कानपुर, वाईबीएन संवाददाता (Kanpur News)
पुलिस ने रिटायर्ड विजिलेंस ऑफिसर से डिजिटल अरेस्ट कर 82.30 लाख की ठगी को अंजाम देने वाले तीन शातिरों को गिरफ्तार किया है। तीनों ने यूट्यूब से डिजिटल अरेस्ट की बारीकियों को सीखा और अलीगढ़ में बैठकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया था। तीनों ठगो में एक 8वीं पास दूसरा इंटरमीडिए है, जबकि तीसरा बीफार्मा कर चुका है। अबतक ये गैंग करीब दस करोड़ से ज्यादा की ठगी को अंजाम दे चुका है। पुलिस ने उनके पास से 7.70 लाख रुपए नकदी और तीन मोबाइल बरामद किए हैं। फिलहाल सभी से पूछताछ के बाद जेल भेजा गया है।
डेढ़ माह तक रखा डिजिटल अरेस्ट
पनकी के हिमालय भवन अपार्टमेंट निवासी विनोद कुमार झा रिटायर्ड विजिलेंस ऑफिसर हैं और पत्नी के साथ रहते है। बीते 17 फरवरी को उनके पास एक अनजान नम्बर से काल आई थी। खुद को इनकम टैक्स ऑफिसर बताने वाले ने कहा था कि उनकी फर्म के नाम पर 8 लाख रुपए का कार्पोरेट टैक्स बाकी है, आप दिल्ली आ जाइए। बीमारी की बात कर विनोद ने आने में असमर्थता जताई और कहा कि उनकी कोई फर्म नहीं है। शातिरों ने फिर एक FIR कराने को बोला और सीबीआई अधिकारी बताकर किसी और व्यक्ति को काल ट्रान्सफर कर दी।
730 करोड़ फ्रॉड का मामला बता फंसाया
उसने जेल भेजने का भय दिखाया और कहा कि मामला 730 करोड़ फ्रॉड का है। इसके बाद उसने विश्वास में लिया और किसी को बताने पर खुद फंसने की बात कही। इस दौरान साइबर ठगो ने वीडियो काल के जरिए पुलिस और सीबीआई के ऑफिस का बैकग्राउंड दिखाया जिससे बुजुर्ग झांसे में आ गए।जिसके बाद शातिरों ने 49.50 लाख आरटीजीएस करा लिए। इसके बाद 26 लाख रुपए की एफडी तुड़वा ली। ज्वेलरी पर 6.80 लाख रुपए गोल्ड लोन कराया और पूरा पैसा अपने खाते में डलवा लिए। इसके अलावा फ्लैट पर भी 50 लाख का लोन कराने की तैयारी थी।लेकिन इसकी भनक परिजनों को लग गई, जिसके बाद उन्हें पता चला कि वह ठगी का शिकार हो गए।
शातिरों तक इस तरह पहुंची पुलिस
डीसीपी क्राइम एसएम कासिम आबिदी के मुताबिक विनोद झा को दो नंबरों से काल आई थी। जांच के दौरान यही नंबरों को ट्रेस कर पुलिस आरोपितों तक पहुंच पाई है।ठगी की रकम तीन अकाउंट में मंगाई गई थी। एक खाता दिल्ली का दूसरा असम और तीसरा गुहावटी का था। दिल्ली के RBL बैंक के खाते के बारे में पुलिस को पूरी जानकारी मिल गई थी।
दिल्ली पुलिस की मदद से महिला मिली
यह अकाउंट एक महिला के नाम पर दर्ज था। विवरण में ठगी के मास्टर माइंड राबी कुमार में अपना मोबाइल नंबर डाल रखा था।महिला के अकाउंट को ट्रेस कर पुलिस ने ट्रांजेक्शन रिपोर्ट मंगाई। सीसीटीवी में महिला को पैसा निकालते देखा गया। जिसके बाद दिल्ली पुलिस की मदद से महिला का पता लगाकर उससे पूछताछ की तो पता चला कि वह रॉबी के लिए काम करती है और उसे इसका पैसा मिलता है।
यूट्यूब ने इंटर पास को बना दिया फर्जी अधिकारी
महिला की सुरागसी पर तीन आरोपितों को अलीगढ़ से गिरफ्तार किया गया। तीनों दोस्तों की पहचान रॉबी कुमार, जितेन्द्र कुमार और रविन्द्र कुमार के रूप में हुई है। मास्टर माइंड रॉबी कुमार इंटर पास है। रविन्द्र कुमार 8वीं तक पढ़ा है, जबकि जितेन्द्र बीफार्मा कर चुका है। ये तीनों अलीगढ़ में ही बैठकर ठगी को अंजाम देते थे। पूछताछ में पता चला है कि रॉबी कुमार ने यूट्यूब देखकर डिजिटल अरेस्ट करने की बारीकियों को सीखा था। उसने कुछ और लोगो को भी ऑनलाइन फ्रॉड के तरीके सिखाए थे। फिलहाल तीनों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।