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कानपुर घंटाघर के 60 साल पुराने मंदिर को रेलवे ने भेजा कैंट साइड, जानिए पूरा मामला

सेंट्रल स्टेशन के घण्टाघर की तरफ स्थित 60 साल पुराने हनुमान जी के मंदिर को धार्मिक संगठन के लोगों के साथ हफ्तों की चर्चा के बाद रेलवे और जीआरपी की मदद से स्टेशन के कैंट साइड की तरफ स्थापित किया गया।

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Akhilesh Shukla
मूर्ति शिफ्ट करते कर्मचारी। मौके पर मौजूद पुलिस फोर्स।

मूर्ति शिफ्ट करते कर्मचारी। मौके पर मौजूद पुलिस फोर्स। Photograph: (फोटो-वाईबीएन)

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कानपुर, वाईबीएन संवाददाता 

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सेंट्रल स्टेशन के घण्टाघर की तरफ स्थित 60 साल पुराने हनुमान जी के मंदिर को धार्मिक संगठन के लोगों के साथ हफ्तों की चर्चा के बाद रेलवे और जीआरपी की मदद से स्टेशन के कैंट साइड की तरफ स्थापित किया गया। हालांकि पूर्व में बजरंग दल और अन्य धार्मिक संगठन ने इस प्रचीन मंदिर को विस्थापित करने का विरोध किया था। लेकिन रेलवे प्रशासन ने सभी धार्मिक संगठनों से बात करके मामले को शांत कराया।

घंटाघर की तरफ बनाई जा रही है नई पार्किग

प्राप्त जानकारी के मुताबिक हनुमान जी के इस प्राचीन मंदिर को आरपीएफ कार्यालय के बगल में स्थापित किया जाना है। आपको बता दें कि कानपुर सेंट्रल स्टेशन के घण्टाघर साइड में रेलवे विभाग नई पार्किंग और बिल्डिंग का निर्माण करा रही है। इस विकास कार्यों में कानपुर मेट्रों का भूमिगत स्टेशन का कार्य भी चल रहा है। रेलवे प्रशासन से जुड़े लोगों की मानी जाए तो करीब 700 करोड़ रुपये की लागत से सेंट्रल स्टेशन पर विकास कार्य चल रहे हैं। इस विकास कार्यों के अंतर्गत रेलवे स्टेशन में सारी सुविधाएं और सेवाएं एयरपोर्ट जैसी की जानी हैं। आपको बता दें कि रेलवे विभाग सिटी साइड की तरफ करीब दो वर्षों से विकास कार्य चला है। इन विकास कार्यों में सिटी साइड में बहुमंजिला इमारत और मल्टीलेवल पार्किंग शामिल है। यही नहीं सिटी साइड की कई पुराने इमारतों को तोड़ कर नए सिरे से भवनों का निर्माण कराया जा रहा है। आपको बता दें कि मल्टीलेवल पार्किंग की इस भूमि पर मंदिर की जगह पड़ रही थी जिससे विकास कार्यों को पूरा करने में रेलवे प्रशासन को समस्या हो रही थी। 

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दो बार के प्रयास में नहीं हटी मूर्ति

जब इस मल्टीलेवल पार्किंग का सर्वे कराया गया था तो मंदिर की भूमि इसके अंदर आ रही थी  जिसकी वजह से उसे स्थानांतरित किया गया। मंदिर के पुरोहित पं विजय मिश्र ने बताया कि रविवार को रेलवे अधिकारियों ने मंदिर की प्राचीन मूर्ती को शिफ्ट कराया। सबसे दिलचस्प बात है कि रेलवे की क्रेन ने दो बार मूर्ति हटाने का प्रयास किया,  लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद तीसरी बड़ी क्रेन की मदद से बजरंग बली की मूर्ति हटाई जा सकी।

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