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Basant Kunj scheme : विवादों में फंसा 275 भूखंड आवंटन, अफसरों की लापरवाही आई सामने, LDA ने गठित की पुर्नविचार कमेटी

साल 2022 में पंजीकरण खोलने के बाद आवंटियों को दो साल में कब्जा देने का वादा किया गया था। अब सेक्टर ए को निरस्त करने व आवंटियों की नाराजगी के बाद एलडीए ने पूरे मामले में पुर्नविचार के लिए कमेटी बना दी है।

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Abhishek Mishra
Allotment 275 plots Basant Kunj scheme stuck controversy

बसंतकुंज के 275 भूखंड किसानों के अडंगे से अटके

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बसंतकुंज योजना में सेक्टर ए के 275 भूखंडों का आवंटन कर दिया गया जबकि मौके पर एलडीए किसानों से कब्जा तक नहीं ले सका है। इस मामले में पूर्व के जिम्मेदार अफसर व कर्मचारियों की बड़ी लापरवाही सामने आयी है। अर्जन, संपत्ति व इंजीनियरिंग के अफसरों ने अंधेरे में रख पंजीकरण खोल दिया। 275 भूखंडों के लिए आवंटियों को अब कब्जे का इंतजार है। 

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पंजीकरण और आवंटन की प्रक्रिया में जल्दबाजी

साल 2022 में पंजीकरण खोलने के बाद आवंटियों को दो साल में कब्जा देने का वादा किया गया था। अब सेक्टर ए को निरस्त करने व आवंटियों की नाराजगी के बाद एलडीए ने पूरे मामले में पुर्नविचार के लिए कमेटी बना दी है। इस कमेटी में अपर सचिव सीपी त्रिपाठी की अध्यक्षता में नगर नियोजक केके गौतम, अधिशासी अभियंता संजीव गुप्ता, लेखाकार व तहसीलदार को शामिल किया गया है। कमेटी महीने भर में अपनी रिपोर्ट देगी।

भूखंडों को निरस्त करने का फैसला स्थगित 

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अपर सचिव सीपी त्रिपाठी ने बताया वर्ष 1980-81 में अर्जन की कार्रवाई शुरू हुई थी। इसके बाद लगभग 800 किसानों को 85713 वर्ग मीटर भूमि के बदले 149 करोड़ रुपये मुआवजा दिया जा चुका है। बताया कि भूखंडों को निरस्त करने का फैसला फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार के निर्देश पर अब इस मामले में पुर्नविचार किया जाएगा। इसके लिए कमेटी बनाई गई है जो कि पूरे मामले का परीक्षण करने के बाद महीने भर में अपनी रिपोर्ट वीसी को देगी। इसके बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा। 

ब्याज के साथ पैसा होगा वापस 

सोमवार को कई आवंटी एलडीए उपाध्यक्ष से मिलने पहुंचे। उन्होंने जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। कहा कि उन्हें पैसा नहीं प्लाट चाहिए। रेरा ने भी जमीन के कब्जे की स्थिति नहीं देखी और पंजीकरण कर दिया। जिस पर लोगों ने भरोसा कर आवेदन कर दिया।
योजना को निरस्त करने पर रेरा के निदेर्शों के अनुसार ब्याज के साथ पैसा वापस होगा। अपर सचिव सीपी त्रिपाठी ने बताया कि रेरा का आदेश एमसीएलआर से एक प्रतिशत ज्यादा दर पर ब्याजे देने का है। यह लगभग नौ प्रतिशत होता है। अगर ब्याज देना हुआ तो इसी दर पर दिया जाएगा।

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आवंटन प्रक्रिया पर उठ रहें सवाल 

275 भूखण्डों के पंजीकरण खोलने से पहले जमीन का विवाद चल रहा है। लेआउट प्लान में नम्बर प्लान एवं भूमि पर अवैध कब्जा न हटाये जाने से लंबे समय तक लॉटरी नहीं हो पा रही थी। अफसरों ने कार्यालय में बैठकर ले आउट तैयार कर दिया और लॉटरी करा दी। जबकि मौके पर कोई विकास कार्य नहीं कराया गया है। इससे पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।

अवैध कब्जों के चलते विकास कार्य हो रहा बाधित

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योजना देख रहे जिम्मेदार बताते हैं कि अधिग्रहित जमीन आबादी से सटी हुई है। गांव के कई लोगों ने अधिग्रहित जमीन पर निर्माण करा लिये हैं। सेक्टर ए में अवैध कब्जों के चलते विकास कार्य बाधित हो रहा है। एलडीए के अभियंत्रण विभाग ने अवैध कब्जेदारों को पूर्व में कब्जे हटाने के लिए चेतावनी दी थी। लेकिन कब्जा हटाना अब बड़ी समस्या बन चुका है। यहां विकास कार्य कराने के लिए वर्ष 2008 से अब तक एलडीए 8 बार से अधिक डेट लगा चुका है, लेकिन गांव के पुरुष, महिलाएं व बच्चें जेसीबी के सामने आकर विरोध शुरू कर देते थे। इससे काम नहीं हो सका। मौके पर जमीन खाली पड़ी है।

किसानों ने प्रदर्शन कर रूकवा दिया था काम 

प्राधिकरण की छंदोइया, बरावन कला, बरावन खुर्द व गजराहार गांवों की जमीन पर बसंतकुंज योजना के सेक्टर ए के लिए भूखंड काटे गए हैं। यहां विकास कार्य कराने के दौरान किसानों ने प्रदर्शन कर काम को रूकवा दिया था। किसानों की मांग है कि उन्हें गड्ढा युक्त जमीन के लिए 4 रुपये व समतल जमीन का 6 रुपये के हिसाब से मुआवजा दिया जाए। जबकि अधिग्रहित जमीन पर बने मकानों को छोड़ दिया जाए। बताया जा रहा है कि पूरे सेक्टर में मकान बने होने से जमीन को खाली कराना अब चुनौती बन गया है।

किसानों को अब तक नहीं मिल सका मुआवजा

इसके साथ ही किसानों ने योजना में चबूतरा आवंटित न करने व मुआवजा न देने को लेकर विरोध किया जा रहा है। गजराहार गांव के किसानों को अब तक मुआवजा भी नहीं मिल सका। हालांकि ज्यादातर किसानों ने अपना मुआवजा ले लिया है। लेकिन सेक्टर ए के कुछ हिस्से में कुछ लोगों ने अवैध निर्माण कर बाउण्ड्री वाल बना लिया है। कई ने भवन तक बना लिए हैं। वहीं रिक्त पड़ी भूमि पर टट्टर व अन्य माध्यमों से अवैध कब्जा कर रखा है। इस वजह से योजना का विकास बाधित हो रहा है।

किस भूखंडों पर सबसे ज्यादा विवाद

इसमें 200 वर्ग मीटर के 30 भूखण्ड, 112.50 वर्ग मीटर के 70 तथा 72 वर्ग मीटर के कुल 175 भूखंड हैं। इनमें से 72 वर्ग मीटर के भूखण्ड संख्या 3/65, 3/66 व 200 वर्ग मीटर के आठ भूखण्ड संख्या 3/257 से 3/264 तक के भूखण्ड प्रभावित हैं। किसानों के विरोध के चलते यहां विकास कार्य नहीं हो सके हैं।

2022 खोला गया था भूखण्डों का पंजीकरण

बसंत कुंज योजना सेक्टर ए में विभिन्न श्रेणियों के 275 भूखण्डों के लिए 6 अक्टूबर 2022 से 12 नवंबर 2022 तक विभिन्न श्रेणी के भूखण्डों का पंजीकरण खोला गया था। कुल 4013 आवेदन प्राप्त हुए थे। 30,350 रुपये प्रति वर्ग मीटर से करीब 100 करोड़ रुपये प्राधिकरण को आवंटी दे चुके हैं। इसमें 200 वर्ग मीटर के 30 भूखण्ड, 112.50 वर्ग मीटर के 70 तथा 72 वर्ग मीटर के कुल 175 भूखंड हैं। 200 वर्ग मीटर के भूखंडों की कुल कीमत 60.70 लाख व 112.50 वर्ग मीटर के भूखंड की कीमत 34 लाख 14 हजार 375 रुपये और 72 वर्ग मीटर के भूखंड की कुल कीमत 21 लाख 50 हजार 200 रुपये के हिसाब से आवंटियों ने पैसा जमा किया है। भूखंडों की कीमतों में 12% फ्री होल्ड शुल्क शामिल है।

20 बीघा जमीन खाली, लेकिन कब्जा अब भी नहीं मिला

सेक्टर-ए में लगभग 20 बीघा अर्जित भूमि से अवैध कब्जा हटाने की बात एलडीए प्रशासन की ओर से की गई थी। कहा गया था कि इस भूमि पर रिवर व्यू सहकारी आवास समिति का कब्जा था। अर्जन व प्रवर्तन अनुभाग की संयुक्त टीम ने मौके पर कार्यवाही की थी। बताया गया था कि बसंतकुंज योजना के सेक्टर-ए में ग्राम-छन्दोइया की अर्जित भूमि खसरा संख्या-211, 212, 213, 214, 215, 216, 217, 218, 224, 228, 229, 230, 231 व 232 पर रिवर व्यू सहकारी आवास समिति का कब्जा था। पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने रिवर व्यू सहकारी आवास समिति के पक्ष में पूर्व में किये गये उक्त भूमि के समायोजन को निरस्त करते हुए जमीन खाली कराने के आदेश दिये थे। जिसके अनुपालन में पूर्व जोनल अधिकारी शशिभूषण पाठक के नेतृत्व में अवैध कब्जा हटाने की कार्यवाही करायी गई थी। बताया जा रहा है कि प्राधिकरण ने जमीन खाली तो करा ली लेकिन मौके पर कब्जा नहीं ले सका।

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