Advertisment

स्कूलों की मनमानी पर डीएम ने और कसी लगाम, दो टूक चेतावनी- स्कूल चलाएं न कि दुकान

जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने मनमानी पर आमादा विद्यालयों के प्रबंततत्र की लगाम और कसी है। बुधवार को जनपदीय शुल्क नियामक समिति की बैठक में कई विद्यालयों के लोग भी आए।

author-image
Akhilesh Shukla
एडिट
जनपदीय शुल्क नियामक समिति की बैठक में शामिल जिलाधिकारी व अन्य।

जनपदीय शुल्क नियामक समिति की बैठक में शामिल जिलाधिकारी व अन्य। Photograph: (कानपुर वाईबीएन )

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

कानपुर, वाईबीएन संवाददाता 

Advertisment

जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने मनमानी पर आमादा विद्यालयों के प्रबंततत्र की लगाम और कसी है। बुधवार को जनपदीय शुल्क नियामक समिति की बैठक में कई विद्यालयों के लोग भी आए। डीएम ने उन्हें सख्त हिदायत दी कि प्रबंध समिति विद्यालय चलाएं, न कि दुकान, क्योंकि नियमों के उल्लंघन पर अब सख्त कार्रवाई होगी। 

जनपदीय शुल्क नियामक समिति की बैठक

जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बुधवार को जनपदीय शुल्क नियामक समिति की बैठक कलेक्ट्रेट सभागार में हुई। बैठक में समिति के सदस्यों के साथ समिति की विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन उपस्थिति रहीं। बैठक में उन विद्यालयों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए, जिनकी अभिभावकों ने सबसे ज्यादा शिकायतें की हैं।

Advertisment

इन विद्यालयों के प्रतिनिधियों की ली गई क्लास    

जिलाधिकारी ने एक्मे पब्लिक स्कूल गुजैनी, एनएलके इण्टर कालेज अशोक नगर, एनएलके पब्लिक स्कूल जवाहर नगर, एस०जे० विद्या निकेतन इण्टर कालेज नौबस्ता, वेण्डी एकेडमी हाई स्कूल साकेत नगर और चिन्टल्स स्कूल 121 एच, आई०जी० रतनलालनगर के प्रतिनिधियों को दो- टूक कहा कि वे स्कूल चलाएं न कि दुकान। इस पर विद्यालय के प्रतिनिधियों ने कहा, उन पर पर लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद हैं। छात्रों से न तो गलत फीस वसूली जा रही है और न ही उन्हें किताब अथवा कॉपी किसी चुनिंदा दुकान से खरीदने को बाध्य किया जाता है। 

जवाब से डीएम संतुष्ट नहीं, 11 को फिर बैठक, बुकसेलर्स को भी बुलाया  

Advertisment

प्रतिनिधियों के जवाब से जिलाधिकारी व समिति के सदस्य संतुष्ट नहीं दिखे। इसलिए उन्होंने 11 अप्रैल शुक्रवार को समिति के समक्ष बुकसेलर्स को भी बुलाने के निर्देश दिए। जिला विद्यालय निरीक्षक व अन्य सदस्यों को निर्देशित करते हुए कहा कि बुकसेलर्स और विद्यालय प्रबंधन की साठगांठ की जांच की जाए। 

अभिभावकों से लें फीडबैक 

उन्होंने कहा कि राजस्व एवं शिक्षा विभाग की टीम अभिभावकों के घर-घर जाकर उनका फीडबैक ले ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके। बैठक में विद्यालय के प्रतिनिधियों द्वारा बच्चों संग किताबों की लिस्ट साझा करने की बात कही गई लेकिन जिलाधिकारी इससे संतुष्ट न हुए। उन्होंने उनसे पूछा कि उनके विद्यालय द्वारा बच्चों के पठन-पाठन हेतु लागू की गई किताबें क्या प्रत्येक दुकानों पर उपलब्ध रहती हैं, सिलेबस क्या होता है और कितने दिनों में बदल जाता है, कॉपी- किताबों पर प्रकाशक का नाम और मूल्य लिखा जाता है अथवा नहीं। जिलाधिकारी ने प्रतिनिधियों से किताबों के चयन के आधार के बारे में भी पूछा जिसका वे जवाब नहीं दे पाए। 

Advertisment

शैक्षिक सत्र शुरू होने के 60 दिन पहले सरकारी वेबसाइट पर डाटा अपलोड की जानकारी मांगी 

उन्होंने जिला विद्यालय निरीक्षक, द्वितीय को नियमानुसार शैक्षिक सत्र शुरू होने से 60 दिन पहले विद्यालयों के द्वारा सरकारी वेबसाइट पर समस्त डाटा अपलोड करने या ना करने वाले विद्यालयों की सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने बच्चों के यूनिफॉर्म बदलने के आधार को भी जानना चाहा जिसका प्रतिनिधियों द्वारा सही जवाब नहीं दिया गया। इस पर जिलाधिकारी ने समिति के सदस्यों से फीस, यूनिफार्म, आरटीई, कॉपी-किताबें इत्यादि समस्त मानकों की गहनता से जांच के निर्देश दिए। 

पांच साल में यूनीफार्म बदलने वालों पर करें कार्रवाई 

डीएम ने निर्देश दिए कि 5 वर्षों में जितने स्कूलों ने बच्चों की यूनिफॉर्म बदलवायी है, उनकी लिस्ट बनाते हुए उन पर कार्रवाई की जाए। इसके अलावा जिलाधिकारी ने समिति के सदस्यों को मनमानी फीस वसूलने और बच्चों के आर्थिक शोषण करने वाले स्कूलों की सूची बनाकर पेश करते हुए दंडात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए। 

ये है कानून 

उ०प्र० स्ववित्तपोषित स्वतंत्र (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश-2018 की बिन्दु संख्या 10 में उल्लिखित किसी छात्र को पुस्तकें, जूते, मोजे व यूनिफार्म आदि किसी विशेष दुकान से क्रय करने के लिए बाध्य नहीं किये जाने की व्यवस्था है। इसके उल्लंघन पर अर्थ दंड के साथ-साथ अन्य आवश्यक कार्रवाई करना समिति के अधिकार क्षेत्र में आता है।

Kanpur News kanpur news today
Advertisment
Advertisment