/young-bharat-news/media/media_files/2025/03/26/4EMPPH4CjudPD0Dh21F7.jpg)
भारतीय श्रमजीवी पत्रकार संघ के बैनर तले देश भर के जाने माने पत्रकारों ने धरना दिया। Photograph: (young Bharat)
भारतीय श्रमजीवी पत्रकार संघ के बैनर तले देश भर के जाने माने पत्रकार और उनके संगठन से जुड़े पत्रकार बुधवार को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहुंचेl यहां धरना प्रदर्शन कर एकता की आवाज बुलंद की और ज़ोरदार तरीके से अपनी मांगें रखीं। यहां कानपुर के पत्रकारों की भी भागीदारी रही। कानपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष सरस बाजपेई और मंत्री शिवराज साहू ने पत्रकारों की एकजुटता पर जोर दिया। साथ ही समस्याओं के समाधान के रास्ते भी सुझाए। इस दौरान मुख्य रूप से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किए जाने की मांग की गई।
उत्पीड़न पर एक साथ उठाएं आवाज
धरने में शामिल कानपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष सरस वाजपेई ने कहा कि एकजुट रहें और देश के किसी कोने में पत्रकार उत्पीड़न हो तो एकसाथ आंदोलन कर आवाज बुलंद करेंl संगठन को मजबूती देंl एक आवाज पर सब साथी एकत्र पत्रकार विरोधी नीतियों और उत्पीड़न का पुरज़ोर विरोध करेंl उन्होंने कहा कि पत्रकारों को एक गुच्छे में अंगूरों की तरह एकजुट रहना चाहिए। इसी से उनकी ताकत बढ़ेगी। जैसे गुच्छों में अंगूरों की कीमत ज्यादा होती है। गुच्छों से अलग होते ही उनकी कीमत घट जाती है।
गुच्छे में अंगूरों की तरह रहें एकजुट- सरस बाजपेई
उन्होंने कहा कि पत्रकारों के आगे आज सबसे बड़ी उनके स्वास्थ्य की है। यूपी के पत्रकारों को पेंशन और स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर सरकार से कुछ खास नहीं मिल रहा है लेकिन एमपी में ये सुविधाएं मिल रही हैं। उन्होंने छोटे जिलों में पत्रकारों के संगठनों को भी जोड़ने पर जोर दिया। इसके लिए एक ऐसे व्हाट्सअप ग्रुप की बनाने को कहा, जिसमें हर पत्रकार अपनी समस्या साझा कर सके। किसी के साथ कोई घटना होने पर हर पत्रकार संगठन एक साथ एक ही दिन आवाज बुलंद करे। ऐसा होने पर पत्रकारों की बात सुनने के लिए सरकार भी मजबूर हो जाएगी। मंत्री शिवराज साहू ने भी पत्रकारों की समस्याओं को उठाते हुए उनके समाधान के रास्ते भी सुझाए l
इन मांगों पर हुआ धरना प्रदर्शन
- पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाय।
- राष्ट्रीय पत्रकार पेंशन योजना लागू करें।
- पत्रकार स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करें।
- डीएवीपी एवं आरएनआई में पत्रकारों का प्रतिनिधित्व अनिवार्य हो।
- डिजिटल मीडिया एक्ट लागू करें।
- पत्रकारों के हत्या के मामलों में मुकदमे स्पीडी ट्रायल हों।
- पत्रकारों पर दर्ज झूठे मुकदमों में जांच समिति गठन करें।
- मध्यम एवं छोटे अखबारों को जीएसटी से मुक्त किया जाए।
- पत्रकारों का राष्ट्रीय रजिस्टर जारी करें।
- पत्रकारों को आवास योजना मिले।