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World Theatre Day: रंगमंच दिवस पर विवेक रंजन ने दिखाई पहले थिएटर अपीयरेंस की झलक, पूर्व पीएम वाजपेयी थे मुख्य अतिथि

विश्व रंगमंच दिवस के मौके पर फिल्म निर्माता-निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने अपने पहले थिएटर अपीयरेंस की झलक दिखाई। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। 

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YBN News
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WorldTheatreDay Photograph: (ians)

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मुंबई, आईएएनएस। विश्व रंगमंच दिवस के मौके पर गुरुवार को फिल्म निर्माता-निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने अपने पहले थिएटर अपीयरेंस की झलक दिखाई। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। 

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पहले किरदार का नाम ‘भरत’

इंस्टाग्राम पर थिएटर के दिनों का पोस्ट शेयर कर उन्होंने बताया कि उनके पहले किरदार का नाम ‘भरत’ था। उन्होंने लिखा, “इस विश्व रंगमंच दिवस पर ‘अभिज्ञान शाकुंतलम’ में ‘भरत’ के रूप में मंच पर अपनी पहली उपस्थिति प्रस्तुत कर रहा हूं। मेरा पहला संवाद एक शेर के साथ था, ‘आ शेर, मैं तेरे दांत गिनूं।’ अटल बिहारी वाजपेयी मुख्य अतिथि थे।“

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इसके साथ ही उन्होंने तस्वीरों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया, "पहली तस्वीर मेरी है और दूसरी तस्वीर में मेरी पत्नी पल्लवी जोशी एक गुजराती नाटक में बाल कलाकार के रूप में दिखाई दे रही हैं। हम दोनों ने लगभग एक ही उम्र में थिएटर शुरू किया था। विश्व रंगमंच दिवस के मौके पर आप भी अपने थिएटर के पहले अनुभव की यादों को शेयर करें।”

फिल्म निर्माता-अभिनेत्री पल्लवी जोशी ने समाचार एजेंसी से बात की और रंगमंच के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त किया। वहीं, अभिनेत्री निमरत कौर पुरानी यादों में खो गईं और कहा कि उन्होंने रंगमंच से "बहुत कुछ सीखा है"।

थिएटर को एक शौक के रूप में

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पल्लवी जोशी ने बताया कि महाराष्ट्र में थिएटर इसलिए बचा हुआ है क्योंकि टिकट खरीदना अब भी सस्ता है। उन्होंने कहा, "थिएटर का पूरा गणित बहुत अलग है। महाराष्ट्र में थिएटर इसलिए बचा हुआ है क्योंकि टिकट की कीमतें कम होती हैं, तो कलेक्शन कम होता है, जिसका मतलब है कि अभिनेताओं के पैसे और निर्माताओं के मुनाफे का मार्जिन भी कम होता है। यह दुखद है।"

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थिएटर पसंदीदा क्षेत्र

जोशी ने बताया, “थिएटर में अनगिनत असाधारण प्रतिभाशाली कलाकार हैं, जिन्हें बहुत कम भुगतान किया जाता है। किसी भी नाटक में उनका काम शानदार और अमूल्य है, फिर भी शायद ही उन्हें काम के मुताबिक मेहनताना मिलता है। बड़े सितारे फिर भी कुछ पैसे कमाने में कामयाब हो जाते हैं, लेकिन बाकी लोगों को अभी भी गुजारा करने के लिए नौकरी पर निर्भर रहना पड़ता है और थिएटर को एक शौक के रूप में लेना पड़ता है।”

दूसरी तरफ, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर थिएटर के दिनों की तस्वीरें शेयर करते हुए निमरत कौर ने रंगमंच के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि थिएटर उनका पसंदीदा क्षेत्र रहा है। उन्होंने लिखा, “एक कलाकार के तौर पर मैं जिस दौर की ऋणी हूं, उस दौर की कुछ झलकियां। यहां मुझे सबक मिला, असफलताएं मिलीं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि इनके बीच एक बार फिर से शुरू करने के लिए उठ खड़े होने का साहस मिला।“

ब्रिटिश कलाकार ऑगस्टो बोअल की एक पंक्ति "थिएटर खुद को देखने की कला है", का जिक्र करते हुए निमरत ने लिखा कि यह उक्ति "मंच के जादू के लिए यह हमेशा प्रेरित करता रहे। विश्व रंगमंच दिवस की शुभकामनाएं"।

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