कानपुर में 1984 सिख नरसंहार के शहीदों को समर्पित स्मारक बनाया जाएगा। इसके लिए गोविंदनगर से भाजपा विधायक सुरेंद्र मैथानी अपनी विधायक निधि से धन खर्च करेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्मारक के शिलान्यास की अपील की है।
विधायक ने पीएमओ को भेजी चिट्ठी
इस बाबत विधायक सुरेंद्र मैथानी ने पीएमओ को पत्र भेजे गए पत्र में कहा है कि देश के इतिहास में एक गहरे ज़ख्म के रूप में दर्ज 1984 के सिख विरोधी दंगों के शहीदों की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए अब कानपुर नगर में ‘‘1984 सिख शहीद स्मारक’’ की स्थापना की जा रही है। इस ऐतिहासिक कदम की पहल में मैंने इस स्मारक के निर्माण के लिए अपनी विधायक निधि से व्यय किए जाने की घोषणा की है।
मोदी से शिलान्यास का आग्रह
सुरेन्द्र मैथानी ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए औपचारिक पत्र में 30 मई 2025 को प्रस्तावित कानपुर दौरे के दौरान इस स्मारक का शिलान्यास करने का आग्रह किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि यदि समयाभाव के कारण प्रधानमंत्री का आना संभव न हो, तो वर्चुअल माध्यम से इस पवित्र कार्य का शुभारंभ किया जाए।
क्यों महत्वपूर्ण है यह स्मारक
विधायक जी ने प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में उल्लेख किया है कि 1984 के दंगों में दिल्ली के बाद सबसे अधिक प्रभावित शहर कानपुर था, जहां 127 से अधिक निर्दोष सिखों की निर्मम हत्या कर दी गई, जिसमें सर्वाधिक संख्या में घृणित घटनाएं मेरे विधानसभा क्षेत्र में ही हुई थीं। यह केवल सरकारी आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि यह एक ऐसी वेदना है जो सिख समाज के हृदय को आज भी झुलसा रही है। उन्होंने कहा कि सिख समाज ने भारत की आज़ादी से लेकर उसकी रक्षा, सेवा और एकता में अतुलनीय योगदान दिया है। यह स्मारक उनके बलिदान को यथोचित सम्मान और स्थायी स्मरण देने का प्रयास है।
शास्त्री नगर के चैन फैक्ट्री चौराहे पर बनेगा स्मारक
यह स्मारक शास्त्री नगर स्थित चैन फैक्ट्री चौराहे पर बनाया जाएगा। ये वही क्षेत्र है, जहां 1984 की हिंसा के दर्दनाक दृश्य देखे गए थे। अब वही स्थान सांप्रदायिक सौहार्द, राष्ट्रीय एकता और न्याय के प्रतीक के रूप में विकसित होगा।
कई संगठनों का मिला समर्थन
इस पहल को सिख समुदाय सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों का समर्थन प्राप्त हो रहा है। लोगों का मानना है कि यह स्मारक न केवल पीड़ितों के प्रति श्रद्धांजलि होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देगा कि भारत की आत्मा विविधता, समरसता और सहिष्णुता में बसती है।
प्रधानमंत्री की भूमिका
पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपार सम्मान प्रकट करते हुए कहा कि आपके नेतृत्व में देश आज वैश्विक मंचों पर सम्मान पा रहा है। यदि आप इस स्मारक का शिलान्यास करेंगे तो यह केवल एक राजनीतिक आयोजन नहीं बल्कि राष्ट्रीय मर्यादा और संवेदना का अद्वितीय उदाहरण बन जाएगा।