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उन्नाव पुलिस ने लिखा था गैंगस्टर का मुकदमा, हाईकोर्ट ने किया रद

पुलिस ने दस लोगों के खिलाफ जिस मुकदमे में गैंगस्टर की कार्रवाई की उसमें कोर्ट के आदेश पर आरोपी को बिना जमानत के जेल से रिहा किया गया था। कभी उन्नाव पुलिस के खास रहे अंशू गुप्ता का हाथ होने की बात चर्चा में आने के कारण यह मामला चर्चा का विषय बना है।

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Sunil Verma
उन्नाव की गंगाघाट पुलिस ने गैंगस्टर का मुकदमा लिखा था।

अधिवक्ता मनीष सिंह ने हाईकोर्ट द्वारा गैंगस्टर का मुकदमा रद करने की जानकारी दी है। Photograph: (वाईबीएन)

कानपुर, वाईबीएन नेटवर्क (Kanpur News)

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जाजमऊ में रहने वाले साहब लारी पर उन्नाव की गंगाघाट पुलिस ने गैंगस्टर का मुकदमा लिखा था। पुलिस ने साहब व दस लोगों के खिलाफ जिस मुकदमे में गैंगस्टर की कार्रवाई की उसमें कोर्ट के आदेश पर आरोपी को बिना जमानत के जेल से रिहा किया गया था। इस मामले में कभी उन्नाव पुलिस के खास रहे अंशू गुप्ता का हाथ होने की बात चर्चा में आने के कारण यह मामला उन्नाव व कानपुर के लोगों के बीच चर्चा का विषय बना है।

संदेह पर पुलिस ने बनाया था साजिश रचने का मुल्जिम

जानकार पुलिस सूत्रों की मानी जाये तो एक समय पुलिस के सबसे खास लोगों में शामिल उन्नाव के शातिर अंशू गुप्ता उर्फ अंशू काना की सांठगांठ के चलते पुलिस ने एक लेखपाल की तहरीर पर कुछ लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी व जमीन पर कब्जा करने का मुकदमा दर्ज कराया था जिसमें पुलिस ने जाजमऊ कानपुर में रहने वाले साहब लारी को साजिश रचने का आरोपी बनाया था। इस मामले में साहब की तरफ से दिए गए प्रार्थना पत्र पर उन्नाव के तत्कालीन जिलाधिकारी ने अपने स्तर पर जांच करायी और जांच रिपोर्ट में साहब को निर्दोष पाया। इस मुकदमें की जांच शासन स्तर पर भी हुई थी। इसमें भी पुलिस की काररवाई को गलत पाया गया था।

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लेखपाल को किया गया था निलंबित

जानकारों की मानी जाये तो जिस मुकदमे में साहब को जमीन पर कब्जा करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया। जांच में यह मामला झूठा मिलने पर मुकदमा दर्ज कराने वाले लेखपाल को निलंबित कर दिया गया था। लेखपाल के निलंबन में इस बात का जिक्र किया गया था कि लेखपाल ने जमीन के इस मामले में उच्चाधिकारियों को भ्रामक सूचना दी। इस बीच पुलिस ने साहब लारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

अदालत ने बिना जमानत के दिए थे रिहाई के आदेश

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साहब लारी के अधिवक्ता मनीष सिंह ने बताया कि पुलिस ने लेखपाल की भ्रामक तहरीर पर उनके मुवक्किल साहब लारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा। जिलाधिकारी तथा अन्य उत्तराधिकारियों की जांच में यह साबित होने पर अदालत ने उनके द्वारा एफआईआर को रद् करने की मांग पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि मुकदमा गलत लिखा गया है इसलिए प्रशासन बिना जमानत लिए ही साहब लारी को रिहा करे और एेसा ही हुआ भी। अदालत ने साहब को मुल्जिम बनाने के दो कारण भी पूछे थे जिसका पुलिस का विवेचनाधिकारी जवाब नही दे सका था। जिस पर विवेचनाधिकारी को भी दण्डित किया गया था।

झूठे मुकदमे के आधार पर की गैंगस्टर की कार्रवाई भी रद्

अधिवक्ता मनीष सिंह का कहना है कि पुलिस ने पहले लेखपाल की तहरीर पर झूठा मुकदमा लिखा, इसके बाद उस मुकदमे के आधार पर ही साहब लारी के खिलाफ गैंगस्टर की काररवाई की। हाईकोर्ट ने पूरे प्रकरण की बिन्दुवार बारीकी से सुनवाई करने के बाद गुरुवार आठ मई को साहब लारी के खिलाफ विचाराधीन गैंगस्टर के मुकदमे को रद् कर दिया।

Kanpur News
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