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राम दरबार समेत 18 मूर्तियों को राम मंदिर में किया जाएगा स्थापित
अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर अब अपने अंतिम दौर में है। उत्तर प्रदेश सरकार की देखरेख में यह विशाल धार्मिक परियोजना तेज़ी से आगे बढ़ रही है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने जानकारी दी कि मंदिर के पहले तल पर भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान सहित एक भव्य राम दरबार स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा मंदिर परिसर के चारों ओर बनाए जा रहे परकोटे में छह अन्य देवालयों का निर्माण भी चल रहा है, जिनमें भगवान सूर्य, देवी भगवती, मां अन्नपूर्णा, भगवान शिव, गणेश जी और हनुमान जी की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। वहीं एक विशेष मंदिर में भगवान लक्ष्मण को शेषावतार रूप में विराजमान किया जाएगा।
मकराना संगमरमर से बनी हैं प्रतिमाएं
मंदिर परिसर में सप्त ऋषियों और अन्य पौराणिक पात्रों की मूर्तियां भी लगाई जाएंगी, जिनमें महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य मुनि, निषादराज, माता शबरी और अहिल्या का समावेश है। इन सभी प्रतिमाओं को मकराना के सफेद संगमरमर से तराशा गया है और अब इनके श्रृंगार, वस्त्र एवं आभूषण तैयार करने का कार्य तेज़ी से किया जा रहा है।
अक्षय तृतीया को राम दरबार की स्थापना
महासचिव ने बताया कि तुलसीदास जी की मूर्ति पहले ही स्थापित की जा चुकी है और यात्री सुविधा केंद्र के मंडप में श्रद्धालु उनके दर्शन कर सकेंगे। 15 अप्रैल के बाद जयपुर से इन मूर्तियों को अयोध्या लाने का कार्य शुरू होगा। जैसे-जैसे मूर्तियां पहुंचेंगी, उन्हें निर्धारित स्थानों पर रखा जाएगा। कुल 18 प्रतिमाओं की स्थापना का कार्य लार्सन एंड टुब्रो द्वारा संपन्न किया जाएगा। 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर राम दरबार को प्रथम मंजिल के गर्भगृह में स्थापित कर दिया जाएगा। जून में ट्रस्ट के सभी सदस्यों की उपस्थिति में तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित होगा, जिसमें जलवास, अन्नवास, औषधिवास और शैय्यावास जैसे अनुष्ठान शामिल होंगे।
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अक्टूबर 2025 तक पूरा होगा मंदिर का शेष निर्माण
शेषावतार मंदिर का कार्य बाद में शुरू होगा, जिसके लिए अंदर के टावर क्रेन हटाए जाएंगे। इसके बाद परकोटा के उत्तर और दक्षिण हिस्से का निर्माण शुरू होगा, राम मंदिर का निर्माण कार्य जो अक्टूबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।
चार भव्य द्वार होंगे आध्यात्मिक परंपराओं पर आधारित
मंदिर में चार द्वार बनाए जा रहे हैं- उत्तरी दिशा का द्वार, क्रॉसिंग 11 का द्वार, क्रॉसिंग 3 का द्वार और राम जन्मभूमि का मुख्य प्रवेश द्वार। इन द्वारों के नाम रामानुज, शंकराचार्य, माधवाचार्य और रामानंदाचार्य की परंपराओं के आधार पर रखे जाएंगे, जो भारत की आध्यात्मिक एकता को दर्शाएंगे। महासचिव चंपत राय ने बताया कि शिखर का पूजन हो चुका है और भुज दंड सहित अन्य हिस्सों की स्थापना क्रमिक रूप से की जाएगी। प्रयागराज के पुरंदर दास और गिलहरी की प्रतिमाएं भी मंदिर परिसर में स्थापित होंगी। योगी सरकार की सक्रिय भागीदारी से यह परियोजना न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन के लिहाज से भी अयोध्या को नई पहचान दे रही है। सरकार का लक्ष्य है कि यह मंदिर संपूर्ण भारत के लिए एकता और श्रद्धा का प्रतीक बने।
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