Advertisment

मरोड़ फली पाचन से लेकर मधुमेह तक की एक आयुर्वेदिक कुंजी

मरोड़ फली, जिसे इंडियन स्क्रू ट्री भी कहा जाता है, आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा माना जाता है। इसके फल की स्क्रू जैसी आकृति के कारण इसे मरोड़ फली कहा जाता है।

author-image
Ranjana Sharma
BeFunky-collage - 2025-10-12T170138.245

लाइफस्टाइल : मरोड़ फली, जिसे आमतौर पर इंडियन स्क्रू ट्री कहा जाता है, आयुर्वेद में एक अत्यंत उपयोगी और औषधीय पौधा माना जाता है। इसके फल की आकृति स्क्रू जैसी मुड़ी हुई होती है, इसलिए इसे मरोड़ फली कहा जाता है। यह पौधा मुख्य रूप से भारत, श्रीलंका, म्यांमार और दक्षिण एशिया के अन्य हिस्सों में पाया जाता है।  

कफ दोष को संतुलित करता है 

आयुर्वेदिक दृष्टि से यह पित्त और कफ दोष को संतुलित करता है और इसमें कषाय (कड़वा-खट्टा) रस, लघु तथा रूक्ष गुण पाए जाते हैं और इसका वीर्य शीत होता है। मरोड़ फली को पाचन, मधुमेह, त्वचा रोग, श्वसन संबंधी विकारों, सर्पदंश और लिवर की बीमारियों में लाभदायक माना गया है।

मरोड़ फली का सेवन मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी 

मरोड़ फली के विभिन्न भाग फल, छाल, जड़ और पत्तियां अनेक औषधीय प्रयोगों में उपयोग किए जाते हैं। पाचन तंत्र के लिए यह एक उत्कृष्ट औषधि है। दस्त, अतिसार, गैस, कोलिक दर्द और आंतों के संक्रमण में यह राहत देती है। बच्चों में पेट दर्द और कुपोषण जैसी समस्याओं में इसका प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है। मरोड़ फली का सेवन मधुमेह रोगियों के लिए भी लाभकारी है, क्योंकि यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करती है और इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाती है।

संक्रमण और घावों के उपचार में भी उपयोगी

इसके अलावा, इसके एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर को सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाते हैं। त्वचा रोग जैसे खाज-खुजली, संक्रमण और घावों के उपचार में भी यह उपयोगी है। आयुर्वेद में इसे कफ-पित्त शामक, रसायन और इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में वर्णित किया गया है।

Advertisment

पानी में उबालकर शहद के साथ सेवन किया जाता है

मरोड़ फली के कई घरेलू और पारंपरिक नुस्खे भी प्रचलित हैं। मरोड़ फली का काढ़ा गैस्ट्रिक समस्याओं के लिए प्रभावी माना जाता है। इसे पानी में उबालकर शहद के साथ सेवन किया जाता है। सूजन और दर्द के लिए मरोड़ फली की जड़ और हल्दी से बना पेस्ट प्रभावित स्थान पर लगाने से लाभ होता है। कान दर्द की स्थिति में इसके फल को अरंडी तेल में गर्म करके छान लिया जाता है और दो-तीन बूंदें कान में डाली जाती हैं। त्वचा रोगों के लिए इसकी पत्तियों का पेस्ट बनाकर प्रभावित जगह पर लगाया जाता है।

इनपुट--आईएएनएस

Advertisment
Advertisment