लेटलतीफी और काम से जी चुराने वाले अधिकारियों कर्मचारियों के पेंच टाइट करने के साथ ही जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने अब मनमानी कर रहे स्कूलों की नकेल भी कसनी शुरू की है। सोमवार को हुई बैठक में कुछ अभिभावकों ने स्कूलों की मनमानी की शिकायत की। इससे पहले भी स्कूलों की मनमानी संबंधी शिकायतों पर कई विद्यालयों को नोटिस जारी किए गए थे। विद्यालयों की ओर से मिले जवाब पर डीएम संतुष्ट नहीं हुए। इस पर इन्हें फिर नोटिस देकर 9 अप्रैल को पूरे अभिलेखों के साथ तलब किया गया है।
डीएम ने की जनपदीय शुल्क नियामक समिति की बैठक
जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में जनपदीय शुल्क नियामक समिति की बैठक सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार में हुई। इसमें समिति के सदस्यों के अलावा समिति की विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन भी उपस्थिति रहीं।
अभिभावक ने लगाए ये आरोप
बैठक में गुजैनी निवासी अभिभावक रजनीश उर्फ नीरज लोहिया ने बताया कि उनकी पुत्री कक्षा 08 में गुजैनी के एक्मे पब्लिक स्कूल में पढ़ रही है। उनका आरोप है कि विद्यालय की ओर से शुल्क तो ज्यादा लिया ही जा रहा है, गोविंदनगर के फेयरडील बुक सेलर एण्ड स्टेशनरी से कॉपी- किताबें भी अधिक मूल्य पर खरीदने को विवश किया जा रहा है।
नोटिस के जवाब संतोषजनक नहीं, 9 को फिर तलब किए गए प्रधानाचार्य
इसके अलावा जिला विद्यालय निरीक्षक (द्वितीय), सह जिला विद्यालय निरीक्षक की ओर से विद्यालयों को जारी गईं नोटिस के जवाब पर भी जिलाधिकारी व समिति के सदस्य संतुष्ट नहीं दिखे। इस पर विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को 9 अप्रैल बुधवार को समिति के समक्ष सुसंगत अभिलेख सहित उपस्थित होने के नोटिस जारी किए गए। वहीं छात्रों को किताबों की लिस्ट न देने पर विद्यालय के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए गए।
इन विद्यालयों को जारी हुए थे नोटिस
जिलाधिकारी ने एक्मे पब्लिक स्कूल गुजैनी,
एन एल के इण्टर कालेज अशोक नगर, एन एल के पब्लिक स्कूल जवाहर नगर, एस०जे० विद्या निकेतन इण्टर कालेज नौबस्ता, वेण्डी एकेडमी हाईस्कूल साकेत नगर और चिन्टल्स स्कूल रतनलाल नगर को नोटिस जारी कराए थे। विद्यालय प्रबंधन ने ज्यादा फीस और कापी किताबों संबंधी आरोपों को बेबुनियाद बताया था, जिस पर अधिकारी संतुष्ट नहीं हुए हैं।
यूनीफार्म बदलवाने वाले विद्यालयों पर भी करें कार्रवाई
समिति की बैठक में जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि 5 वर्षों में जितने स्कूलों ने बच्चों की यूनिफॉर्म बदलवायी है, उनकी लिस्ट बनाते हुए उन पर कार्रवाई की जाए। जिलाधिकारी ने समिति के सदस्यों को मनमानी फीस वसूलने और बच्चों के आर्थिक शोषण करने वाले स्कूलों की सूची बनाकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
क्या कहता है कानून
उ०प्र० स्ववित्तपोषित स्वतंत्र (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश-2018 की बिन्दु संख्या 10 में उल्लिखित किसी छात्र को पुस्तकें, जूते, मोजे व यूनिफार्म आदि किसी विशेष दुकान से क्रय करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। इस नियम के उल्लंधन पर अर्थ दंड के साथ-साथ अन्य आवश्यक कार्रवाई करना समिति के अधिकार क्षेत्र में आता है।