केशव मधुवन वाटिका के रामेष्ट धाम में सोमवार को समिति के सदस्यों एवं स्थानीय बच्चों ने गीता के श्लोकों का सामूहिक पाठ किया। इसमें बड़ी संख्या में बच्चों और बड़ों ने सहभागिता की। बच्चों ने बताया कि वह पहली बार गीता के श्लोकों को अर्थ के साथ पढ़ रहे हैं।
बच्चे बोले, पहली बार में ही मिला अच्छा अनुभव
बच्चों ने कहा कि पहली बार में ही उन्हें इसका काफी लाभ मिला। वे बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए गीता का पढ़ना अति आवश्यक है।
बच्चों को नैतिक ज्ञान की भी जरूरत
श्रीमद्भगवद्गीता वैदिक न्यास के महासचिव राजेन्द्र अवस्थी ने बताया कि आज बच्चों को धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, ज्ञान के साथ साथ नैतिक ज्ञान की भी आवश्यकता है। पढ़ाई में प्रतिस्पर्धा के कारण बच्चों में नैतिक ज्ञान का आभाव है, जिससे वे संस्कारहीन होते जा रहे हैं। अंग्रेजी माध्यम के स्कूल एवं शिक्षा में अंग्रेजी के बढ़ते चलन व प्रभाव के कारण बच्चों को भारतीयता व भारत के गौरवशाली इतिहास के बारे मे कोई जानकारी नहीं है।
मोबाइल व इंटरनेट ने बच्चों की दिनचर्या ही बदल दी
उन्होंने कहा कि मोबाइल व इंटरनेट ने बच्चों की दिनचर्या बदल कर रख दिया है। बच्चों की खेलने या कुछ नया करने की सकारात्मक अभिरुचि में कमी देखने को मिल रही है। ऐसे में समिति का प्रयास है कि इस प्रकार के आयोजन से बच्चों को मोबाइल से दूर कर संस्कारवान बनाया जाय।
आयोजन में ये हुए शामिल
गीता श्लोक वाचन व भगवान की आरती के बाद बच्चों को प्रसाद वितरित किया गया। इस दौरान गीता श्लोक वाचन में इशिता दुबे, अनन्या पाण्डेय, पल्लवी, आर्यन, अंशी त्रिपाठी, शिवांश शामिल हुए। आरती एवं अन्य आयोजन में जयराम दुबे, श्याम बिहारी शर्मा, राजेन्द्र अवस्थी, बी के बाजपेई, कृष्ण मुरारी शुक्ला, राधा कृष्ण त्रिपाठी, बी के बाजपेई, पी के त्रिपाठी, योगेश दीक्षित, चन्द्र भूषण मिश्रा, सीमा शुक्ल आदि सम्मिलित हुए।