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बिना अनुमति नहीं होगी अब बोरवेल-ट्यूबवेल की खुदाई
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बिना अनुमति नहीं होगी अब बोरवेल-ट्यूबवेल की खुदाई
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।अब बोरवेल या ट्यूबवेल की खुदाई करने से पहले संबंधित विभागों से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। भूगर्भ जल विभाग और स्थानीय निकायों से अनुमति प्राप्त किए बिना खुदाई कराना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा। यह कदम बच्चों के खुले बोरवेल में गिरने जैसी घटनाओं पर रोक लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है। नई व्यवस्था के अनुसार खुदाई की अनुमति के लिए कम से कम 15 दिन पहले आवेदन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के क्रम में स्थानीय निकाय निदेशक डॉ. अनुज कुमार झा ने राज्यभर के नगर निकायों को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं।
खुदाई कराने वाली सभी एजेंसियों चाहे वे सरकारी हों, अर्धसरकारी या निजी को स्थानीय प्रशासन या अधिकृत अधिकारी के पास पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। निर्माण स्थल पर संस्था का नाम-पता दर्शाने वाला साइन बोर्ड लगाना होगा। साथ ही, बोरवेल के चारों ओर सुरक्षा घेरा, कंटीले तार या बैरियर लगाना भी जरूरी कर दिया गया है।
खुदाई के बाद बोरवेल के मुंह पर स्टील प्लेट का मजबूत ढक्कन लगाया जाएगा, जिसे वेल्डिंग या नट-बोल्ट की सहायता से मजबूती से बंद किया जाएगा। पंप की मरम्मत के दौरान मुंह खोलने के बाद तत्काल बंद करना अनिवार्य होगा। काम पूरा होने के बाद बोरवेल को मिट्टी, बालू और पत्थरों से भरकर जमीन के समतल स्तर तक लाया जाएगा।
बोरवेल और ट्यूबवेल की खुदाई और रख-रखाव की निगरानी जिला, ब्लॉक और ग्राम स्तर पर की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में निगरानी का जिम्मा ग्राम प्रधान और कृषि विभाग को सौंपा गया है, जबकि शहरी क्षेत्रों में जूनियर इंजीनियरों और नगर निकाय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है। परित्यक्त बोरवेल को बंद करने का प्रमाणपत्र संबंधित विभाग से लेना अनिवार्य होगा।
प्रत्येक जिले में खोदे गए बोरवेल और ट्यूबवेल की संख्या, उपयोग में लाए जा रहे कुओं, परित्यक्त और भरे गए बोरवेल का विवरण रखा जाएगा। जिला प्रशासन समय-समय पर आकस्मिक निरीक्षण करेगा और किसी भी लापरवाही पर कार्रवाई की जाएगी।