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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय के 2022 के महंगाई भत्ता (डीए) आदेश के खिलाफ दायर अपील सहित अन्य याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में राज्य सरकार से कहा था कि वह अपने कर्मचारियों को जुलाई 2009 से महंगाई भत्ते का बकाया जारी करे।
अभिषेक सिंघवी और हुजेफा अहमदी राज्य सरकार की ओर से पेश
न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने फैसला सुरक्षित रखने से पहले राज्य सरकार की ओर से अभिषेक सिंघवी और हुजेफा अहमदी सहित वरिष्ठ अधिवक्ताओं तथा कर्मचारियों के परिसंघ एवं अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया तथा अन्य की दलीलें सुनीं। उच्च न्यायालय ने 20 मई, 2022 को राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एसएटी) के एक आदेश को बरकरार रखा था और तृणमूल कांग्रेस सरकार को जुलाई 2009 से महंगाई भत्ते का बकाया जारी करने का निर्देश दिया, जब राज्य में वेतन और भत्ते का संशोधन (आरओपीए) तीन महीने के भीतर लागू हुआ था।
महंगाई भत्ता प्राप्त करने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है या नहीं
इसने कहा था कि राज्य सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों को अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक औसत की पद्धति का उपयोग करके गणना की जाने वाली दर पर महंगाई भत्ते का भुगतान न कर पाने के संबंध में वित्तीय असमर्थता का रुख स्वीकार्य नहीं है। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दायर अपील सहित चार याचिकाओं पर सुनवाई की। निर्णय के लिए उठाए गए प्रमुख मुद्दों में से एक यह भी है कि क्या ‘‘महंगाई भत्ता प्राप्त करने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है या नहीं।
न्यायमूर्ति करोल ने आदेश सुरक्षित रखते हुए पक्षकारों के वकीलों से दो सप्ताह के भीतर व्यापक लिखित अभ्यावेदन दाखिल करने को कहा। शीर्ष अदालत ने 16 मई को एक अंतरिम आदेश में राज्य सरकार को अगले तीन महीनों के भीतर अपने कर्मचारियों को बकाया महंगाई भत्ते का 25 प्रतिशत भुगतान करने को कहा था। supreme court | Supreme Court commen Supreme Court comment n