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सिविल लाइंस में जमीन पर कब्जे के प्रयास के आरोपी दो वकीलों की अग्रिम जमानत अर्जी हाईकोर्ट से खारिज

सिविल लाइंस में करोड़ों की जमीन पर कब्जा करने के प्रयास के आरोपी दो वकीलों को हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने इनके अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्रों को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। अब पुलिस के लिए इनकी गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है। 

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Akhilesh Shukla
इलाहाबाद हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की फाइल फोटो। Photograph: (फोटो-वाईबीएन)

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कानपुर, वाईबीएन संवाददाता 

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सिविल लाइंस में करोड़ों की जमीन पर कब्जा करने के प्रयास के आरोपी दो वकीलों को हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने इनके अग्रिम जमानत प्रार्थनापत्रों को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। अब पुलिस के लिए इनकी गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है। 

पुलिस बोली, अब होगी गिरफ्तारी 

इंस्पेक्टर कोतवाली जेपी पाण्डेय ने बताया कि अग्रिम जमानत निरस्त होने के आदेश की सर्टिफाई कॉपी निकलवाने के साथ ही आरोपियों की गिरफ्तारी का प्रयास किया जाएगा। दोनों की गिरफ्तारी के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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43 लोगों पर दर्ज हुई थी रिपोर्ट 

लेखपाल विपिन कुमार ने 28 जुलाई 2024 को सिविल लाइंस स्थित जमीन पर कब्जा करने के प्रयास में 43 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित मुख्य आरोपी है। एडवोकेट मोहित बाजपेई और एडवोकेट जितेन्द्र शुक्ला को भी नामजद किया गया था। दोनों वकीलों की को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी थी, क्योंकि हाईकोर्ट में इनकी अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही थी। 

वकीलों के अपने अपने तर्क 

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दोनों आरोपियों के मामले में जस्टिस डा. गौतम चौधरी की बेंच ने सुनवाई की। दोनों के वकीलों ने दलील दी कि पुलिस ने इन्हें द्वेषवश परेशान करने की नीयत से घटना में लिप्त किया है, जबकि इनके खिलाफ कोई विश्वसनीय सबूत नहीं है। इसके अलावा दोनों का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। कोर्ट में कहा गया कि दोनों यह वचन देते हैं कि वह जांच एजेंसी और न्यायालय जांच में पूरा सहयोग करेंगे और जब भी बुलाया जाएगा, हाजिर होंगे। अगर उन्हें अग्रिम जमानत दी जाती है तो वह जमानत की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेंगे। इस पर सरकार की तरफ से पेश एडवोकेट ने बचाव पक्ष के तर्क का प्रबल विरोध करते हुए कहा कि आरोपियों के विरूद्ध 4 फरवरी 2025 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। ऐसे में अग्रिम जमानत याचिका को निरस्त किया जाए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि वाद के गुण दोष पर बिना कोई टिप्पणी किए दोनों आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त की जाती है।

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