कौस्तुभ मिश्र
कानपुर। यूपी की सियासत में कानपुर और उसके आसपास के बीस जिलों की राजनीति की धुरी यहीं से घूमती है। तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी 24 अप्रैल को कानपुर आ रहे है। 19728 करोड़ रूपये की 225 परियोजनाओं के लोकार्पण, शिलान्यास के साथ वह यहां जनसभा भी करेंगे। इन परियोजनाओं में दो पावर प्लांट तथा मेट्रो सेवा का लोकार्पण भी शामिल है। भाजपा की राजनीति से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री का यह दौरान कानपुर वासियों को विकास की सौगात देने के साथ ही भाजपा को स्थानीय स्तर पर बूस्टर डोज भी देगा। विकास की इन परियोजनाओं के बाद भाजपाई विरोधियों को अपनी मूंछ ऊंची कर बता सकेंगे कि प्रधानमंत्री ने कानपुर वासियों के लिये क्या-क्या किया।
पचास हजार लोगों को सभा स्थल पर ले जाने का है लक्ष्य
कानपुर प्रधानमंत्री की अगवानी के लिए सज रहा है। मुख्य सचिव, डीजीपी समेत सारे अधिकारी उनके आगमन की तैयारियों में व्यस्त है साथ ही पार्टी के लिहाज से कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के लोगों को मिलाकर 50 हजार से ज्यादा लोगों को जनसभा में बुलाने के लिए भाजपा भी जुट गई है। राजनीतिक लिहाज से सोचें तो प्रधानमंत्री महज इन परियोजनाओं के लोकार्पण शिलान्यास के लिए आ रहे है क्या? शायद नहीं।
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के वोट हुए थे कम
2024 के लोकसभा चुनाव में कानपुर बुंदेलखंड में कानपुर नगर व अकबरपुर लोकसभा सीट किसी तरह जीत लेने के बाद कन्नौज, इटावा, मैनपुरी, फतेहपुर, बांदा, हमीरपुर, जालौन सीटों पर भाजपा हार गई थी। यह बड़ा घाव था जिसकी टीस भाजपा को लगातार तकलीफ दे रही है क्योंकि 2027 विधानसभा की तैयारियों में जुड़ी भाजपा के लिए इस खतरे की घंटी को इन लोकसभा सीटों की तकरीबन 35 विधानसभा सीटों में अब दोबारा नहीं बजने देना है। इन सभी सीटों पर कहीं पर दलित तो कहीं पर ओबीसी के वोटर चुनाव परिणामों का रूख बदलने का संख्या बल रखते है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में बुंदेलखंड के सातों जिलों में जिस तरह विकास की गंगा बहाई, आजादी के बाद से चली आ रही बुंदेलखंड की उपेक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाया साथ ही डिफेंस कारीडोर, एक्सप्रेसवे, बांध परियोजना, हर घर नल से जल जैसी परियोजनाओं के जरिए अति पिछड़े बुंदेलखंड क्षेत्र को संतृप्त किया। निश्चित तौर पर उससे बंुंदेलखंड की किस्मत बदली है और वहां बड़ी तेजी के साथ हर तरह के विकास के रास्ते खुले हैं। साथ ही कानपुर और उसके आसपास भी मोदी के कार्यकाल में चौतरफा विकास हुआ है।
भाजपा के पक्ष में जा सकता है मेट्रो के कार्य को प्राथमिकता देना
कानपुर की मेट्रो अभी अधूरी है। बहुत काम बाकी है। इसके बावजूद योगी सरकार ने जिस तरह से मेट्रों के कार्य को अपनी प्राथमिकता में रखा है वह भी भाजपा के पक्ष में जाना चाहिए था। इसके बावजूद इन सीटों का हारना प्रधानमंत्री के लिए जल्दी स्वीकार्य कैसे हो सकता है। इन जिलों में भाजपा के संगठन चुनाव में जगह-जगह हुए विवादों से भी पार्टी की चिंता बढ़ी है। असल में एक बात यह भी है कि कानपुर से जाने वाला संदेश यादव लैंड को प्रभावित करता है। प्रमुख प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी का पीडीए फैक्टर यहां तेजी से फैल रहा है। साध्वी निरंजन ज्योति जैसी दिग्गज नेता की हार भी पार्टी को चिंतित करने वाली है। कानपुर और अकबरपुर सीटों पर भाजपा की जीत भी एकतरफा या भारी भरकम नहीं रही। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि बातें इतनी बिगड़ चुकी है कि खुद नरेन्द्र मोदी को आना पड़ रहा है। ऐसी भी स्थिति नहीं है। लेकिन अप्रैल में ही संघ प्रमुख मोहन भागवत के कानपुर प्रवास के दौरान भी भाजपा के समर्पित और संघ से जुड़े लोगों ने ऐसा कुछ भी प्रदर्शित नहीं किया जिससे यह लगे कि भाजपा की बुनियाद यहां कमजोर हो रही है। फिर भी हार के घाव पर मरहम का लेपन और कार्यकर्ताओं के जोश को बनाए रखना और उसमें बढ़ोतरी करना, उनकी सक्रियता बढ़ाना बेहद जरूरी है। हार के बाद कार्यकर्ताओं के मनोबल में निश्चित तौर पर गिरावट आई है। वे मूंछों पर ताव देकर विपक्ष का सामना नहीं कर पा रहे है।
कार्यकर्ताओं में संजीवनी का संचार करेगा प्रधानमंत्री का दौरा
भाजपा से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री के यहां आने और परियोजनाओं का उद्घाटन करने से पार्ठी के कार्यकर्ताओं में नई संजीवनी का संचार करना भी एक मकसद है। दो पावर प्लांट अपनी पूरी क्षमता के साथ तैयार है। उत्पादन शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री के लोकार्पण के बाद बहुत बड़े क्षेत्र को ऊर्जा का संचार मिलेगा। साथ ही लोकसभा चुनाव 2024 के लगभग एक साल बाद प्रधानमंत्री का कानपुर के मंच से आसपास के 20 जिलों के विकास कार्यों में तेजी आएगी। इसी के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मेहनत और उनके लगातार काम में जुटे रहने पर मोहर भी लगेगी। परियोजनाओं का लोकार्पण शिलान्यास प्रधानमंत्री से करा पाना भी एक बड़ी उपलब्धि माना जाता है। इसी दौरान यहां उनकी सभा में आने वाले लाखों लोग आसपास के जिलों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संदेश को ठीक से पहुंचा पाएंगे। जनता को प्रधानमंत्री से जो भी शिकायतें रही होंगी उनका समाधान भी हो जाएगा। इसीलिए माना जा रहा है कि मोदी 20 जिलों के लोगों के जख्मों पर लगाने के लिए विकास कार्यों का मरहम लेकर आ रहे हैं। इसका संदेश बहुत ही सकारात्मक जाएगा। भाजपा की मूंछें और भी ऊंची होंगी।