कानपुर, वाईबीएन नेटवर्क (Kanpur News)
कानपुर देहात की सिकंदरा तहसील के सिहुरा गांव में शुक्रवार को जो हुआ, उसने एक पूरे परिवार की दुनिया उजाड़ दी और शिक्षा तंत्र की शर्मनाक सच्चाई सामने ला दी। 13 वर्षीय हर्ष, जो अपने पिता की बीमारी और घर की आर्थिक हालत के बावजूद पढ़ाई कर रहा था, स्कूल के लंच टाइम में दुकान से पढ़ने के लिए रजिस्टर और पीने के लिए कोल्ड ड्रिंक लेने गया था। लौटते वक्त नाबालिग ट्रैक्टर चालक रोहित ने उसे कुचल डाला। हर्ष की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।
लेकिन असली कहानी यहीं से शुरू होती है।
जब पुलिस ने मौके पर शव देखा, तो हर्ष की बॉडी पर स्कूल की ड्रेस थी। गांववालों और बच्चों ने साफ कहा—हर्ष स्कूल आया था। लेकिन स्कूल के प्रधानाचार्य शैलजा त्रिवेदी और पूरा स्टाफ झूठ पर झूठ बोलता रहा। बच्चा स्कूल आया ही नहीं।"
छुपा दिया गया बैग, बदल दी गई हाजिरी!
ग्रामीणों और बच्चों के अनुसार, मृतक हर्ष का बैग स्कूल ऑफिस के स्टोर में छुपा दिया गया ताकि यह लगे कि वह स्कूल नहीं आया था। यही नहीं, हाजिरी रजिस्टर में ‘प्रेजेंट’ को ‘एब्सेंट’ में बदला गया। ग्रामीण जब रजिस्टर तक पहुंचे, तो उनका गुस्सा फूट पड़ा।
डर के साए में बच्चों के बयान, अध्यापक दे रहे थे धमकी
मौके पर पहुंची तहसीलदार सुप्रिया यार्गीक ने जब जांच की, तो बच्चों ने बताया कि उन्हें अध्यापकों ने धमकाया था—"किसी से मत कहना कि हर्ष स्कूल आया था।" स्कूल के अध्यापक शैलजा त्रिवेदी ने बच्चों को चुप रहने को कहा।
घर में थी शादी, लौट आया मातम
5 मई को हर्ष की बड़ी बहन की शादी थी। घर में खुशी का माहौल था, लेकिन वह लाश में बदल गया। एक गरीब, बीमार पिता शिव सागर का इकलौता सहारा, पांच बहनों का भाई, अब किसी की लापरवाही और सिस्टम की लज्जा जनक चुप्पी का शिकार बन चुका है।