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आयुर्वेद की सत्त्वावजय चिकित्साएक गैर-औषधीय पद्धति है, जो मानसिक रोगों के उपचार में मन को नियंत्रित करने पर केंद्रित है। चरक संहिता के अनुसार, यह मन को हानिकारक विचारों और तनावों से दूर रखती है। सत्वावजय चिकित्सा सत्त्व (शांति) को बढ़ाकर रजस (उत्तेजना) और तमस (आलस्य) को संतुलित करती है। इसमें अष्टांग योग की तकनीकें, जैसे ध्यान, प्राणायाम और आत्म-नियंत्रण, शामिल हैं।
योग मन को नियंत्रित करने का प्रमुख साधन
भारतीय दर्शन में अष्टांग योग मन को नियंत्रित करने का प्रमुख साधन है। इस प्रकार, सत्त्वावजय चिकित्सा योग और आत्म-चिंतन के माध्यम से मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करती है। सत्त्वावजय चिकित्सा चिंता, अवसाद और तनाव जैसे मानसिक विकारों के मूल कारणों को ठीक करती है। यह दवाओं पर निर्भरता कम करती है और व्यक्ति को आत्म-जागरूकता और मानसिक शक्ति प्रदान करती है।
मनोचिकित्सा प्रणाली, सत्त्वावजय चिकित्सा
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानसिक विकारों से संबंधित आंकड़ों के साथ ‘सत्त्वावजय चिकित्सा’ के बारे में जानकारी देता है। मंत्रालय के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया में हर आठ में से एक व्यक्ति किसी न किसी मानसिक विकार से जूझ रहा है। इस समस्या का समाधान आयुर्वेद की प्राचीन पद्धति सत्त्वावजय चिकित्सा में मिलता है, जिसे विश्व की पहली प्रलेखित मनोचिकित्सा प्रणाली माना जाता है। यह चिकित्सा न केवल मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करती है, बल्कि कई अन्य तरह से भी फायदेमंद है।
विचारों और इच्छाओं से दूर रखने की प्रक्रिया
चरक संहिता में सत्त्वावजय को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि यह मन को हानिकारक विचारों और इच्छाओं से दूर रखने की प्रक्रिया है। आयुर्वेद के अनुसार, मन में तीन गुण होते हैं: सत्त्व (शांति, संतुलन), रजस (अति सक्रियता, उत्तेजना), और तमस (आलस्य, अंधकार)। मानसिक विकार तब उत्पन्न होते हैं जब रजस और तमस का प्रभाव बढ़ जाता है। सत्त्वावजय चिकित्सा सत्त्व के बल को बढ़ाकर रजस और तमस को नियंत्रित करती है, जिससे मन शांत और संतुलित होता है।
सत्त्वावजय चिकित्सा मन को स्वस्थ और सकारात्मक दिशा में ले जाने पर केंद्रित है। इसके लिए नियमित ध्यान, प्राणायाम और योग आसन मन को शांत करते हैं और तनाव कम करते हैं। सात्विक आहार (ताजा, शुद्ध और हल्का भोजन), नियमित दिनचर्या और प्रकृति के साथ समय बिताना मन को स्थिरता देता है। नकारात्मक विचारों, गुस्से या चिंता से दूरी बनाकर मन को सकारात्मक दिशा में मोड़ना भी लाभदायी है। यही नहीं, आध्यात्म के माध्यम से भी मन को शांत किया जा सकता है। भक्ति, प्रार्थना या आत्म-चिंतन के माध्यम से मन को शांति प्रदान करना।(आईएएनएस) : Sattvavajaya therapy | mental disorder natural cure | मानसिक रोग समाधान | सत्त्वावजय उपचार