आज के समय में नवजात की मृत्यु दर को बहुत कम किया जा चुका है। हमारा लक्ष्य है कि 2030 तक इस दर को 10 से भी कम कर लें। अभी 1000 बच्चों में 15 नवजात बच्चों की मौत हो जाती हैं। ये तभी संभव हो सकता है, जब हम बच्चों की केयर को और बेहतर तरीके से करें।
हैलट में हुई वेंटीलेशन पर कार्यशाला
वेंटिलेटर पर भी हम क्या-क्या कर सकते हैं, उसका भी ध्यान रखें। वर्तमान समय में हर 5 में से 1 मां को हाई प्रेगनेंसी रिस्क है। ये बात चंडीगढ़ PGI के डॉ. जोगेंद्र ने शुक्रवार को हैलट अस्पताल में कही। मौका था भारतीय बाल रोग अकादमी कानपुर द्वारा नियोनेटल वेंटिलेशन पर कार्यशाला का।
चंडीगढ़ PGI के डॉ. जोगेंद्र बोले, अच्छा हुआ है चिकित्सा लेवल
डॉ. जोगेंद्र ने कहा कि पहले की अपेक्षा अब चिकित्सा का लेवल काफी अच्छा हुआ है। हर 5 में जो एक मां में हाई प्रेगनेंसी रिस्क होता है उसकी मृत्यु दर काफी कम है। तीन कारणों से नवजात की मौत होती है। पहली प्रिमैच्योर डिलेवरी, दूसरा बच्चा रोता नहीं हैं और तीसरा कारण होता है संक्रमण।
इस तरह से मृत्यु दर को किया जा रहा कम
उन्होंने बताया कि मृत्यु दर को कम करने के लिए बच्चे को मां का दूध पिलाना चाहिए। इससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। दूसरा वैक्सीनेशन और तीसरा होता है कंगारू मदर केयर जो सबसे ज्यादा प्रभावशाली होता है।
झारखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मृत्यु दर ज्यादा
उन्होंने बताया कि अगर नवजात की मृत्यु दर की बात करें तो एक सर्वे के मुताबिक सबसे ज्यादा झारखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश में है। इन जगहों पर अस्पताल काफी दूर बने हैं। सुविधाएं हैं लेकिन रूरल एरिया से दूर हैं। अभी 1000 में 15 नवजात की मौत हो जाती है। हमारा प्रयास है कि 2030 तक इस आंकड़े को सिंगल की संख्या में करना है।
देहरादून के डॉ. अशोक देवहरी बोले, संसाधनों के अभाव से भी हो रही मृत्यु
स्व. रामा हिमालयन यूनिवर्सिटी देहरादून के डॉ. अशोक देवहरी ने कहा कि अगर डिलीवरी रूम की सुविधाओं को केवल बेहतर कर लें तो 50 प्रतिशत मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। इसमें पैसे की भी जरूरत नहीं है, बल्कि जो चीजें हैं, उन्हें ही बेहतर करना है। सबसे ज्यादा मौत का कारण होता है जो डिलीवरी के बाद बच्चा रोता नहीं है। इसके बाद संक्रमण। इसलिए डिलीवरी के बाद बच्चे को मां का दूध पिलाएं ताकि उसका संक्रमण से बचाव हो सके।