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वीर जारा फेम Preity Zinta जब निकलीं मां के साथ धार्मिक यात्रा पर, भीड़ में चलीं पैदल

एक्ट्रेस Preity Zinta ने अपनी मां के साथ प्रयागराज में महाकुंभ से वाराणसी तक की धार्मिक यात्रा की  की तस्वीरें और वीडियो अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर पोस्ट किए हैं।

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Mukesh Pandit
priti

Photograph: (insta)

'वीर-ज़ारा' फ्रेम एक्ट्रेस प्रीति जिंटा पर धर्म और अध्यात्म का गहरा रंग चढ़ा हुआ है। एक्ट्रेस प्रीति जिंटा ने अपनी मां के साथ प्रयागराज में महाकुंभ से वाराणसी तक की धार्मिक यात्रा की  की तस्वीरें और वीडियो अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर पोस्ट किए हैं। इसमें उन्होंने इन पवित्र स्थानों की अपनी यात्रा की कुछ झलकियां दिखाईं है। उनके प्रशंसक प्रीति का यह धार्मिक रूप देखकर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। 

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ऑटो रिक्शा और साइकिल रिक्शा तक

उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावुक नोट भी लिखा, "यह यात्रा कितनी रोमांचक रही। मां शिवरात्रि के लिए वाराणसी में हमारी महाकुंभ यात्रा को समाप्त करना चाहती थीं। इसलिए मैंने उनसे कहा, बेशक मां, चलो। जब हम वहां पहुंचे तो पता चला कि अधिक भीड़ के कारण कारों की अनुमति नहीं थी और एक पॉइंट के बाद सड़कें ब्लॉक थीं। इसलिए लोग पैदल चलकर काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन कर सकते थे। हमने तय किया कि हम वहां जाएंगे। कार में बैठने से लेकर ऑटो रिक्शा और साइकिल रिक्शा तक हमने यह सब किया और बहुत कुछ किया, हम भीड़ में चलते रहे।"

Preity Zinta
Photograph: (Instagram)
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मुझे कभी भी कोई नकारात्मक चीज नहीं मिली 

यात्रा से अपने अनुभव शेयर करते हुए, 'कल हो ना हो' एक्टर्स ने लिखा," वाराणसी में भीड़ बहुत अच्छी थी।'' मुझे कभी भी कोई नकारात्मक चीज नहीं मिली और लोग मूल रूप से अच्छे हैं। भले ही यात्रा में हमें घंटों लग गए, लेकिन हमें कभी भी परेशानी महसूस नहीं हुई। इसके लिए आस्था की शक्ति और आसपास के लोगों की सामूहिक ऊर्जा का धन्यवाद।"

मां पूरी यात्रा के दौरान बेहद खुश थीं 

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प्रीति जिंटा ने यह भी बताया कि उनकी मां पूरी यात्रा के दौरान बेहद खुश थीं और उनके अनुसार यही सबसे बड़ी 'सेवा' है। "मैंने अपनी मां को कभी इतना खुश नहीं देखा... वे चमक रही थीं। उन्हें देखकर मुझे एहसास हुआ कि सबसे बड़ी सेवा भगवान के प्रति नहीं, बल्कि अपने माता-पिता के प्रति है।

दुख की बात है कि हमें उनकी कीमत तभी पता चलती है, जब हम माता-पिता बन जाते हैं। भले ही उन्होंने इस यात्रा की शुरुआत की थी, लेकिन आह्वान मेरा था - वे सिर्फ बहाना थीं। हम आधी रात को पहुंचे और आधी रात की आरती देखी। यह कुछ सेकंड के लिए था, क्योंकि कोई वीआईपी सेवाएं उपलब्ध नहीं थीं, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ा।"

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