लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता
उत्तर प्रदेश के ऊर्जा विभाग में बड़ा खेल हुआ है। उपभोक्ताओं के करोड़ों रुपए दबाए बैठी कंपनी के अधिकारी को ही निदेशक बना दिया गया है। ऐसे में पॉवर कॉरपोरेशन को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। उपभोक्ता परिषद की ओर से शनिवार को आयोजित वेबिनार में इसका खुलासा हुआ। प्रदेश भर से जुड़े उपभोक्ताओं ने बताया कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में टोरेंट कंपनी पर 2221 करोड़ रुपये पावर कारपोरेशन का बकाया है। उसी कंपनी के अभियंता को दक्षिणांचल का निदेशक (वित्त) बनाया गया है। उपभोक्ताओं ने बिजली निगमों पर बकाया चल रहे 33122 करोड़ रुपये लौटाने की मांग की है।
टोरेंट पावर के अधिकारी को बनाया निदेशक
शासन ने कमेटी की रिपोर्ट पर टोरेंट पावर कंपनी को आदेश दिया गया था कि वह पुराना बकाया करीब 2221 करोड़ रुपये वसूल कर पावर कारपोरेशन को लौटाए। इसके लिए तीन साल का समय तय किया गया था, लेकिन अभी तक यह राशि पावर कारपोरेशन को नहीं मिली है। इस बीच पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने टोरेंट पावर के अभियंता को दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निदेशक (वित्त) बना दिया है।
मुख्यमंत्री तक पहुंचेगा मामला
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आशंका जताई कि संबंधित निदेशक अपनी पूर्व कंपनी के पक्ष में काम करेगा और अपनी पत्रावलियों को वहां पहुंचकर टेम्परिंग या उसमें हेराफेरी कर देगा। इसके परिणामस्वरूप ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा घोटाला होने की संभावना है। परिषद अध्यक्ष ने सभी उपभोक्ताओं का पक्ष सुनने के बाद कहा कि जो भी सवाल उठाए गए हैं, उसे मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जाएगा।