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संत की जयंती पर BBAU में समरसता की गूंज, शिक्षाविद् बोले- जाति और लिंग भेद मिटाने के पक्षधर थे रविदास

Ambedkar University में संत Ravidas की जयंती मनाई गई। समारोह में डीन प्रो. एस. विक्टर बाबू ने संत रविदास के सामाजिक समरसता व आध्यात्मिक स्वतंत्रता पर विचार रखे।

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Deepak Yadav
BBAU

अंबेडकर विश्वविद्यालय ने मनाई संत रविदास की जयंती Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

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बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) में बुधवार को संत रविदास की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता डीन ऑफ एकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू ने की। उन्होंने कहा कि भक्तिकाल के साहित्य और संतों में संत रविदास का अहम स्थान है। उन्होंने हमेशा जाति और लिंग के आधार पर होने वाले सामाजिक विभाजन को दूर करने की शिक्षा दी। साथ ही व्यक्तिगत आध्यात्मिक स्वतंत्रता की खोज को प्राथमिकता देते हुए समाज में एकता और समानता को बढ़ावा दिया।

साहित्य में तार्किकता को दिया बढ़ावा

डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रो. वीरेंद्र सिंह यादव ने कहा कि संत रविदास ने अपने साहित्य और आदर्श में तार्किकता को बढ़ावा दिया। उन्होंने पाखंड के विरोध में अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन किया। इसके अतिरिक्त प्रो. यादव ने समाज में सभी को समानता का अवसर, समाज सुधार, विवेक शक्ति, विभिन्न प्रकार की अनुभूति, मन पर नियंत्रण आदि विषयों पर संत रविदास के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।

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कर्म और श्रम को प्रधानता दी

बीबीएयू के कुलानुशासक प्रो. एमपी सिंह ने कहा कि संत शिरोमणि रविदास संत परंपरा के योगी, समाज सुधारक और मानवता के सच्चे मार्गदर्शक रहे हैं। जिन्होंने सदैव कर्म और श्रम को प्रधानता दी है। संत रविदास ने सामाजिक सद्भाव और समानता की जो ज्योति प्रज्ज्वलित की है, उसका मंगल प्रकाश सदैव आगे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। 

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