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बंगाल में हिंदुओं पर हिंसा से हिंदू संगठनों में उबाल, उठाई राष्ट्रपति शासन की मांग

बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की गई है, साथ ही बंगाल-बांग्लादेश सीमा पर तारबंदी का कार्य शुरू करने की भी अपील की गई है।

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Akhilesh Shukla
 बंगाल में हिंसा के विरोध में प्रदर्शन करते विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ता। प्रदर्शन में तमाम महिलाएं भी शामिल हुईं।

बंगाल में हिंसा के विरोध में प्रदर्शन करते विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ता। प्रदर्शन में तमाम महिलाएं भी शामिल हुईं। Photograph: (कानपुर वाईबीएन)

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कानपुर, वाईबीएन संवाददाता 

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बंगाल में हिंदुओं पर हो रही हिंसा से हिंदू संगठनों में उबाल है। उन्होंने वहां राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग उठाई है। इसको लेकर शनिवार को विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को दिया। प्रदर्शन में तमाम महिलाएं भी शामिल हुईं। 

प्रदर्शनकारियों में तमाम महिलाएं भी, बुलंद की ममता बनर्जी के खिलाफ आवाज 

कार्यकर्ताओं ने सरसैया घाट स्थित राम जानकी मंदिर पर एकत्रित होकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। यहां से प्रदर्शनकारियों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह को सौंपा। 

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वक्फ कानून के विरोध के नाम पर सताए जा रहे हैं हिंदू 

इस दौरान विहिप के प्रांतीय मंत्री राजू पोरवाल ने कहा कि मुर्शिदाबाद से शुरू हुई हिंसा अब पूरे बंगाल में फैल चुकी है। वक्फ कानून के विरोध के नाम पर हिंदुओं के घरों और दुकानों को लूटा और जलाया जा रहा है। उनकी हत्या की जा रही है और महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। 

बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों पर हो कठोर कार्रवाई 

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उन्होंने कहा कि इस हिंसा के चलते 500 से अधिक हिंदू परिवारों को बंगाल से पलायन करना पड़ा है। ज्ञापन में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की बढ़ती गतिविधियों पर रोक लगाने और उन पर कठोर कार्रवाई की मांग की गई है। 

राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में उठाई ये पांच मांगें 

ज्ञापन के जरिए राष्ट्रपति से पांच प्रमुख मांगें की गईं हैं। इनमें बंगाल में तत्काल राष्ट्रपति शासन लागू करना, हिंसा की सीबीआई जांच, केंद्रीय सुरक्षा बलों को कानून व्यवस्था का जिम्मा सौंपना, अवैध घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें निष्कासित करना और बंगाल-बांग्लादेश सीमा पर तारबंदी का कार्य शुरू कराना है। 

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