Advertisment

करोड़ों की रकम को लेकर इतने बेपरवाह क्यों थे जस्टिस यशवंत वर्मा?

अभी तक ये पता नहीं लग सका कि जो रकम जली वो करोड़ों में कैसे थी। क्या किसी ने इनको गिना था। अगर गिना था तो वो शख्स कौन था। उसको सामने लाया जाना चाहिए।

author-image
Shailendra Gautam
एडिट
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा

Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कःजस्टिस यशवंत वर्मा का नाम मौजूदा समय में हर कोई जानता है। उन्हें किसी परिचय की जरूरत नहीं। क्योंकि हाल ही में एक खबर सामने आई थी कि उनके घर से करोड़ों रुपये जली हुई हालत में मिले थे। हालांकि जस्टिस वर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने इन हाउस कमेटी बनाई थी, जिसकी रिपोर्ट है कि इस मामले में वो दागी हैं। उसके बाद तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने उनसे मुलाकात करके इस्तीफा देने को कहा था पर यशवंत वर्मा नहीं माने। नतीजतन सीजेआई ने सरकार को सारा मामला भेजकर कहा कि महाभियोग चलाया जाए।

Advertisment

हालांकि यशवंत वर्मा दोषी हैं या नहीं ये बात गहन जांच के बाद ही सामने आ सकती है। लेकिन इस मामले में बहुत सारे सवाल ऐसे हैं जिनका सवाल तलाशना उतना आसान नहीं है। Judiciary | Indian Judiciary | judiciary of india

14 मार्च की रात 11.35 बजे जस्टिस वर्मा के घर लगी थी आग

14 मार्च की रात 11.35 बजे लुटियंस दिल्ली में बने यशवंत वर्मा के बंगले पर आग लगने की खबर सामने आई थी। टीम जब वहां पहुंची तो आग स्टोर रूम में लगी थी, जिसे बुझाने में 15 मिनट लगे। आग तो बुझ गई लेकिन इस मामले में नया मोड़ तब आया जब ये बात फैली कि जस्टिस के घर में जो आग लगी थी उसमें काफी सारे नोट भी जले हुए मिले। कुछ देर बाद एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा। फायर ब्रिगेड ने पहले जले हुए नोट जस्टिस के घर से मिलने की बात मानी पर मामले में तब ट्विस्ट आ गया जब दिल्ली फायर ब्रिगेड चीफ अतुल गर्ग ने कहा कि जस्टिस यशवंत वर्मा के घर आग बुझाने के दौरान फायर ब्रिगेड की टीम को कोई नकदी नहीं मिली। लेकिन तब तक बात का बतंगड़ बन चुका था। सुप्रीम कोर्ट मामले में रुचि लेने लगा था। 

Advertisment

आग लगने के 1 सप्ताह बाद सुप्रीम कोर्ट से खबर आई कि जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने उस वीडियो को बी वेबसाइट पर डाल दिया जिसमें जले हुए नोट दिख रहे थे। उसके बाद इन हाउस कमेटी बनाकर मामले की जांच कराई गई। 

अहम सवाल जो मांग रहे जवाब

जस्टिस वर्मा के घर पर जब आग लगी तब वो वहां नहीं थे। उनके स्टाफ ने फोन पर उनको बताया कि आउट हाउस में आग लगी है। जस्टिस ने उनसे कहा कि दमकल को बुलाओ। अगर पैसे उनके थे तो जस्टिस वर्मा को पता तो होगा ही। वैसे भी आग स्टोर में लगी थी। ऐसे में वो दमकल को बुलाने से गुरेज करते। मुलाजिमों से ही कहते कि कैसे भी आग बुझाओ। 

Advertisment

अभी तक ये पता नहीं लग सका कि जो रकम जली वो करोड़ों में कैसे थी। क्या किसी ने इनको गिना था। अगर गिना था तो वो शख्स कौन था। उसको सामने लाया जाना चाहिए। 

जस्टिस वर्मा के पास करोड़ों रुपये थे तो वो उन्हें आउट हाउस में क्यों रखेंगे। घर के मुलाजिम सरकारी थे। सिक्योरिटी में सीआरपीएफ तैनात थी। इनमें से कोई भी जस्टिस के इतने भरोसे का नहीं होगा जिसकी निगरानी में करोड़ों रुपये की रकम छोड़ी जा सके। 

जिस स्टोर रूम में आग लगी उसमें ताला बंद था लेकिन उसकी चाभी घर में ही थी। जब जस्टिस को बताया गया तो उन्होंने खुद ही एक कारिंदे को कहा कि ताला खोलकर आग बुझाओ। अगर जस्टिस ने करोड़ों रुपये स्टोर रूम में रखे होते तो वो ताला कभी न खोलने देते। 

Advertisment

आउट हाउस या स्टोर बंगले के परिसर में मौजूद है। उस जगह पर इतनी बड़ी रकम रखना जोखिम भरा होता। क्योंकि घर के पिछले दरवाजे पर सिक्योरिटी नहीं होती और बंगले की दीवार को फांदकर उसमें दाखिल होना कोई बहुत बड़ा काम नहीं है।

वैसे भी आज के दौर में पैसे को ठिकाना लगाना उतना मुश्किल काम नहीं है। हवाला के जरिये मिनटों में कितनी भी बड़ी रकम मनमाफिक जगह पर भेजी जा सकती है।   

शेखर यादव केस में सुस्ती तो वर्मा के मामले में जल्दबाजी क्यों

सुप्रीम कोर्ट ने इतनी जल्दबाजी क्यों की। तुरंत ही वर्मा का तबादला कर दिया गया। तुरंत ही जांच कमेटी बन गई और पहली दफा सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सारी घटना का ब्योरा था। जबकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव की हेट स्पीच के केस में सुप्रीम कोर्ट छह महीने में छह कदम भी नहीं चल सका है। जजेस के बीच इगो की लड़ाई बेहद आम है। मौजूदा सीजेआई बीआर गवई की डीवाई चंद्रचूड़ से कभी नहीं बनी तो यूयू ललित चंद्रचूड़ से खार खाते थे।  

जाने माने वकील कपिल सिब्बल ने जस्टिस वर्मा के केस में जो सवाल उठाए उनके जवाब तभी मिल सकेंगे जब गहन जांच की जाए। गेंद अब सरकार के पाले में है। सरकार महाभियोग को लेकर आती है तो स्पीकर को जजेस इन्क्वायरी एक्ट के तहत कमेटी बनानी होगी। उसकी जांच में बहुत सारे सवालों के जवाब तलाश किए जाएंगे, तभी शायद इन सवालों का जवाब मिल सके। 

yashwant verma, delhi high court, supreme court, trending

Judiciary Indian Judiciary judiciary of india
Advertisment
Advertisment