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Health News : महिलाएं रहें सतर्क, गर्भावस्था में बढ़ जाता हर्निया होने का खतरा

तीन दिवसीय चलने वाले फॉल्स हार्निया के दूसरे दिन दिल्ली से आए मुख्य अतिथि विश्व प्रसिद्ध पदमश्री सर्जन डॉ प्रदीप चौबे ने कहा कि महिलाओं को सतर्क रहना चाहिये क्योंकि गर्भावस्था के दौरान हर्निया होने का खतरा बढ़ जाता है।

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Saras Bajpai
हर्नियां कार्यशाला में जानकारी देते डाक्टर

हर्नियां कार्यशाला में जानकारी देते डाक्टर Photograph: (वाईबीएन)

कानपुर, वाईबीएन संवाददाता (Kanpur News)

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तीन दिवसीय चलने वाले फॉल्स हार्निया के दूसरे दिन दिल्ली से आए मुख्य अतिथि विश्व प्रसिद्ध पदमश्री सर्जन डॉ प्रदीप चौबे ने कहा कि महिलाओं को सतर्क रहना चाहिये क्योंकि गर्भावस्था के दौरान हर्निया होने का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने कांफ्रेंस  का उद्घाटन जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ प्रो0 सजय काला के साथ किया। उन्होंने उपस्थित सर्जन्स को सम्बेाधित करते हुए हर्निया ऑपरेशन की आधुनिक व सुरक्षित विधियों के बारे जानकारी देते हुए उसे अपनाने की सलाह दी। उन्होंने आधुनिक तकनीक जैसे आर्टिफीसयिल इंटेलेंगेंस सिमुलेशन व रोबोटिक सर्जरी द्वारा जीरो रेकर्रेंस हर्निया सर्जरी के बारे बताया।  यह भी कहा गया कि गर्भावस्था में हार्निया होने का खतरा  बढ़ जाता है।

महिलाओं में होती है ज्यादा दिक्कत

फॉल्स हर्निया कांफ्रेस के दौरान विश्व प्रसिद्ध डॉ प्रदीप चौबे ने बताया कि हर्निया किसी भी उम्र्र में हो सकती है। उन्होंने बताया कि मरीज की हालत के अनुसार ही उसका इलाज करना उचित होगा नही तो ऐसे में मरीज को नुकसान पहुंच सकता है। कुछ हर्निया पैदाईसी होती है। महिलाओ में अधिकांश गर्भवतियों को होती है क्योकि गर्भवास्था के समय नसो के खिंचाव के कारण आंतो का संतुलन बिगड जाता है जिससे उनको 60 प्रतिशत तक हार्निया होने का चांस होता है जबकि 30 प्रतिशत वायल हर्निया पुरूषो में पायी जाती है। 

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समय से इलाज कराएं वरना होगा नुकसान

उन्होंने बताया कि हार्निया की पहचान करने के लिए कोई गैजेट नही इस्तेमाल में लाया जाता है वह उपरी तौर पर साफ दिखाई पडती है। पेट के पेण्डुलम के अन्दर बहुत सी बीमारियों का जन्म होता है जिसके कारण हर्निया होना एक आम बात हो जाती है। लेकिन अगर समय रहते इसका इलाज न करवा जाये तो यह मरीज को नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने बताया कि प्रेगनेंसी के दौरान हर्निया बढ़ने का खतरा रहता है जिसे एबलाइक्ल हार्निया कहते है।

संक्रमण भी बनता हार्निया होने का कारण

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इसी क्रम में फाल्स हर्निया के मुख्य सलाहकार व एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष डॉ शिवाकान्त मिश्रा ने बताया कि पेट के विवभिन्न बिमारियों के ऑपरेशन के बाद पेट कि परतो को ठीक से न सिलने से या फिर टांकों में प्रयोग होने वाले विशेष धागो को इस्तेमाल न होने या किसी प्रकार के इंफेक्शन के होने पर चीरा लगाने वाला हर्निया की संभावना काफी बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन दशको में  चीरा लगाने वाला हर्निया में 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। मोटापा,  डायबिटीज ,सिगरेट पीने वाले अथवा कैंसर आदि के मरीजों  में  चीरा लगाने वाला हर्निया की संभावना ज्यादा रहती है। 

यह भी रहे मौजूद

 कांफ्रेस में मुख्य रूप से जीएसवीएम मेडिकल कालेज के पूर्व विभागाध्यक्ष  डॉ वी.के. मल्होत्रा, डॉ राजीव भार्गव,डॉ वी.एस. तिवारी, जीएसवीएम मेडिकल के विभागाध्यक्ष  एवं वरिष्ठ सर्जन डॉ जी.डी.यादव,  गैस्ट्रो डॉ आर.के जौहरी, डॉ यू.सी.सिन्हा, डॉ सी.के.सिंह, डॉ एस.के.लूथरा, डॉ अभिमन्यु कपूर, डॉ शरद दमेले व डॉ बी.के गुप्ता समेत तमाम वरिष्ठ चिकित्सक मौजूद रहे।

Kanpur News
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