लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
आम आदमी पार्टी (AAP) सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) ने यूपी के बजट पर सवाल उठाते हुए योगी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बजट में बड़े-बड़े दावे किए गए हैं, लेकिन गंभीर मुद्दों पर कोई कदम नहीं उठाया गया। खासकर शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की उदासीनता साफ नजर आती है। संजय सिंह ने आरोप लगाया कि पिछले बजट में शिक्षा के लिए निर्धारित राशि का 15 प्रतिशत हिस्सा खर्च ही नहीं किया गया। इससे सरकारी स्कूलों की हालत और खराब हो गई। परिणामस्वरूप आठ महीने में 8 लाख बच्चों ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई छोड़ दी। यह आंकड़ा खुद केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने संसद में दिया था।
शिक्षा, खेल और संस्कृति में 14% बजट खर्च नहीं हुआ
संजय सिंह ने कहा वर्ष 2023-24 के बजट में शिक्षा, खेल, कला और संस्कृति विभाग के लिए 85 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था, लेकिन इसमें से केवल 73 हजार करोड़ रुपए ही खर्च किए गए। जिससे 14 प्रतिशत राशि खर्च ही नहीं हो सकी। स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिति और भी खराब रही। जहां 47 हजार करोड़ रुपए के बजट में से सिर्फ 28,911 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए। यानी 39 प्रतिशत धनराशि बिना उपयोग के रह गई। जलापूर्ति और स्वच्छता के लिए 24 हजार करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया था। जिसमें से 20 हजार करोड़ रुपए ही खर्च हुए, जिससे 18 प्रतिशत राशि खर्च नहीं हो सकी। नगर विकास के लिए 28,465 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया, लेकिन इसमें से 27,795 करोड़ रुपए ही खर्च हुए। दो प्रतिशत राशि बची रह गई। वहीं, अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए 6,085 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया था लेकिन केवल 4,327 करोड़ रुपए खर्च किए गए। जिससे 29 प्रतिशत धनराशि खर्च नहीं हो पाई। संजय सिंह ने इन आंकड़ों को पेश करते हुए सरकार पर सवाल उठाया कि जब बजट मौजूद था, तो विभिन्न क्षेत्रों में इसका पूरा उपयोग क्यों नहीं किया गया?
विभिन्न क्षेत्रों में निर्धारित बजट खर्च नहीं हुआ
इसके अलावा सिंचाई और कृषि क्षेत्र के लिए 18,668 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया था, लेकिन इसमें से केवल 16,823 करोड़ रुपये ही खर्च हुए। जिससे 10 प्रतिशत राशि बिना उपयोग के रह गई। इसी तरह ग्रामीण विकास के लिए 32,771 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। इसमें 28,272 करोड़ रुपये ही खर्च हुए। 14 प्रतिशत बजट खर्च नहीं किया गया। सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण के लिए 22,000 करोड़ रुपये तय किए गए थे, लेकिन सरकार केवल 14,422 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई। जिससे 35 प्रतिशत धनराशि बची रह गई। बिजली क्षेत्र के लिए 43,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया, जो नाकाफी था। ट्रांसपोर्ट के लिए 41,286 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था, लेकिन 38,688 करोड़ रुपये ही खर्च हुए, 6 प्रतिशत राशि खर्च नहीं हुई। सड़क और पुल निर्माण के लिए निर्धारित 38,338 करोड़ रुपये में 36,223 करोड़ ही उपयोग में लाए गए। पुलिस विभाग के लिए 35,579 करोड़ रुपये का बजट था, लेकिन इसमें से केवल 28,707 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए, जिससे 19 प्रतिशत धनराशि बिना उपयोग के रह गई।
नफरत की राजनीति में सरकार व्यस्त
संजय सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार बजट में खेल कर जनता को गुमराह करती है। उन्होंने बताया कि कि 1,00,335 करोड़ रुपये शिक्षा, खेल, कला और संस्कृति के लिए निर्धारित किए गए थे, लेकिन बाद में शिक्षा के लिए 84,985 करोड़ रुपये का संशोधित बजट पेश कर 15 प्रतिशत घटा दिया। 2025-26 के लिए 1,03,553 करोड़ रुपये का बजट लाया गया। जिसमें भी 15 प्रतिशत की कटौती की गई। कुछ धनराशि जोड़कर ऐसा दिखाया जा रहा है मानो बजट बढ़ा दिया गया हो। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। इस सरकार ने हर सेक्टर की बैंड बजा दी है। जनता को गुमराह करने के बजाय कुछ नहीं किया। भाजपा सरकार यूपी में दिन रात हिंदू-मुसलमान और नफरत फैलकर लोगों को बांटने में जुटी रहती है। लोगों के कल्याण के लिए कोई काम नहीं किया। संजय सिंह ने मांग की कि सरकार बजट पर श्वेत पत्र जारी कर यह स्पष्ट करे कि वास्तव में कितना पैसा खर्च किया गया।