वकालत की फर्जी डिग्री मामले में पुलिस ने धीरज उपाध्याय उर्फ दीनू उपाध्याय के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है। इसमें दीनू उपाध्याय की वकालत की डिग्री को फर्जी बताया गया है। पुलिस ने सात गवाहों के आधार पर धोखाधड़ी, कूटरचित प्रपत्र बनाने और लाभ के लिए इस्तेमाल करने की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की है। अब दीनू के वकालत के करियर और सदस्यता पर चर्चा शुरू हो गई है। इस मामले में बॉर एसोसिएशन कोई भी फैसला करने से पहले मातृ संस्था के निर्णय का इंतजार करेगा।
सिर्फ 33 दिन में दाखिल हुई चार्जशीट
दीनू की वकालत की डिग्री पर सवाल खड़ा करते हुए पिंटू सेंगर के भाई धर्मेंद्र सेंगर ने 13 अप्रैल 2025 को आईपीसी की धारा 420, 467, 468 और 471 के अंतर्गत कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि धीरज उपाध्याय उर्फ दीनू उपाध्याय ने क्राइस्ट चर्च कालेज से बीए तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद फर्जीवाड़ा करते हुए वकालत की डिग्री बनाकर बॉर काउंसिल और बॉर एसोसिएशन की सदस्यता हासिल कर ली। आरोप है कि वकालत का चोला पहनकर दीनू अपने आपराधिक कार्यों को अंजाम देने में जुटा है। कोतवाली पुलिस ने इस मुकदमे में सिर्फ 33 दिन में चार्जशीट दाखिल कर दी। चार्जशीट और मुकदमे की धाराएं जस की तस हैं। पुलिस ने इस मामले में सात गवाहों के आधार पर चार्जशीट तैयार की है।
ये हैं मुख्य गवाह
इसमें वादी धर्मेंद्र सिंह के साथ बिहार के आरा जनपद स्थित अरवल इलाके के विधि महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. कमालुद्दीन, बीएनएसडी इंटर कालेज के अमर सिंह चौहान, क्राइस्ट चर्च डिग्री कालेज के प्राचार्य डॉ. जोसेफ मुख्य गवाह हैं। मुख्य आरक्षी मुनेश कुमार बतौर प्राथमिकी साक्ष्य और वरिष्ठ उपनिरीक्षक पवन तिवारी अनुसंधान साक्षी के तौर पर दर्ज हैं।
क्राइस्ट चर्च से स्नातक, बिहार से कानून की डिग्री
दीनू ने क्राइस्ट चर्च कालेज से स्नातक-कला संकाय की डिग्री हासिल की। उत्तीर्ण श्रेणी तृतीय है। नियम-कायदों के मुताबिक किसी सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को न्यूनतम द्वितीय श्रेणी में स्नातक उत्तीर्ण होने की दशा में लॉ पाठ्यक्रम में दाखिला मिलता है। ऐसे में आरोप है कि दीनू ने फर्जीवाड़ा करते हुए बिहार के आरा जनपद के विधि महाविद्यालय से वकालत की डिग्री हासिल की। दीनू की पढ़ाई-लिखाई के दौर के कागजात प्राप्त करने के उद्देश्य से पुलिस ने बीएनएसडी इंटर कालेज-चुन्नीगंज तथा क्राइस्ट चर्च डिग्री कालेज-मालरोड के प्रभारियों से संपर्क साधा था।
करियर और सदस्यता पर चर्चा
फर्जी डिग्री वाले मुकदमे की चार्जशीट जस की तस धाराओं में दाखिल होने के बाद दीनू के वकालत करियर और बॉर-लायर्स एसोसिएशन की सदस्यता के सवाल पर चर्चा होने लगी है। कुछ लोगों का कहना है कि अब दीनू उपाध्याय अधिवक्ता संगठन के सदस्य नहीं रह पाएंगे। कुछ अन्य का कहना है कि डिग्री पर सवाल उठे हैं। अभी अदालत में साक्ष्य प्रमाणित होना शेष हैं। ऐसे में सदस्यता के मुद्दे पर निर्णय करना जल्दबाजी होगा। इस मसले पर बॉर एसोसिएशन के महामंत्री अमित सिंह ने स्पष्ट किया कि बॉर एसोसिएशन में सदस्यता बॉर काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के बाद मुहैया होती है, लिहाजा दीनू के मुद्दे पर अधिवक्ताओं की मातृ संस्था यूपी बॉर काउंसिल के निर्णय की प्रतीक्षा करना उचित होगा।