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जब बात भारतीय डांस और कोरियोग्राफी की आती है, तो शक्ति मोहन का नाम जरूर लिया जाता है। यह प्रतिभाशाली डांसर और कोरियोग्राफर न केवल अपनी शानदार कला के लिए जानी जाती हैं, बल्कि अपनी मेहनत और जुनून से लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं। शक्ति ने साल 2010 में ‘डांस इंडिया डांस’ के दूसरे सीजन को जीतकर अपनी यात्रा शुरू की थी, जहां उनकी कंटेम्पररी और जैज डांस स्टाइल्स ने सभी का दिल जीत लिया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
ग्रामीण महाराष्ट्र से लेकर बॉलीवुड तक का सफर
12 अक्टूबर 1985 को जन्मी शक्ति मोहन ने फिल्मों, टीवी शोज और म्यूजिक वीडियो में उनकी कोरियोग्राफी से एक नया मुकाम हासिल किया, जिसमें उनकी बहनें मुद्रा और सुश्री मोहन भी उनके साथ कदम से कदम मिलाती नजर आईं। ग्रामीण महाराष्ट्र से लेकर बॉलीवुड तक, शक्ति की कला में भारतीय फोक और आधुनिक डांस का अनोखा मेल देखने को मिलता है। उनके काम में गहराई और भावनाएं ऐसी हैं कि हर प्रदर्शन दर्शकों के दिल में बस जाता है।
डॉक्टर्स ने कहा था कि वह चल ही नहीं पाएंगी
मगर बहुत कम लोग जानते हैं कि शक्ति मोहन को एक बार डॉक्टर्स ने कहा था कि वह चल ही नहीं पाएंगी, डांस तो दूर की बात है। इसका जिक्र शक्ति मोहन ने अपने कई इंटरव्यू में किया है। डांसिंग दिवा शक्ति मोहन की यात्रा एक ऐसे क्षण से शुरू हुई, जहां हार निश्चित थी। उनके शरीर को गंभीर चोट पहुंची थी और डॉक्टरों ने लगभग कह दिया था कि वह अपने पैरों पर दोबारा खड़ी नहीं हो पाएंगी।
कला के प्रति समर्पण से जीवन की प्रेरणा में बदला गया
लेकिन अपनी इच्छाशक्ति और कला के प्रति समर्पण से शक्ति मोहन ने इस दुर्भाग्य को अपने जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा में बदल दिया।शक्ति मोहन, जिन्हें आज भारत की बेहतरीन कंटेम्पररी डांसरों में गिना जाता है, उनके बचपन में एक ऐसा हादसा हुआ था जिसने उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। बहुत कम उम्र में शक्ति एक भयानक दुर्घटना का शिकार हुईं, जहां उनके पैर पर एक गंभीर चोट लगी। चोट इतनी गहरी थी कि डॉक्टरों ने उनके परिवार को यह कहकर लगभग निराश कर दिया कि शायद वह कभी भी सामान्य रूप से चल नहीं पाएंगी।
शक्ति मोहन की मां ने दृढ़ संकल्प दिखाया
डॉक्टरों के इस निराशावादी बयान से हताश होने के बजाय, शक्ति मोहन की मां ने दृढ़ संकल्प दिखाया। उन्होंने अपनी बेटी को ठीक करने के लिए पारंपरिक चिकित्सा के साथ-साथ उसे चलने और फिर डांस करने के लिए प्रेरित किया। इस मुश्किल समय में शक्ति मोहन ने अपनी रिकवरी को गति देने के लिए भरतनाट्यम सीखना शुरू किया।
क्लासिकल डांस का कठोर प्रशिक्षण उनके लिए सिर्फ कला नहीं, बल्कि थेरेपी बन गया। भरतनाट्यम ने उनके शरीर को मजबूत किया और उस पैर में जान फूंक दी, जिसे डॉक्टरों ने 'अक्षम' घोषित कर दिया था। इस प्रक्रिया में जो एक इलाज के तौर पर शुरू हुई थी, वह उनका सबसे बड़ा जुनून बन गई।
ऑडिशन वेन्यू पर घंटों तक भीड़ में खड़ा रहना पड़ा
शक्ति मोहन का सबसे बड़ा संघर्ष उनके 'डांस इंडिया डांस सीजन 2' के ऑडिशन से जुड़ा है। शक्ति ने खुद कई बार बताया है कि उन्हें ऑडिशन वेन्यू पर घंटों तक भीड़ में खड़ा रहना पड़ा था, भूखे-प्यासे। एक पल के लिए उन्हें लगा कि वह यह सब छोड़कर वापस चली जाएं, लेकिन उनके बचपन के उस संघर्ष ने उन्हें रोके रखा। जब उन्हें चुना गया और फिर उन्होंने शो में कंटेम्पररी डांस की अपनी अनूठी शैली से प्रदर्शन करना शुरू किया, तो दर्शकों और जजों ने अभूतपूर्व प्यार दिया।आईएएनएस
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