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पूर्व अध्यक्ष नरेश व महामंत्री आदित्य सहित पांच अधिवक्ता बार एसोसिएशन से बाहर

एक मामले में बार काउंसिल से मिले एक निर्देश के आधार पर कानपुर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व महामंत्री सहित पांच अधिवक्ताओं की बार एसोसिएशन की सदस्यता समाप्त कर दी गई। आम वकीलों का कहना है कि इसका मतलब इन्हें बार एसोसिएशन से बाहर कर दिया गया।

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Akhilesh Shukla
बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नरेश चंद्र त्रिपाठी और पूर्व महामंत्री आदित्य सिंह।

बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नरेश चंद्र त्रिपाठी और पूर्व महामंत्री आदित्य सिंह। Photograph: (फोटो-वाईबीएन)

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कानपुर, वाईबीएन संवाददाता 

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एक मामले में बार काउंसिल से मिले एक निर्देश के आधार पर कानपुर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व महामंत्री सहित पांच अधिवक्ताओं की बार एसोसिएशन की सदस्यता समाप्त कर दी गई। आम वकीलों का कहना है कि इसका मतलब इन्हें बार एसोसिएशन से बाहर कर दिया गया। हालांकि कुछ अधिवक्ताओं का कहना है कि इस मामले में बार काउंसिल की तरफ से फिलहाल कार्रवाई पर रोक लगाते हुए अगली बैठक के बाद कुछ फैसला होने की बात कही गई है।

इस मामले में हुआ था कार्रवाई का आदेश 

कानपुर बार एसोसिएशन के मिले बार काउंसिल के एक पत्र में कहा गया था कि सिविल जज सीनियर डिवीजन के नाम पर अधिवक्ताओं ने एक फर्जी आदेश बनवाकर लागू कर दिया।  इसकी जानकारी जब बार काउंसिल को हुई तो बार काउंसिल ने कार्यवाही करते हुए कानपुर बार एसोसिएशन को इन सभी आरोपित पांचों अधिवक्ताओं की सदस्यता को समाप्त करने के निर्देश जारी किए थे। बताया गया है कि इस संदर्भ में बीते बुधवार को बार एसोसिएशन की एक बैठक हुई थी और इसमें निर्णय लिया गया था कि आरोपित सभी पांचो अधिवक्ताओं के सदस्यता समाप्त कर दी जाए और आज सभी पांचो अधिवक्ताओं की सदस्यता को समाप्त कर दिया गया है। 

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बार एसोसिएशन के महामंत्री अमित सिंह ने दी जानकारी 

कानपुर बार एसोसिएशन के महामंत्री अमित सिंह ने बताया कि बार एसोसिएशन ने बैठक कर बार कौंसिल ऑफ़ उत्तर प्रदेश के निर्देश पर इन सभी पांचों अधिवक्ताओं नरेश चंद्र त्रिपाठी, आदित्य कुमार सिंह, मनीष सिंह, सुनील भल्ला तथा श्रीमती मिथिलेश की सदस्यता को समाप्त कर दिया गया है। आपको बता दें कि आरोपित सभी पांचों वकीलों ने सिविल जज सीनियर डिवीजन के नाम पर एक फर्जी आदेश बनवा कर उसे फर्जी तरीके से लागू कर दिया। इस बात की जानकारी जब बार एसोसिएशन आफ उत्तर प्रदेश को हुई तो उन्होंने इसकी जांच की और फिर कानपुर बार एसोसिएशन को कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया। बार एसोसिएशन द्वारा जब जांच कराई गई तब मामला सही पाया गया और इस मामले में सीनियर अधिवक्ता एवं पूर्व बार एसोसिएशन कानपुर के अध्यक्ष नरेश चंद्र त्रिपाठी का भी नाम प्रमुखता से आया है। बार एसोसिएशन ने इन सभी लोगों की सदस्यता को रद्द कर दिया है तथा लाइसेंस को निष्क्रिय कर दिया है।

सदस्यता कैंसिल करने का मिला था आदेश

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एसोसिएशन के महामंत्री अमित सिंह ने बताया कि हाल फिलहाल उत्तर प्रदेश बार काउंसिल का एक पत्र एसोसिएशन के पास आया है और उसमें इन सभी अधिवक्ताओं को निष्कासित किए जाने की बात कही गई है। हम लोगों ने अपनी तरफ से इस मामले की जांच कराई और जांच करने के बाद इनका लाइसेंस इनकी सदस्यता कैंसिल करने को बोला है। इस मौके पर अधिवक्ता दीपक पांडे, अमित शर्मा, मनोज सिंह,  संदीप शर्मा ,जितेंद्र श्रीवास्तव, रत्नेश शर्मा आदि दर्जनों वकील मौजूद थे।

मेरा कोई लेना देना नहीं, पूरा मामला राजनीतिकः नरेश त्रिपाठी

कानपुर बार एसोसिएशन में चल रहे शह मात के खेल में एक नया मोड़ आया जब बार की अनुशासन समिति के पत्र के बाद अधिवक्ता और बार के पूर्व अध्यक्ष नरेश चंद्र त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को शपथपत्र प्रेषित करके कानपुर बार काउंसिल के किसी भी आदेश पर स्थगनादेश प्राप्त किया है। नरेश चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि ये पूरा मामला केवल राजनीतिक प्रतिशोध के कारण उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बार के वर्तमान अध्यक्ष इंदीवर बाजपेयी और महामंत्री अमित सिंह जानबूझकर हम लोगों को निष्कासित करवाने का षड्यंत्र रच रहे हैं। वहीं बार के पूर्व महामंत्री आदित्य सिंह का कहना है कि मैं फौजदारी के मामले को देखता हूं और आलोक झवर और प्रदीप झवर के सिविल नेचर के मामले में मेरा कोई लेना देना नहीं है, न ही मेरा वकालतनामा ही इसमें लगा है, जिसकी लिखित सूचना उन्होंने कानपुर बार एसोसिएशन को दी थी लेकिन केवल राजनीतिक प्रतिशोध के कारण ही वर्तमान के महामंत्री उनको बदनाम करने का काम कर रहे हैं। इस प्रकरण में मुझे समिति ने पूर्व में ही निर्दोष माना है लेकिन इसके बावजूद मेरे भाई को अब इस मामले में प्रताड़ित करने का काम किया जा रहा है।

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