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जिस घर को पूरे मन से परिवार के लिये बनवाया, उसी में थम गई पूरे परिवार की सांस

जूता उद्योग से जुड़े दानिश ने अपने परिवार की सुख-सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक सुंदर और सुरक्षित घर बनवाया था, जिसे उन्होंने पूरी लगन और मेहनत से तैयार कराया।

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Akhilesh Shukla
पोस्टमार्टम हाउस पर लगी भीड़।

पोस्टमार्टम हाउस पर लगी भीड़। Photograph: (फोटो-वाईबीएन)

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कानपुर, वाईबीएन संवाददाता

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जूता कारोबारी दानिश ने जिस घर को पूरे परिवार की सुविधा देखते हुए पूरे मन से बनवाया था. उस घर में ही आग लगने से परिवार के सभी सदस्यों की एक ही रात में सांसे थम गईं। सोमवार सुबह जब आग लगने की घटना में दानिश, उनकी पत्नी व तीनों बेटियों की मौत होने की जानकारी मिली तो यहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं। 

पुलिस और दमकल ने पूरी रात की मशक्कत 

पूरी रात दमकल व पुलिस विभाग के अधिकारी घटना स्थल पर मौजूद रहकर आग पर पूरी तरह काबू पाने का प्रयास करते रहे। सुबह आग पर काबू पा लिया गया लेकिन चमड़़े का सामान व केमिकल रखा होने के कारण पुलिस ने किसी को भीतर नहीं जाने दिया। पुलिस इस प्रयास में थी कि एक दो बार फिर दमकल की टीम सक्रिय होकर आग पर पूरी तरह काबू करने का प्रयास कर ले ताकि फिर से आग भड़कने की संभावना लगभग समाप्त हो जाए।

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एक साथ पांच शव उठे तो कांप गया कलेजा 

प्रेम नगर में जूता कारोबारी के घर में तथा निचले हिस्से में बने जूता कारखाने में आग लगने से परिवार के पांच लोग जिंदा जल गए थे। इन्हें पुलिस व दमकल जवानों ने निकालकर उर्सला अस्पताल भेजा, जहां डाक्टरों ने इन्हें मृत घोषित कर दिया। सोमवार सुबह से ही घर के बाहर हजारों लोगों की भीड़ लगी थी। अधिकांश लोग पोस्टमार्टम हाउस भी पहुंचे। इसके बाद जब घर के पांच सदस्यों का जनाजा एक साथ उठा तो यहां मौजूद लोगों का कलेजा कांप उठा।  लगभग सभी की आंखों में आंसू थे। सभी दुखी थे कि एक साथ परिवार के पांच लोगों की मौत, वह भी अपने ही घर के भीतर किसी का भी दिल पसीज दे।

दानिश ने ही अपने प्रयास व मेहनत से बनवाया था मकान

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सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद पांचों शवों को जब बड़े कब्रिस्तान ले जाया गया तो हजारों की संख्या में लोग थे। सभी की जुबान पर एक ही बात थी आखिर दानिश ने इतनी मेहनत से आशियाना बनाया और वही आशियाना उसकी कब्रगाह बन गया। चमनगंज थाना क्षेत्र के प्रेम नगर में रहने वाले कारोबारी मो. दानिश (45), उनकी पत्नी नाजमी सबा (42), बेटी सारा (15), सिमरा (12), इनाया (7) की जलकर मौत हो गई। दानिश और उनके परिवार का शव जिस हालत में अंदर मिला है, उसे देखकर फायर कर्मी तक रोने लगे। 

मां से लिपटा था बेटी का शव

पुलिस सूत्रों की मानी जाए तो घर के अंदर गए अफसर ने बताया कि एक बेटी का शव मां से लिपटा हुआ मिला। ऐसा लगता है कि मां ने बेटियों को बचाने के लिए खूब कोशिश की। आग लगने के बाद दानिश अपने बुजुर्ग पिता को लेकर बाहर आ गए थे। वह पत्नी और बेटी को लेने वापस अंदर गए, लेकिन आग की चपेट में आने से बाहर नहीं आ पाए। दूसरे दिन भी शाम तक रह रहकर बिल्डिंग धधक रही थी। बार-बार धुआं निकल रहा था, जिसपर पूरी तरह काबू पाने के लिये दमकल जवान शाम तक जूझते रहे। अफसरों का कहना है कि पूरी बिल्डिंग की कूलिंग करने में दो दिन का वक्त लग सकता है। पहले, जहां आग लगी, उसके दूसरे और थर्ड फ्लोर तक फैक्ट्री थी, जहां केमिकल और जूते पड़े थे। टॉप फ्लोर पर दानिश की पत्नी की लाश थी, जिसके बगल में एक बच्ची लिपटी थी। 

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बाहर पिता बेटे का नाम लेकर चीख रहे थे भीतर बेटा अपनी बच्चियों का

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया- बाहर दानिश के पिता चिल्ला रहे थे। अंदर दानिश अपने परिवार के साथ जिंदगी की जंग लड़ रहे थे। छज्जे के पास वो बाहर आने की कोशिश कर रहे थे लेकिन आग इतनी तेज थी वो आ नहीं पा रहे थे। दानिश के पिता ने अंदर जाने की कोशिश की लेकिन, पुलिस और मोहल्ले वालों ने उन्हें पकड़ लिया। वो बाहर अपना हाथ-पैर पीट रहे थे। मोहल्ले वाले उनको संभालने में लगे रहे। 

पत्नी की बात सुन लेते तो बच जाती जान

प्रेमनगर अग्निकांड में दानिश के परिवार की जान बच सकती थी, अगर उन्होंने पत्नी की बात मानी होती। दानिश के मामा ने बताया कि भोपाल से दानिश की बहन अर्शी आई थी। सभी लोग जाजमऊ रिश्तेदार के यहां जा रहे थे। दानिश की पत्नी ने भी चलने की बात कही लेकिन दानिश ने मना कर दिया और ये घटना हो गई। अगर वह बात मान जाते तो सभी की जान बच जाती। यह कहकर मामा फफक पड़े। वहीं बहन अर्शी बार बार बेहोश हो रही थी। उसने बोला कि भोपाल से सबसे मिलने आई थी क्या पता था सबकी लाश देखनी पड़ेगी।

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