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"निजी अस्पताल मरीजों को एटीएम समझ बैठे हैं", इलाहाबाद हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निजी अस्पतालों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि मरीज कोई एटीएम मशीन नहीं हैं। कोर्ट ने देवरिया के डॉक्टर की याचिका खारिज की, जिस पर भ्रूण की मौत और पैसे वसूलने का आरोप है।

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Dhiraj Dhillon
Allahabad High Court
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। Allahabad High Court ने निजी अस्पतालों की मुनाफाखोरी और लापरवाह रवैये पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कड़े शब्दों में कहा- “मरीज कोई एटीएम मशीन नहीं हैं, जिससे सिर्फ पैसा निकाला जाए।” यह टिप्पणी देवरिया जिले के एक पुराने मेडिकल लापरवाही मामले की सुनवाई के दौरान की गई। कोर्ट ने सख्त लहजे में एक डॉक्टर की याचिका को खारिज करते समय ये बातें कहीं। कोर्ट की इस तल्ख टिप्पणी ने निजी अस्पतालों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है।

2008 का मामला, अब भी नहीं मिला न्याय

यह मामला वर्ष 2008 का है, जब देवरिया जिले में एक गर्भवती महिला को सिजेरियन डिलीवरी के लिए अस्पताल ले जाया गया था। आरोप है कि डॉक्टर अशोक कुमार राय ने लापरवाही बरती, जिससे भ्रूण की मौत हो गई। पीड़ित पक्ष की ओर से मामले एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस एफआईआर में डॉक्टर पर ₹8,700 लेने के बाद ₹10,000 और मांगने, डिस्चार्ज स्लिप न देने और परिजनों से दुर्व्यवहार व मारपीट का भी आरोप लगाया था।

हाईकोर्ट ने याचिका की खारिज, तीखी फटकार

इस मामले में डॉक्टर अशोक कुमार राय ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की एकल पीठ ने डॉक्टर अशोक राय की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वालों को कानून के दायरे में लाना जरूरी है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि "निजी अस्पताल अब सेवा नहीं, व्यवसाय चला रहे हैं। मरीजों को पैसे का साधन समझा जा रहा है।" कोर्ट ने सीधे शब्दों में कहा-"आज के दौर में निजी अस्पताल, मरीजों को एटीएम मशीन समझ बैठे हैं। जब मर्जी पैसा निकालो, सेवा और मानवता नाम की चीज नहीं बची है।"
Allahabad High Court
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