लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर की सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपने रिश्तेदारों से मिलने आए पाकिस्तानी नागरिक अब खुफिया एजेंसियों की रडार पर हैं। लखनऊ में मौजूद आठ पाकिस्तानी नागरिकों की गतिविधियों की गहन जांच की गई, जिनमें से पांच को हमले के तुरंत बाद ही उनके देश वापस भेज दिया गया है, जबकि शेष तीन की वापसी की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। ये सभी पाकिस्तानी नागरिक विजिट वीजा पर भारत आए थे और राजधानी में अपने पारिवारिक संबंधों के चलते ठहरे हुए थे।
सतर्कता के निर्देश पर हरकत में आई खुफिया एजेंसियां
पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सख्त दिशा-निर्देश जारी करते हुए पाकिस्तानी नागरिकों के सत्यापन, निगरानी और तत्काल वापसी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। यूपी पुलिस के मुखिया डीजीपी प्रशांत कुमार ने सभी जनपदों के पुलिस प्रमुखों को निर्देशित किया है कि पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान कर उन्हें शीघ्र उनके देश भेजा जाए।लखनऊ पुलिस ने उन भारतीय नागरिकों पर भी नजर रखनी शुरू कर दी है, जिनके पारिवारिक या व्यक्तिगत संबंध पाकिस्तान से हैं। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (LIU) को सक्रिय करते हुए संदिग्ध गतिविधियों की निरंतर निगरानी की जा रही है।
‘सीमा हैदर’ जैसे मामलों से एजेंसियां सतर्क
खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि बड़ी संख्या में पाकिस्तानी नागरिक नेपाल सीमा के रास्ते बिना वैध वीजा के भारत में घुसपैठ कर रहे हैं। 'सीमा हैदर' प्रकरण जैसे मामलों ने खुफिया तंत्र को विशेष सतर्कता बरतने के लिए मजबूर किया है। केंद्र सरकार के निर्देशों के क्रम में लखनऊ से आठ पाकिस्तानी नागरिकों की वापसी की पुष्टि की गई है, वहीं LIU की टीमों को और भी व्यापक अभिसूचना संकलन का आदेश दिया गया है।
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बड़ी चिंता: जाली दस्तावेजों से बन रही 'भारतीय पहचान'
रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ घुसपैठिए भारतीय दस्तावेज बनवाकर देश में लंबे समय तक छिपे रहते हैं। ऐसे लोगों पर शक है कि ये जासूसी या आतंकी नेटवर्क के लिए सूचना एकत्रित करने का कार्य कर सकते हैं। भले ही इनकी संख्या बांग्लादेशी घुसपैठियों से कम हो, परंतु खतरा उतना ही गंभीर माना जा रहा है।गौरतलब है कि शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म वीजा पर आने वाले पाकिस्तानी नागरिकों का पंजीकरण संबंधित जिले के एसपी के अधीन होता है, जबकि इनका केंद्रीकृत डेटा फॉरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) द्वारा संकलित किया जाता है।