की मूल कंपनी मेटा, नेपाली अधिकारियों के साथ संपर्क में है और स्थानीय कानूनों का पालन करने के लिए तैयार है। गजेंद्र ठाकुर ने इसकी पुष्टि की और बताया कि मेटा ने एक ईमेल भेजकर आवश्यक दस्तावेजों के बारे में जानकारी मांगी है। इस खबर के बाद भी हजारों नेपाली उपयोगकर्ता वैकल्पिक प्लेटफार्मों की ओर भागे। 

अचानक, जापानी कंपनी राकुटेन के स्वामित्व वाले वायबर को डाउनलोड करने वालों की संख्या में भारी उछाल आया। गुरुवार शाम तक, गूगल प्ले स्टोर पर नेपाल में अचानक ट्रैफिक बढ़ने से समस्याएं आ रही थीं। 

Nepal सरकार ने सोशल मीडिया पर क्यों लगाया बैन? जानें पूरा मामला | यंग भारत न्यूज
Nepal सरकार ने सोशल मीडिया पर क्यों लगाया बैन? जानें पूरा मामला | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

क्या कहते हैं नेपाली विशेषज्ञ

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यह फैसला दूरदर्शिता रहित नेपाल के डिजिटल अधिकारों के विशेषज्ञ इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं। 

डिजिटल राइट्स नेपाल के कार्यकारी निदेशक संतोष सिगदेल ने इसे "कठोर कदम" बताया और कहा कि यह सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और संवैधानिक अधिकारों पर गहरा प्रभाव डालेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की "सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म" की परिभाषा में स्पष्टता की कमी ने अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है, जिससे इस निर्णय को लागू करना मुश्किल हो गया है। 

एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि नेपाल को प्रशासनिक निर्देशों के बजाय संसद द्वारा पारित कानूनों के माध्यम से सोशल मीडिया को विनियमित करना चाहिए। उन्होंने भारत का उदाहरण दिया, जहां सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और उसके 2021 के नियमों में प्लेटफार्मों के लिए स्व-नियमन और सामग्री वर्गीकरण जैसी जिम्मेदारियां तय की गई हैं। 

अर्थव्यवस्था और व्यापार पर असर नेपाल में इंटरनेट का 80% ट्रैफिक सोशल मीडिया से आता है, जिसमें फेसबुक, मैसेंजर, इंस्टाग्राम, एक्स और यूट्यूब का दबदबा है। 

देश में 2.97 मिलियन इंटरनेट सब्सक्राइबर हैं, जिनमें से 1.35 करोड़ फेसबुक उपयोगकर्ता हैं। इस प्रतिबंध ने छोटे व्यवसाय मालिकों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है, जो अपने उत्पादों के विपणन और बिक्री के लिए सोशल मीडिया पर निर्भर थे, खासकर त्योहारी सीजन से पहले। 

काठमांडू के एक छोटे व्यवसाय की सह-संस्थापक किरण तिमसिना ने फेसबुक पर लिखा, "कुछ भी हो, हमें गणतंत्र में फलना-फूलना है।" उन्होंने अपने ग्राहकों को ऑर्डर देने के लिए टिकटॉक और वायबर का उपयोग करने का सुझाव दिया।

पहले भी नेपाल में प्रतिबंधित होते रहे सोशल मीडिया प्लेटफार्म

आपको बता दें कि नेपाल में प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध का एक इतिहास रहा है, जिसमें सरकार ने बाद में अपने फैसले को वापस ले लिया है। 

नवंबर 2023 में नेपाल सरकार ने टिकटॉक को "सामाजिक सद्भाव के लिए खतरा" बताते हुए प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन अगस्त 2024 में इसकी मूल कंपनी बाइटडांस के नियमों का पालन करने का वादा करने के बाद प्रतिबंध हटा लिया गया था। 

इसी तरह, जुलाई 2024 में टेलीग्राम को धोखाधड़ी और धन-शोधन के लिए कथित उपयोग के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन तब से उसने मंत्रालय के साथ पंजीकरण के लिए आवेदन किया है। 

इंटरनेट सेवा प्रदाता एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर पराजुली ने कहा है कि उन्होंने एक तकनीकी समिति का गठन किया है जो पहुंच को अवरुद्ध करने की प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार करेगी। सरकार को उम्मीद है कि ये प्रतिबंध शुक्रवार शाम से लागू हो जाएंगे, जब प्रक्रियाएं पूरी हो जाएंगी। 

यह निर्णय न केवल नेपाली नागरिकों के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि यह डिजिटल युग में सरकारों के लिए एक जटिल चुनौती भी प्रस्तुत करता है: कैसे ऑनलाइन प्लेटफार्मों को नियंत्रित किया जाए, बिना डिजिटल स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित किए। नेपाल का यह कदम शायद भविष्य में इसी तरह की परिस्थितियों का सामना करने वाले अन्य देशों के लिए एक केस स्टडी बन सकता है। 

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