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बजेगी युद्ध की घंटी, कानपुर भी सीखेगा सिखाएगा बचने बचाने के तौरतरीके

सीमा पर पाकिस्तान से तनातनी के बीच बढ़ी युद्ध की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को बुधवार को नागरिकों की सुरक्षा के लिए मॉक ड्रिल कराने का आदेश दिया है। कानपुर को भी ऐसे आदेश मिलने के बाद मंगलवार को दिनभर इसकी तैयारियां चलती रहीं।

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Akhilesh Shukla
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माँक ड्रिल की तैयारियां बताते सिविल डिफेंस कानपुर के डिप्टी कंट्रोलर शिवराज सिंह और कलेक्ट्रेट में बैठक करते सेना, पुलिस व प्रशासन के अधिकारी।

माँक ड्रिल की तैयारियां बताते सिविल डिफेंस कानपुर के डिप्टी कंट्रोलर शिवराज सिंह और कलेक्ट्रेट में बैठक करते सेना, पुलिस व प्रशासन के अधिकारी। Photograph: (फोटो-वाईबीएन)

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कानपुर, वाईबीएन संवाददाता 

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सीमा पर पाकिस्तान से तनातनी के बीच बढ़ी युद्ध की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को बुधवार को नागरिकों की सुरक्षा के लिए मॉक ड्रिल कराने का आदेश दिया है। कानपुर को भी ऐसे आदेश मिलने के बाद मंगलवार को दिनभर इसकी तैयारियां चलती रहीं। 

तैयारियों पर हुई सेना, पुलिस, प्रशासन की बैठक 

इसको लेकर जिला प्रशासन, पुलिस कमिश्नरेट और सेना के अधिकारियों की बैठक में माँक ड्रिल की रूपरेखा बनाई गई। सिविल डिफेंस की कानपुर यूनिट ने भी इसके लिए कमर कस ली है। मंगलवार को सिविल डिफेंस कानपुर के डिप्टी कंट्रोलर शिवराज सिंह ने तैयारियों के बारे में बताया। 

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सिविल डिफेंस व सामाजिक संस्थाएं भी सक्रिय

पहलगाम में हुई आतंकवादी घटना के बाद भारत सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बीच मॉक ड्रिल कराए जाने के आदेश के पश्चात शहर की सभी सामाजिक संस्थाएं व सिविल डिफेंस समेत जिला प्रशासन सक्रिय हो उठा है। मंगलवार को डीएम ने प्रशासनिक व सेवा के अफसरों के साथ बैठक कर मॉक ड्रिल की रूपरेखा तय की। इसकी समीक्षा की गई कि किस तरह से मॉक ड्रिल के दौरान आम जनता को जागरूक किया जाए। कोई भी घटना होती है तो आम जनता अपना बचाव कैसे करे, इस पर चर्चा की गई। 

कानपुर में 13 डिवीजनों में बंटा है सिविल डिफेंस, जुड़े हैं पब्लिक के लोग  

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बुधवार को माँक ड्रिल की तैयारियों पर सिविल डिफेंस कानपुर के कंट्रोलर शिवराज सिंह ने बताया कि सिविल डिफेंस से पब्लिक के लोग भी जुड़े हैं। कानपुर नगर 13 डिवीजनों में बंटा है। इसमें स्थानीय लोग भी होते हैं। इनके माध्यम से हम लोग पब्लिक को जागरूक करते हैं। सिविल डिफेंस लोगों को सहयोग देने का काम भी करती है। इसी लिहाज से आज मीटिंग हुई। इसमें बुधवार को होने वाली माँक ड्रिल की रूपरेखा बनाई गई। 

डीएम ने दी सिविल डिफेंस को जिम्मेदारी 

उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी ने सिविल डिफेंस को दो कार्यक्रमों की जिम्मेदारी सौंपी है। बैठक में इस पर तैयारी की गई। उन्होंने बताया कि लोगों को जागरूक करने के लिए विभाग और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की ओर से भी सायरन बजाया जाता है। बुधवार को किस समय सायरन बजेगा, यह अभी तय नहीं है। देऱ शाम तक प्रशासन समय तय कर देगा। उन्होंने बताया कि मीडिया के जरिये भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि सायरन को लेकर कहीं कोई दहशत का माहौल न बने। 

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सायरन बजते ही होगा ब्लैक आउट, सक्रिय रहेंगे वार्डन  

उन्होंने बताया कि सायरन बजते ही ब्लैक आउट करना पड़ेगा। इसके लिए उनके विभाग ने कमर कस ली है। इसके लिए क्षेत्र के वार्डन लगातार सक्रिय रहकर लोगों को इस बारे में बताते रहेंगे। यह भी देखेंगे कि लोग ब्लैक आउट का पूरी तरह अनुपालन कर रहे हैं या नहीं। अगर कहीं भी इसकी अनदेखी होती है तो वार्डन लोगों से संपर्क कर इसका पालन कराएंगे। 

ब्लैक आउट में नहीं चलेंगे वाहन, मोबाइल भी रहेंगे बंद 

उन्होंने बताया कि ब्लैक आउट के दौरान किसी प्रकार के वाहन नहीं चलेंगे। लोग घरों के बाहर अपने मोबाइल फोनों का इस्तेमाल भी नहीं कर सकेंगे। सिविल डिफेंस के लोग बराबर इसकी निगरानी करते रहेंगे। जनता को यह भी बताया जाएगा कि माँक ड्रिल और ब्लैक आउट के दौरान उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है। 

55 साल पहले माँक ड्रिल के अनुभव बताए, होता था ब्लैक आउट 

वहीं लगभग 54-55 वर्ष पूर्व हुई मॉक ड्रिल की घटना को शहर के कुछ बुजुर्गों ने अखबार नवीसों से साझा किया। हूलागंज में रहने वाले शिवकुमार गुप्ता ने बताया- मॉक ड्रिल के दौरान हम सभी तो छोटे-छोटे थे, इस दौरान मां-बाप सभी बच्चों को घर के अंदर कर देते थे और पूरा ब्लैकआउट कर दिया जाता था। 

सायरन बजा और लोग घरों के अंदर 

उन्होंने बताया कि शाम होते ही सायरन बजने लगता था और सभी परिजन अपना अपना काम समाप्त कर अपने घरों के अंदर आ जाते थे। जालीदार दरवाजे और खिड़कियों में कागज चिपका दिए जाते थे ताकि कमरों की रोशनी बाहर न जाने पाए। क्योंकि रोशनी बाहर जाने से जंगी जहाजों को आभास हो सकता था कि यहां पर शहर है और वह बमबारी कर सकते थे। 

बच्चों की टोलियां बंद कराती थीं घरों की लाइट 

व्यापारी राजेश गुप्ता ने बताया कि उस दौरान हम लोग काफी छोटे थे। जिस समय सायरन बजता था, हम बच्चों की टोलियां बाहर निकाल कर लोगों को बताना शुरू कर देते थे कि आप लोग अपने-अपने घरों की लाइट बंद कर दें, सभी लोग घरों के अंदर रहें ताकि दुश्मन देश के जहाज को हमारी उपस्थिति का अहसास न हो सके। 

गंगा तटों पर होती थी खूब रोशनी 

इसी तरह से प्रशासन ने जनता के सहयोग से गंगा की कटरी में जगह-जगह लाइट की व्यवस्था की थी ताकि अगर कोई जहाज आता है और बमबारी करता है तो वह बम गंगा में गिरकर बेकार हो जाएगा और शहर पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा। 

बताते थे आग से बचाव के तरीके 

व्यापारी रमेश सिंह शर्मा ने बताया कि सिविल डिफेंस द्वारा जगह-जगह पर लोगों को एकत्रित कर आग से बचाव के तरीके बताए जाते थे तथा दरवाजा की चौखटों पर कागज लगा दिया जाता था ताकि रोशनी किसी भी तरह से बाहर न आ सके। फूलबाग स्थित सिविल डिफेंस कार्यालय के सामने आम जनता को अपने बचाओ के प्रशिक्षण भी दिए जाते थे।

मॉक ड्रिल की तैयारियों पर कलेक्ट्रेट में बैठक

कानपुर में 7 मई को होने वाली मॉक ड्रिल की तैयारियों को लेकर मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने की। बैठक में पुलिस प्रशासन, सेना तथा जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। 

बिल्कुल युद्ध के हालात जैसी हो माँक ड्रिल 

जिलाधिकारी ने कहा कि मॉक ड्रिल को यथासंभव वास्तविक परिस्थिति के अनुरूप संचालित किया जाए, ताकि किसी आपात स्थिति में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि सभी विभाग आपसी समन्वय से कार्य करें और पूर्व निर्धारित समय पर सभी तैयारियां पूर्ण कर लें। 

बजेगा सायरन, होगा ब्लैक आउट, लोग लेंगे बचाव का प्रशिक्षण  

बैठक में यह भी तय किया गया कि ड्रिल के दौरान सायरन बजाने, ब्लैकआउट, और आपात निकासी के अभ्यास के साथ-साथ नागरिकों को भी आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, संवेदनशील स्थलों की सुरक्षा और वहां उपस्थित संसाधनों की व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए। 

न हो कोई चूक, अधिकारी लगातार करते रहें निगरानी 

जिलाधिकारी ने अधिकारियों से कहा कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में तैयारियों की लगातार निगरानी करें और किसी भी प्रकार की चूक न हो, इसका विशेष ध्यान रखें। उन्होंने बैठक के अंत में सभी अधिकारियों को निर्धारित जिम्मेदारियों का ईमानदारी से पालन करने की सलाह दी।

 

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