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Education News: पढ़ेगा तो बढ़ेगा देश लेकिन कैसे, 37 लाख से ज्यादा बच्चों ने छोड़ा स्कूल, 16 लाख लड़कियां भी पढ़ाई से वंचित

साक्षरता और शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं चला रही हैं, लेकिन इनका खास असर होती नहीं दिख रहा है। बीते एक साल में करीब 37 लाख बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया।

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Manish Tilokani
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
हर साल कई बच्चे अलग-अलग कारणों के चलते पढ़ाई छोड़ देते हैं। इस साल स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की संख्या में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई है। बच्चों के स्कूलों को छोड़ने के जो आंकड़े सामने आए हैं, वे हैरान करने वाले हैं। भारतीय संविधान का आर्टिकल 21A भी शिक्षा के अधिकार की बात करता है। इसे मूलभूत अधिकार की श्रेणी में डाला गया है। इसके तहत पहली से लेकर आठवीं तक के स्टूडेंट्स को फ्री एजुकेशन की सुविधा भी दी जाती है। देश की सरकारें लगातार पढ़ाई-लिखाई को बढ़ावा देती रही हैं, इसके बावजूद छात्रों की संख्या में गिरावट चौंकाने वाली है।

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 एक साल में कम हुए 37 लाख छात्र

UDISE+ Report:एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई+) की एक रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में दिखाए गए डेटा के अनुसार छात्रों के एडमिशन में गिरावट आई है। साल 2023-24 के आंकड़ों से ये साफ जाहिर है कि बीते वर्ष बड़ी तादाद में छात्र स्कूलों से दूर हुए हैं। कई छात्रों ने अपनी स्कूली शिक्षा पर विराम लगाने का निर्णय लिया। रिपोर्ट की मानें तो 2022-23 में कुल 25.17 करोड़ छात्र स्कूलों में नामांकित थे। मगर 2023-24 में यह संख्या घटकर अब 24.80 करोड़ रह गई है। इसके अनुसार छात्रों के नामांकन में 37.45 लाख की भारी गिरावट आई है। इसी तरह लड़कियों के नामांकन में भी 16 लाख की कमी देखी जा सकती है। वहीं 21 लाख कम लड़कों के नामांकन का डेटा साफ है। 

अल्पसंख्यक छात्रों का नामांकन है कम 

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UDISE 2023-24 के हिसाब से राष्ट्रीय स्तर पर सबसे कम पंजीकृत छात्र अल्पसंखयक समुदाय के हैं। रिपोर्ट में मौजूद डेटा के आधार पर 26.9 प्रतिशत छात्र सामान्य श्रेणी, 18 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 9.9 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 45.2 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी से हैं।

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