सुनील वर्मा
कानपुर में आयकर और सीबीआई ऑफिसर बनकर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से रिटायर्ड विजिलेंस ऑफिसर से 82 लाख की ठगी कर ली। उन्हें डेढ़ माह तक डिजिटल अरेस्ट रखा । इस दौरान उन्हें जेल जाने का भय दिखाकर किसी को कुछ न बताने की हिदायत दी गई । पहले 49.50 लाख आरटीजीएस फिर 26 लाख की एलआईसी ब्रेक कराई और अंत में गोल्ड लोन करा कर 6.80 लाख रुपए अकाउंट में ट्रान्सफर कराए।मकान पर भी लोन की तैयारी थी लेकिन इसकी जानकारी रिटायर्ड विजिलेंस ऑफिसर के भतीजे को लग गई जिसके बाद साइबर थाने और पनकी थाने में शिकायत दर्ज कराई गई गई है।
रिटायर्ड विजिलेंस ऑफिसर की फैमिली
पनकी थानाक्षेत्र के शताब्दी नगर में स्थित हिमालय भवन अपार्टमेंट के डी 13 के फ्लैट नंबर 13 में विनोद झा (68)अपनी पत्नी रेणु झा के साथ रहते है।वह कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में SSSA के पद पर कार्यरत थे। पीएफ ऑफिस की विजिलेंस टीम का भी वह हिस्सा रहे है।बड़ा बेटा हेमंत झा बैंक में जॉब करता है और आजाद नगर में अपने पत्नी बच्चों के साथ रहता है।छोटा बेटा सूरत में शिफ्ट है। दंपती के अकेले रहने की वजह से गीता नगर निवासी भतीजा राजीव झा उनकी देखभाल करता है।
ऐसे हुए साइबर ठगी के शिकार
विनोद झा के मुताबिक विगत 17 फरवरी 2025 को उनके पास एक कॉल आई थी ।कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को इनकम टैक्स ऑफिसर संजय त्रिपाठी बताया था। उसने कहा आपके ग्लोबल ट्रेडिंग कंपनी पर 8.62 लाख कॉरपोरेट टैक्स बकाया है। उसने कहा कि आप दो दिन के लिए दिल्ली आ जाइए जब विनोद झा ने उसे बताया कि उनकी कोई कंपनी नहीं है और वह बीपी और शुगर के मरीज है इसलिए दिल्ली नहीं आ सकते। जिसके बाद फोन करने वाले ने कहा कि आप ऑनलाइन एफआईआऱ दर्ज करा दीजिए वरना जेल जाना पड़ेगा । उनको बताइए कि आपका नाम मनी लॉन्ड्रिंग में जोड़ दिया गया है। इसी दरम्यान उसने एक अन्य नंबर पर पुलिस अफसर से काल जोड़ दी।
सीबीआई अफसर बनकर की ठगी, जेल और जुर्माने से डराया
पुलिस अफसर बने व्यक्ति ने कहा कि शिकायत दर्ज कर इनकम टैक्स को एक कॉपी भेज दी गई है। जांच अधिकारी विक्रम सिंह है जो मामले की जांच करेंगे।जिसके बाद विक्रम सिंह का फोन आया और उसने सीबीआई अधिकारी बताकर किसी पायल ठाकुर से बात कराई। पायल ठाकुर ने बताया कि मामला 730 करोड़ की टैक्स चोरी का है।किसी को इसकी जानकारी नहीं होनी चाहिए।अगर किसी को इसकी जानकारी हो गई तो 3 साल की सजा और 5 लाख तक का जुर्माना हो जाएगा। जिससे वह बुरी तरह से डर गए और किसी को कुछ नहीं बताया।
वर्दी,ऑफिस और फाइलों के बंडलों ने कराया सब कुछ सच होने का एहसास
साइबर ठगो द्वारा व्हाट्सएप पर वीडियो और ऑडियो काल की जाती थी। जिसका बैक ग्राउंड भी पूरी तरह से सेट किया गया था। काल करने वाले वर्दी रहते थे। कुर्सी के पीछे दीवार पर सीबीआई का लोगो बना हुआ था।इसके अलावा पुलिस कर्मियों की।आवाजाही और मेज पर पड़ी फाइलों के बंडल देखकर वह पूरी तरह से डर गए थे। इस दौरान उन्हें इनकम टैक्स और सीबीआई वाले जांच पत्र भी भेजे गए।जिससे मामले की सच्चाई वह समझ नहीं सके।उन्हें लगा कि यह सीबीआई ऑफिस है और सच में कोई जांच चल रही है।अगर उन्होंने सहयोग नहीं किया तो परेशानी में पड़ सकते है।
डिजिटल अरेस्ट के बाद भी किसी को नहीं दी जानकारी
साइबर ठगो ने जिस तरह से जांच का तरीका अपनाया उससे विनोद झा का ब्रेनवाश हो गया।डिजिटल अरेस्ट रहने के दौरान उन्होंने रूटीन काम जारी रखे लेकिन किसी को कुछ नहीं बताया।बेटे ,पत्नी और भतीजे को भी इसकी भनक नहीं लगने दी।उन्हें लगा कि किसी को जानकारी हो गई तो वह और उनका परिवार बड़ी मुसीबत में फंस सकता है। फ्लैट के चंद कदम की दूरी पर स्थित दुकान से वह रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुएं लाते रहे उसे भी कोई आभास नहीं हो सका। दुकानदार ने बताया कि अभी कल भी वह जरूरत का सामान ले गए थे।
इस तरह से ठगे 82 लाख
पीड़ित सेवानिवृत अधिकारी विनोद झा ने बताया कि साइबर ठगो में उन्हें विश्वास में लिया कि जो भी उनसे लिए जाएगा उन्हें जांच खत्म होने के बाद वापस कर दिया जायेगा। जांच का हवाला देकर 25 फरवरी को 49 लाख 50 हजार रुपए आरटीजीएस कराए ।जब अकाउंट खाली हो गया तो पॉलिसी के बारे में पूंछा।जिसके बाद उन्होंने अपनी और अपनी पत्नी की एलआईसी पॉलिसी के बारे में बता दिया।ठगो ने दोनों पॉलिसी को तुड़वाकर 26 लाख रुपए 15 मार्च को अपने खाते में जमा करा लिए।इसके बाद घर में रखी ज्वेलरी का भी गोल्ड लोन करा कर 6.80 लाख रुपए 24 मार्च को साइबर ठगो ने हड़प लिया।
पेंशन की देरी ने बचाया फ्लैट,50 लाख लोन की थी तैयारी
साइबर ठगो ने बुजुर्ग विनोद झा से फ्लैट के बारे में जानकारी करते हुए पेपर दिखाने की बात कही। फ्लैट पर 50 लाख का लोन कराने को कहा।विनोद झा ने बताया कि इसी दरम्यान उनकी पेंशन में देरी हो गई।जिस पर उन्होंने पीएफ ऑफिस में काम करने वाले भतीजे राजीव को फोन कर बताया कि 2 अप्रैल हो गया अभी तक पेंशन नहीं आई।भतीजे ने अकाउंट चेक किया तो 6.80 लाख के गोल्ड लोन की जानकारी हुई।उसके बाद उसने पूरा अकाउंट चेक किया तो पता चला कि 80 लाख के आस पास ट्रांजेक्शन हुआ है।जिसके बाद पूरा मामला सामने आया कि रिटायर्ड विजिलेंस ऑफिसर डेढ़ महीने से डिजिटल अरेस्ट है और साइबर ठग सीबीआई अफसर बनाकर उनकी जीवन भर की पूरी कमाई हड़प चुके है।अगर समय से पेंशन आ जाती तो शायद फ्लैट भी हाथ से चला जाता।फिलहाल पूरे मामले की शिकायत दर्ज कराई गई है।पुलिस जांच में जुटी है।