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बुलेटप्रूफ प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी का डेटा चोरी,पुलिस टरकाती रही

कानपुर में बुलेट प्रूफ प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी का डेटा चोरी हो गया।कंपनी की ओर से पुलिस से शिकायत भी हुई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई जिसके बाद कंपनी ने कोर्ट की शरण ली।कोर्ट के आदेश पर कंपनी के डिप्टी मैनेजर ने साइबर थाने में मुकदमा दर्ज कराया।

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Saras Bajpai
साइबर क्राइम

फाइल फोटो वाईबीएन नेटवर्क Photograph: (बाईबीएन न्यूज नेटवर्क)

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कानपुर में बुलेट प्रूफ प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी का डेटा चोरी हो गया।कंपनी की ओर से पुलिस से शिकायत भी हुई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई जिसके बाद कंपनी ने कोर्ट की शरण ली।कोर्ट के आदेश पर कंपनी के डिप्टी मैनेजर ने साइबर थाने में मुकदमा दर्ज कराया।अब पुलिस पूरे मामले की जांच  में जुट गई है।

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35 वर्षों से बुलेट प्रूफ जैकेट और बैलेस्टिक प्रोडक्ट बनाती है कंपनी

चकेरी थानाक्षेत्र के गांधी ग्राम में स्थित MKU कंपनी मुख्यत बुलेट प्रूफ जैकेट ,हेलमेट समेत कई प्रकार के बैलेस्टिक प्रोडक्ट बनाती  और बेचती है।कंपनी इस काम को विगत 35 वर्षों से लगातार कर रही है। कंपनी के डिप्टी मैनेजर गौतम मतानी के मुताबिक कंपनी बैलेस्टिक उत्पादों के एक्सपोर्ट में भारत के रक्षा मंत्रालय ,गृह मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय से उनके आधिकारिक वेबसाइट पर प्रत्येक एक्सपोर्ट से पहले अनुमति और अनापत्ति प्रमाण पत्र लेती है।जिसके बाद ही एक्सपोर्ट किया जाता है।

अधिकारिक वेबसाइट से चोरी हुआ डेटा

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कंपनी के डिप्टी मैनेजर गौतम मतानी के मुताबिक कंपनी द्वारा जो भी एक्सपोर्ट किया जाता है उस प्रोडक्ट  की डिजाइन से लेकर सारी डिटेल रक्षा मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर कंपनी की तरफ से अपलोड किया जाता है।बेवसाइट का लॉग इन आईडी और पासवर्ड रक्षा मंत्रालय द्वारा पंजीकृत कंपनी को उपलब्ध कराया जाता है ।इसी तरह से MKU कंपनी ने डिटेल अपलोड करती है।

अगस्त 2024 में हुई थी डेटा चोरी की जानकारी

2024 अगस्त माह में पता चला कि रक्षा मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर कंपनी के पोर्टल में कुछ अनाधिकृत व्यक्ति अवैध तरीके से एक्सेस कर गए और कंपनी का अत्यधिक गोपनीय आधिकारिक डेटा चोरी कर लिया।

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चार हजार आईपी एड्रेस हुए एक्टिव,700 संदिग्ध

कंपनी ने रक्षा मंत्रालय को विगत 7 सितम्बर को ईमेल भेजकर जानकारी मांगी की विगत 1 जनवरी 2024 से 31 मई 24 तक कंपनी के पेज पर किस किस आईपी एड्रेस द्वारा एक्सेस किया गया। जिसके बाद रक्षा मंत्रालय ने ईमेल का जवाब देते हुए 4000 आईपी एड्रेस का डेटा कंपनी को भेज दिया।इन सभी आईपी एड्रेस से कंपनी के पेज पर एक्सेस हुआ था।कंपनी ने इन सभी आईपी एड्रेस की अपने स्तर पर जांच की तो करीब 700 आईपी एड्रेस संदिग्ध मिले।कंपनी द्वारा आर्मी को जैकेट और हेलमेट की सप्लाई की जाती है।इसके अलावा विदेशों से भी ऑर्डर होते है।ये सभी जानकारी गोपनीय होती है ऐसी सूचनाओं का चोरी होना बड़ी बात है।

पुलिस ने नहीं की सुनवाई तो की कोर्ट की शरण

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कंपनी की तरफ से मामले की शिकायत  पुलिस से की गई लेकिन मामले में न तो रिपोर्ट लिखी गई और न ही कोई सुनवाई हुई।जिसके बाद कंपनी ने कोर्ट  की शरण ली।अपर जूनियर डिविजनल कोर्ट के आदेश के पास साइबर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया।अब पुलिस आईपी एड्रेस के जरिए ही मामले की जांच में जुटी है।

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