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औरंगजेब के बाद अब सैयद सालार मसूद पर छिड़ा विवाद, ABSP ने की बहराइच से मकबरा हटाने की मांग

महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र मामला अभी थमा नहीं था कि अब यूपी में बहराइच जनपद में सैयद सालार मसूद गाजी की लेकर विवाद छिड़ गया है। बहराइच से सैयद सालार मसूद गाजी की मजार हटवाने की मांग उठी है।

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Deepak Yadav
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 सैयद सालार मसूद

अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी हजरतगंज इंस्पेक्टर को ज्ञापन देते। Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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महाराष्ट्र में मुगल शासक औरंगजेब की कब्र का बवाल अभी थमा नहीं था कि अब यूपी में बहराइच जनपद में सैयद सालार मसूद गाजी की लेकर विवाद छिड़ गया है। बहराइच से सैयद सालार मसूद गाजी की मजार हटवाने की मांग उठी है। अखिल भारत हिंदू महासभा ने इस संबंध में गुरुवार को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन हजरतगंज इंस्पेक्टर को सौंपा। जिसमें संभल के नेजा मेले और सालार मसूद हाजी की दरगाह पर लगने वाले उर्स पर रोक की भी मांग की गई है।

मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील

अखिल भारत हिंदू महासभा (ABSP) के प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी ने कहा कि देश को लूटने वाला सैयद सालार मसूद की मजार भारत में होना हमारे इतिहास और संस्कृति का अपमान है। उन्होंने कहा कि बहराइच में स्थित गाजी के मकबरे को तत्काल हटाया जाए और इसके स्थान पर राजा सुहेलदेव का एक भव्य स्मारक बनाया जाए। संगठन ने यह भी मांग की कि संभल में होने वाले नेजा मेले और सालार मसूद गाजी की मजार पर लगने वाले उर्स पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए, क्योंकि ये आयोजन देश की एकता और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए खतरा बन सकते हैं। महासभा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मांग पर जल्द कार्रवाई करने की अपील की है। 

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महमूद गजनवी का भांजा था सैयद सालार मसूद 

सैयद सालार मसूद गाजी आक्रमणकारी महमूद गजनवी का भांजा और सेनापति था। उसने 1206 ईस्वी में सोमनाथ के आस-पास हमला किया। गुजरात में आक्रमण करने के बाद वह आज के उत्तर प्रदेश पहुंचा। यहां उसका सामना श्रावस्ती राज्य के राजा सुहेलदेव से हुआ। सुहेलदेव ने 21 राजाओं के साथ मिलकर एक शक्तिशाली संयुक्त सेना बनाई। बहराइच के युद्ध में सुहेलदेव की सेना ने सैयद सालार मसूद गाजी को पराजित किया और वह युद्ध में मारा गया। इसके बाद उसे बहराइच में ही दफना दिया गया और यहीं उसका मकबरा है।

कहां दफनाया गया सालार मसूद?

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सैयद सालार मसूद की मौके के बाद उसे बहराइच की चित्तौरा झील के किनारे दफनाया गया था। लगभग 200 साल बाद 1250 ईस्वी में दिल्ली के सुल्तान नसीरुद्दीन महमूद ने उसकी कब्र को मकबरे का रूप दिया। बाद में फिरोजशाह तुगलक ने मकबरे के आसपास कई गुंबदों का निर्माण कराया। तभी से यहां हर साल उर्स और मेला आयोजित किया जाता रहा है।  हिंदू संगठन मकबरा हटाने की मांग के साथ उर्स का विरोध कर रहे हैं

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