नौतपा के नौ दिन 25 मई से 2 जून तक चलेंगे। इन दिनों देह को झुलसा देने वाली गर्मी पड़ती है। गर्मी से बेहाल होकर आप भले ही इन नौ दिनों को कोसें, पर हकीकत में ये नौ दिन मानव जीवन के लिए प्रकृति का वरदान हैं, क्योंकि इन दिनों अगर भीषण गर्मी न पड़ी तो खेती किसानी और मानव जीवन के लिए तमाम ऐसे शत्रु नष्ट नहीं होंगे और पनप कर भारी खतरा उत्पन्न करेंगे।
महाकवि घाघ ने बताए हैं नौतपा के फायदे
महाकवि घाघ ने नौतपा के नौ दिनों में पड़ने वाली भीषण गर्मी और उसके फायदे अपनी पंक्तियों में कुछ इस तरह बताए हैं। दो मूसा दो कातरा, दो तीड़ी दो ताप, दो की बाजी जल हरे दो विश्वर दो बाव। यानी कि नौतपा के पहले दो दिन यदि लू न चले और भीषण गर्मी न पड़े तो फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले चूहे बेहिसाब पनप जाएंगे। इससे खेती किसानी को भारी क्षति होगी। दूसरे दिन से दो दिन तक गर्मी का यही सिलसिला न चला तो कातरा यानी फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट भी पनप जाएंगे, जो देखते देखते फसलों को चट कर जाते हैं। नौतपा के तीसरे दिन से दो दिन तक ऐसी ही गर्मी न पड़ी औ लू न चली तो टिड्डे दल के अंडे नष्ट नहीं होंगे। ये टिड्डे भी फसलों के दुश्मन हैं। नौतपा के चौथे दिन से दो दिन तक भी गर्मी का यही सिलसिला जारी रहना चाहिए। यदि ऐसा न हुआ तो बुखार आदि बीमारी फैलाने वाले कीटाणु पनप कर मानव जीवन के लिए खतरा बनेंगे। नौतपा के पांचवें दिन से दो दिन तक गर्म हवाएं न चलीं तो सांप बिच्छू आदि विषैले जीव पनपते हैं, जो हर तरह से नुकसानदायक होते हैं। यदि आगे के दिन गर्मी का सिलसिला तेज न रहा था आंधी तूफान आदि का खतरा उत्पन्न होगा, जो खेती किसानी के साथ ही जिंदगी के लिए भी खतरनाक हो सकते हैं। तेज आंधी तूफान पल में सब कुछ नष्ट कर सकते हैं।
प्रकृति का वरदान हैं नौतपा के नौ दिन
महाकवि घाघ का कहना है कि नौतपा के नौ दिन प्रकृति का वरदान हैं। इन्हें हंसी-खुशी मनाना चाहिए। हां, ये जरूर है कि इन दिनों खानपान में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। इन दिनों पाचन तंत्र कमजोर होने से पेय पदार्थ ज्यादा लेने चाहिए। ककड़ी, खीरा, तरबूज, खरबूजा आदि लाभदायक और गर्मी से छुटकारा दिलाने वाले फलों का सेवन करना चाहिए। साथ ही भगवान भास्कर का जल से तर्पण करना चाहिए।