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पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी Photograph: (YBN)
पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने वक्फ संशोधन विधेयक को मुसलमानों की संपत्तियों पर सरकारी कब्जे की साजिश करार देते हुए इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया है। इसके साथ ही पसमांदा समाज को लेकर आंदोलन छेड़ने की भी अनीस मंसूरी ने चेतावनी दी है।
बुजुर्गों की दी गई अमानत
पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा कि यदि सरकार ने यह विधेयक जबरन लागू करने की कोशिश की, तो पसमांदा मुसलमान इसके खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने के लिए मजबूर होंगे। अनीस मंसूरी ने इस विधेयक पर गंभीर आपत्ति जताते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियां गरीब मुसलमानों की भलाई के लिए हैं। यह हमारे बुजुर्गों की दी गई अमानत है, जिस पर किसी भी सरकार का अधिकार नहीं हो सकता। लेकिन अब सरकार इन संपत्तियों को अपने नियंत्रण में लेने की योजना बना रही है। हम इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।
सरकार हमारी जमीनों पर कब्जा करना चाहती है
अनीस मंसूरी ने मंगलवार को कहा कि वक्फ संपत्तियों की कीमत लाखों करोड़ों रुपये में है। अब सरकार इन संपत्तियों पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहती है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह कानून बना, तो धीरे-धीरे गरीब मुसलमानों के लिए छोड़ी गई संपत्तियां सरकार के हाथों में चली जाएंगी, और वे उनका मनमाना इस्तेमाल कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि "पहले हमारी शिक्षा छीनी गई, हमारे रोजगार खत्म किए गए, और अब हमारी संपत्तियों पर भी कब्जा करने की साजिश हो रही है। पसमांदा मुसलमानों को इसका सबसे बड़ा नुकसान होगा, क्योंकि वक्फ संपत्तियां सबसे अधिक हमारे समाज की भलाई के लिए हैं।"
गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करना नाकाबिले-बर्दाश्त
अनीस मंसूरी ने इस विधेयक के उस प्रावधान पर कड़ी आपत्ति जताई, जिसमें गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि यह फैसला धार्मिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप की सबसे बड़ी मिसाल होगी और इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता। मंसूरी ने कहा कि क्या किसी मंदिर ट्रस्ट में मुसलमानों को शामिल किया जाता है? क्या चर्च की प्रशासनिक समिति में गैर-ईसाई होते हैं? फिर वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की जरूरत क्यों पड़ रही है? इसका साफ मतलब है कि सरकार हमारी संपत्तियों पर पूरी तरह कब्जा जमाने की कोशिश में है।
न्याय से वंचित करने की साजिश
अनीस मंसूरी ने इस विधेयक के उस प्रावधान को भी खतरनाक बताया, जिसमें वक्फ संपत्तियों से जुड़े मामलों को अदालत में चुनौती देने का अधिकार सीमित कर दिया गया है। नए विधेयक के मुताबिक, अब वक्फ संपत्तियों के विवादों को केवल वक्फ ट्रिब्यूनल में ही सुना जाएगा, जो पूरी तरह सरकारी हस्तक्षेप में होगा। उन्होंने कहा "सरकार पहले हमारी संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है, फिर यह सुनिश्चित करना चाहती है कि हम इसके खिलाफ न्याय भी न मांग सकें। यह मुसलमानों को कानूनी रूप से कमजोर करने की सबसे खतरनाक साजिश है।"
अगर विधेयक वापस नहीं हुआ तो सड़क पर उतरेंगे
अनीस मंसूरी ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि यह विधेयक वापस नहीं लिया गया, तो पसमांदा मुस्लिम समाज देशभर में आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही पसमांदा मुसलमानों के लिए किसी भी ठोस योजना पर काम नहीं किया है, और अब उनकी संपत्तियों पर ही कब्जा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा "हम शांति और लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं, लेकिन अगर हमारी संपत्तियों को छीनने की कोशिश हुई, तो हम चुप नहीं बैठेंगे। सरकार को इस विधेयक को तुरंत वापस लेना चाहिए, वरना हम अपने हक के लिए हरसंभव संघर्ष करेंगे।"
पसमांदा मुसलमानों को धोखा दिया गया
अनीस मंसूरी ने कहा कि सरकार ने हमेशा पसमांदा समाज को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया, लेकिन कभी उनके विकास के लिए कुछ नहीं किया। अब जब उनके अधिकारों की रक्षा करने का समय आया, तो सरकार उल्टा उनकी संपत्तियों पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है। अनीस ने कहा "यह सरकार हमेशा पसमांदा मुसलमानों की हमदर्द बनने का दावा करती है, लेकिन जब हमारे अस्तित्व की बात आती है, तो हमारे साथ सबसे बड़ा धोखा किया जाता है। हम अब अपने हक के लिए लड़ेंगे और किसी भी साजिश को सफल नहीं होने देंगे।"
अभी भी समय है, सरकार होश में आए
अनीस मंसूरी ने प्रधानमंत्री और सरकार से अपील करते हुए कहा कि वे इस विधेयक को वापस लें और मुसलमानों की संपत्तियों पर कब्जा करने के विचार को त्याग दें। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियां मुसलमानों की धार्मिक और सामाजिक धरोहर हैं, और सरकार को इसमें दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा "अगर सरकार सच में पसमांदा मुसलमानों की हितैषी है, तो उसे यह विधेयक तुरंत वापस लेना चाहिए। अभी भी समय है, सरकार होश में आए और हमें हमारे अधिकारों से वंचित करने की साजिश बंद करे।"
आंदोलन के लिए तैयार रहें
अनीस मंसूरी ने पसमांदा मुस्लिम समाज के सभी संगठनों, बुद्धिजीवियों और नेताओं से अपील की कि वे इस विधेयक के खिलाफ एकजुट हों। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने अपनी जिद नहीं छोड़ी, तो देशभर में बड़ा आंदोलन होगा और पसमांदा समाज अपनी संपत्तियों को बचाने के लिए हरसंभव कदम उठाएगा। मंसूरी ने कहा "यह सिर्फ एक विधेयक नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व पर हमला है। अगर इसे रोका नहीं गया, तो इसका खामियाजा आने वाली नस्लों को भुगतना पड़ेगा। इसलिए मैं पूरे पसमांदा समाज से अपील करता हूं कि वे अपने हक के लिए जागें और इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं।"