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UP Politics : दलितों पर अत्याचार में यूपी नंबर वन, Akhilesh Yadav बोले- BJP की सोच सामंतवादी, संविधान विरोधी

UP Politics : अखिलेश यादव ने सोमवार को इंटरनेट मीडिया एक्स पर लिखा कि विशेष रूप से दलित महिलाओं के उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के मामलों में, यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, ओड़िशा और महाराष्ट्र जैसे वही राज्य क्यों सबसे आगे हैं, जो भाजपा शासित हैं?

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Deepak Yadav
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अखिलेश यादव का आरोप, दलितों पर अत्याचार में यूपी नंबर वन Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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UP Politics : समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने उत्तर प्रदेश समेत भाजपा शासित अन्य राज्यों में दलितों के खिलाफ कथित बढ़ते अपराधों को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार उच्च पदों पर केवल एक विशेष जाति के लोगों को वरीयता देती है। एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने भाजपा पर तीखा हमला बोला और उसे संविधान विरोधी और  सामंतवादी सोच वाली पार्टी करार दिया।

भाजपा शासित राज्यों में सुरक्षित नहीं दलित

अखिलेश यादव ने सोमवार को इंटरनेट मीडिया एक्स पर मीडिया हाउस की रिपोर्ट का वीडियो पोस्ट कर​ लिखा कि दलितों पर अत्याचार के मामले में भाजपा सरकार के समय में यूपी नंबर 1 बन गया है। सवाल ये है कि दलितों पर हमलों और दलितों के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराधों में, वो भी खासतौर से दलित महिलाओं के उत्पीड़न और दुर्व्यवहार की वारदातों में उप्र, राजस्थान, मप्र, बिहार, ओड़िशा, महाराष्ट्र जैसे वो ही राज्य क्यों है, जो भाजपा शासित हैं। भाजपा मूलतः परम्परागत प्रभुत्ववादियों की पार्टी है और वर्चस्ववादी भाजपाइयों की बुनियादी सोच सामंतवादी है, जिसमें गरीब, वंचित, दलित, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, आधी आबादी (महिलाओं) और आदिवासियों के लिए सिर्फ अपमान और जलालत के अलावा और कुछ नहीं है। 

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भाजपाई संविधान विरोधी 

सपा प्रमुख ने आगे लिखा कि मन, मानस और आचरण में भाजपाई आजादी से पहले की ही सोच में जी रहे हैं। इसीलिए भाजपाई संविधान के भी विरोधी हैं क्योंकि भाजपा में संगठन और सरकार के प्रमुख पदों पर हमेशा ही केवल कुछ खास लोग ही विराजमान रहते हैं और बाकी दौड़-भाग, डंडा-झंडा, बैनर-दरी के काम औरों को दे दिये जाते हैं। भाजपा के अंदर पदनाम भले किसी दलित, पिछड़े को मिल जाए पर ‘पदमान’ कभी नहीं मिलता। उनके नाम से चुनाव लड़े जाते हैं लेकिन मुख्यमंत्री की तो छोड़ो उन्हें और भी कोई कुर्सी नहीं दी जाती है। अगर सच में कोई अपने जमीर की आवाज सुने तो वो ऐसे लोगों के हाथ न तो उत्पीड़ित हो और न ही अपमानित, ये बात अलग है कि वो अपने स्वार्थ और लालच की वजह से समझौता कर रहा है। 

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