- जन सुनवाई में 37 प्रकरणों में से 09 का मौके पर निस्तारण
लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) में गुरूवार को जन सुनवाई में पार्षद राजेश सिंह गब्बर ने निशातगंज की पेपरमिल कालोनी में गुरूद्वारे के पास किये जा रहे एक अवैध निर्माण के सम्बंध में शिकायत की। उन्होंने बताया कि एलडीए की ओर से सील किये जाने के बाद भी स्थल पर लगातार निर्माण कार्य हो रहा है। इसमें बिल्डर और प्रवर्तन के कर्मचारियों की सीधी मिलीभगत है। इस पर मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब ने सम्बंधित अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करते हुए अवैध निर्माण रोकने के आदेश दिये। साथ ही क्षेत्रीय अवर अभियंता सुरेन्द्र कुमार दीक्षित के खिलाफ आरोप पत्र जारी करते हुए निलम्बन की कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति भेजने के निर्देश दिये।
प्रवर्तन टीम ने किसान की बाउंड्रीवॉल तोड़ी
इस क्रम में गोसाईंगंज के ग्राम-कासिमपुर बिरूहा निवासी देवेन्द्र कुमार शुक्ला ने प्रार्थना पत्र देते हुए बताया कि प्रवर्तन जोन-1 की टीम ने 6 मई, 2025 को उनके गांव में अवैध प्लाटिंग के खिलाफ ध्वस्तीकरण अभियान चलाया था। इसमें प्रवर्तन दल ने दो अवैध प्लाटिंग के बीच स्थित उनकी कृषि भूमि की बाउन्ड्रीवॉल को भी ध्वस्त कर दिया, जोकि उन्होंने आवारा पशुओं से फसल की सुरक्षा के लिए बनवायी थी। प्रार्थी का आरोप है कि प्रवर्तन टीम ने उनकी कृषि भूमि की बाउन्ड्रीवॉल पूरी तरह तोड़ दी, जबकि डेवलपर की ओर से अवैध रूप से किये गये विकास कार्यों को आंशिक नुकसान ही पहुंचाया। इस पर मण्डलायुक्त ने प्रवर्तन के अभियंताओं को फटकार लगाते हुए पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है। साथ ही डेवलपर की ओर से अवैध प्लाटिंग स्थल पर किये गये विकास कार्यों को पूरी तरह ध्वस्त करने के भी निर्देश दिये।
सील तोड़कर दोबारा निर्माण, FIR के आदेश
वहीं, ठाकुरगंज निवासी ज्योति अग्रवाल ने शिकायत की कि उनके भाई ने सम्पत्ति का बंटवारा कराये बिना चौक में खुन खुन जी रोड स्थित उनके पैतृक कॉम्पलेक्स के द्वितीय तल पर अवैध रूप से व्यावसायिक निर्माण करवाया जा रहा है। उनकी शिकायत पर एलडीए के प्रवर्तन जोन-7 की टीम ने निर्माण कार्य को सील कर दिया था। लेकिन, उनके भाई ने सील पट्टा हटाकर पुनः निर्माण कार्य शुरू करा दिया है। मण्डलायुक्त ने इस मामले में निर्माण कर्ता के खिलाफ स्थानीय थाने मेें एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिये हैं। जनसुनवाई में कुल 37 प्रार्थना पत्र प्राप्त हुये। इसमें नौ प्रकरणों का मौके पर ही निस्तारण कर दिया गया। वहीं, शेष प्रकरणों में समय सीमा निर्धारित करते हुए सम्बंधित अधिकारी को निस्तारण करने के निर्देश दिये गए।