गुड फ्राइडे पर ईसाई समुदाय के लोगों से अपील की गई कि वह पापों से मुक्त रहें और मानव कल्याण का काम करने के साथ ही मेल-मिलाप बनाकर रखें। किसी को जरूरत पड़ने पर अपना काम कुछ समय के लिये टालकर परेशान व्यक्ति की मदद करने के लिये आगे आएं। प्रभु ने मानव कल्याण के लिये ही काम किया और सूली पर चढ़ गए।
विभिन्न चर्चों में हुए कार्यक्रम
ईसाइयों के प्रमुख त्योहार गुड फ्राइडे के मौके पर शहर की अलग-अलग चर्चों में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें शामिल होने के लिये आसपास रहने वाले समाज के तमाम लोग पहुंचे और प्रभु को याद कर उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया। सुबह से ही प्रभु के अनुयायी यहां पहुंचने लगे थे। यहां पहुंचे सभी लोगों ने मिलकर प्रभु यीशु मसीह की आराधना की और उनकी महिमा के गीत गाये। साथ ही प्रभु यीशु मसीह के बताए रास्ते पर चलकर पापों से मुक्त रहने व मानव जाति के कल्याण में हमेंशा लगे रहने का संकल्प भी लिया।
चालीस दिन रखा जाता है व्रत
पादरी जितेंद्र सिंह ने बताया कि 40 दिनों तक अन्न जल का त्याग करने के बाद प्रभु यीशु मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था, मानव जाति को परमेश्वर से जोड़ने के लिए प्रभु यीशु मसीह खुशी-खुशी सूली पर चढ़ गए और समस्त मानव जाति को परमेश्वर से जुड़ाव का एक संदेश भी दे गए, इस दरमियान उनके मुंह से निकली सात वाणियों का आज भी मानव जाति अनुसरण करती है। इसके चलते तमाम लोग चालीस दिन का व्रत भी रखते हैं। क्योंकि वह शुक्रवार का ही दिन था जब समस्त मानव जाति को परमेश्वर का संदेश मिला था इसलिए इस शुक्रवार को गुड फ्राइडे के नाम से भी मनाया जाता है।
रात तक चलते हैं कार्यक्रम
जानकारों की मानी जाए तो गुड प्राइडे पर सुबह से रात तक कार्यक्रम चलते हैं सुबह से शुरू हुई आराधना का क्रम शाम चार बजे तक चलने की बात कही गई है जिसमें प्रभु यीशु मसीह के अनुयायियों ने प्रभु के जीवन दर्शन को जाना, जिसमें यह बताया गया कि प्रभु ने किस तरह मानव कल्याण के लिये अपने प्राण न्योछावर कर दिये।