लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। भारतीय सपूत जब आतंकी सपरस्त पाकिस्तान को फैसलाकुन सबक सिखाने के करीब पहुंच रहे थे, तब अमेरिका की ओर से दोनों देशों के बीच टकराव खत्म होने की घोषणा के बाद से लखनऊ में मिश्रित प्रक्रिया है। समाज का एक तबका इस बात से खासा आक्रोशित है कि भारत की एकता, अखंडता और अस्तिमता पर हमला करने वाले पाकिस्तान को सबक सिखाने के दौर में अमेरिका की चौधराहट को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए, जबकि दूसरे तबके का मानना है कि किसी भी आतंकी वारदात युद्ध माने जाने की भारतीय घोषणा के बाद अमेरिका का यह बयान बहुत गलत नहीं है। युद्ध से किसी का लाभ नहीं होने वाला है।
अमेरिका के दखल पर लखनऊ के युवाओं की नाराजगी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की पोस्ट के बाद यंग भारत न्यूज ने लखनऊ के युवकों से इस मुद्दे पर राय जानी। नौजवानों का कहना था कि इस बार पाकिस्तान को सबक सिखाया ही जाना चाहिए था। अमेरिका कोई नहीं होता, भारत की संप्रभुता की लड़ाई में दखल देना वाला है। वह रूस, यूक्रेन, ईरान, फिलिस्तीन, इजराइल को रोक नहीं पा रहा है, भारत के मामलों में दखल दे रहा है। भारतीय सेना को चाहिए कि वह पाकिस्तान को नेस्तनाबूत कर दे।
अमेरिका की चौधराहट बर्दाश्त नहीं
सिविल सेवा की तैयारी कर रहे हैं जितेन्द्र यादव का कहना है कि पाकिस्तान की हरकतों से भारतीय एकता पर खतरा मंडराने लगता है। पाकिस्तान से भेजे गये आतंकियों ने हिन्दुओं का नाम पूछ पूछकर उन्हें शहीद किया, इसके पीछे भारत की एकता को भंग करने की मंशा थी, एक तबका इस झांसे में आया भी लेकिन भारतीय सैनिकों, केन्द्र सरकार ने पहली बार बेहद संजीदगी से स्थिति को संभाला। भारत के ही नागरिक थे, जिन्होंने अपनी एकजुटता से दुश्मन की साजिश को नाकाम कर दिया और भारत की बहादुर सेना ने पाकिस्तान की धज्जियां उड़ा दी। ऐसे में अमेरिका की चौधराहट को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
पाकिस्तान को सबक सिखाना ही चाहिए
पुस्तकालय संचालक और आईटी विषेशज्ञ आनंद यादव कहते हैं यह भारतीय आत्म सम्मान की कीमत पर अमेरिका की चौधराहट बर्दाश्त नहीं की जा सकती है। इस बार अमेरिका के दबाव को नकार कर पाकिस्तान को सबक सिखाना ही चाहिए। सरकारी सेवा के अधिकारी अमित सिंह युद्ध हमेशा दुख लाता है, इसीलिए भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है लेकिन पहलगाम नरसंहार भारत के गौरव आत्मसम्मान पर हमला था, इसमें अमेरिकी चौधराहट स्वीकार नही है।
अमेरिका सिर्फ हथियार बेचने का कारोबारी
छात्र अक्षय प्रताप सिंह कहते हैं कि अमेरिका सिर्फ हथियार बेचने का कारोबारी है। उसे भारत के आत्म सम्मान से क्या लेना देना है। इसलिए भारत सरकार को अमेरिका के किसी भी सुझाव, दबाव को नजर अंदाज कर देना चाहिए। छात्र सैयद अयान कहते हैं कि हम भारतीयों को ट्रंप की जरूरत नहीं है,बल्कि ट्रंप को भारतीयों की जरूरत हैट्रंप को व्यापार करने के लिए भारतीय बाजार को देखना पड़ता है। ऐसे में ट्रंप के आगे भारतीय प्रधानमंत्री को झुकना नहीं चाहिए। यह देश के मान सम्मान को ध्यान में रखकर रखना चाहिए। क्योंकि आतंकी पाकिस्तान का पक्षधर रहा है। अमेरिका, प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिका के सामने कत्तई नहीं झुकना चाहिए। लोकदल की मांग अमेरिका नहीं देश की जनता से पूछकर युद्ध विराम होना चाहिए।