अप्रैल के शुरुआती दिनों में ही गर्मी अपना विकराल रूप दिखाने लगी है। इससे निपटने के लिए अस्पतालों ने भी कमर कसनी शुरू कर दी हैं। इसके लिए कानपुर मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में दो अलग-अलग वार्ड बनाए गए हैं।
32 बेड संरक्षित किए गए
हैलट अस्पताल के मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि बड़ों के लिए 12 बेड संरक्षित किए गए हैं तो बच्चों के लिए 20 बेड। इसके अलावा वार्ड के सभी स्टाफ को और नर्सों को ट्रेनिंग दी गई हैं।
डॉ. बीपी प्रियदर्शी बने नोडल अधिकारी
उन्होंने बताया कि इसके नोडल अधिकारी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बीपी प्रियदर्शी को बनाया गया है। उनके द्वारा सभी स्टाफ को ट्रेनिंग भी दी गई है। आपात स्थिति से निपटने के लिए जो भी इंतजाम थे वो सब किए गए हैं।
पोस्टर के जरिए कर रहे जागरूक
डॉ. आरके सिंह ने बताया कि पोस्टर, बैनर और होर्डिंग के जरिए हम लोग अस्पताल में आने वाले सभी लोगों को जागरूक कर रहे हैं। सरकार की जो भी गाइड लाइन आई है, उसका पालन किया जा रहा है।
मार्च में ही पारा पहुंचा 39 तक
मार्च माह के अंत में शहर का तापमान 39 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। तापमान बढ़ने की वजह से हीट वेव की आशंका भी इस बार ज्यादा बढ़ गई हैं।
बन रहा मरीजों का डेटा
गर्मी बढ़ते ही अस्पतालों में सिर दर्द, चक्कर आना, बेहोशी, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन आदि समस्या से ग्रस्त कई मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री के आदेश पर सभी अस्पतालों में आने वाले इस प्रकार के मरीजों का डेटा अलग से तैयार किया जाएगा।
स्वास्थ्य केंद्रों में भी हीट स्ट्रोक वार्ड
मुख्यमंत्री का आदेश मिलते ही शहर के सभी अस्पतालों ने हीट वेव से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। वहीं, CMO डॉ. हरीदत्त नेमी ने बताया कि सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अधीक्षकों को अस्पताल में 5 बेड का हीट स्ट्रोक वार्ड बनाने के निर्देश दिए गए है।
इन अस्पतालों में भी व्यवस्था
इसके अलावा उर्सला, महिला जिला अस्पताल डफरिन और कांशीराम अस्पताल में 10-10 बेड का एक वार्ड तैयार किया गया है। इन सभी अस्पतालों में यह वार्ड हीट वेव से ग्रस्त होकर आने वाले मरीजों के लिए रिजर्व रहेंगे।